सोलनः प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में प्रशासन की सबसे बड़ी चूक सामने आई है. जहां प्रशासन लोगों को जागरूक करने के बड़े-बड़े दावे कर रहा है व बस स्टैंडों व ऑटो स्टैंड, थानों में सेनेटाईज करने की बात कर रहे हैं.
प्रशासन के इन दावों की पोल खुलती हुई नजर आ रही है. झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहे लाखों कामगारों व उनके परिजनों को इस बारे में न तो जागरूक किया गया व न ही उन्हें इससे बचाव के लिए सेनिटाइजर, मास्क और ग्लव्स मुहैया करवाए गए.
सबसे बड़ी हैरानी की बात है कि झुग्गी-झोपड़ी में रह रहे कामगारों को इसके बारे में पता ही नहीं कि आखिर लोग कौन सी बीमारी से चिंतित है. झुग्गी-झोपड़ी वालों से बात की गई तो इन लोगों का कहना है कि उन्हें न तो कोई जागरूक करने के लिए आया व न ही कोई स्प्रे की गई और ना ही मास्क, सेनिटाइजर बांटे गए.
आखिर प्रशासन कैसे दावे कर रहा है कि वो जानलेवा बीमारी करोना वायरस पर यह लोग काबू पा लेंगे. माना कि प्रशासन ने उद्योगों केा बंद करवा दिया है, बाजार बंद हो चुके हैं, मॉल बंद हो चुके हैं व लोग घरों में ही रह कर जीवन बसर कर रहे हैं.
प्रशासन यह कैसे भूल गया कि सबसे पहले जिन लोगों को जागरूक करने की जरूरत है, उन्हें क्यों जागरूक नहीं किया जा रहा है. यही नहीं कुछ समाजिक संस्थाओं ने झुग्गियों में बांटने के उदेश्य से फार्मा उद्योगों से कह कर लाखों रुपए के सेनिटाइजर, मास्क व ग्लव्स ले लिए हैं कि यह लोग इन्हें निशुल्क यह सारी सुविधाएं देंगे. झुग्गियों में तो यह लेाग पहूंचे ही नहीं व औपचारिकता पूरी करने के उद्देश्य इन लोगों ने ट्रक यूनियनों व अस्पतालों में जाकर ही इन चीजों का थेाड़ वितरण हुआ है व बाकी सारा अपने रिश्तेदारों में बांटा जा रहा है.
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हैरानी की बात है कि यह झुग्गियां रिहायशी इलाकों के नजदीक है व अगर यहां पर कोरोना वायरस अपने पैर पसारता है तो झुग्गी-झोपड़ियों के साथ-साथ यह लोग भी इसकी चपेट में आ जाएंगे. प्रशासन को इस तरफ जल्दी ध्यान देना चाहिए ताकि आने वाले खतरे से पहले ही निपटा जा सके.
एसडीएम नालागढ़ प्रशांत देष्टा का कहना है कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है व स्वास्थ्य विभाग से बात कर कोई न कोई हल किया जाएगा. वहीं, बीएमओ नालागढ़ केडी जस्सल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनके पास झुग्गी झोपड़ियों को स्प्रे करने के कोई आदेश नहीं है. अस्पताल में दो ही आइसोलेटेड बेड है व अगर मरीजों की संख्या बढ़ती तो इसके बारे में सोचा जाएगा.
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