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सोलन: आश्रय गो सदन ने गोबर से तैयार की लकड़ी, अंतिम संस्कार में होगी इस्तेमाल - गाय के गोबर से तैयार की लकड़ी सोलन

सोलन में कोरोना के कारण लगातार बढ़ रहे मौत के मामलों के चलते चम्बाघाट श्मशानघाट में लकड़ी की कमी न हो, इसके बीच आश्रय गौसदन ने नगर निगम सोलन को कुछ राहत प्रदान की है. आश्रय गौसदन ने गाय के गोबर से तैयार की गई 2 क्विंटल लकड़ी नगर निगम को निशुल्क प्रदान की है.

गाय के गोबर से बनी लकड़ी
गाय के गोबर से बनी लकड़ी
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Published : May 5, 2021, 11:48 AM IST

सोलन: हिमाचल प्रदेश में लगातार कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. वहीं, कोरोना से मौत का आंकड़ा भी दिन-ब-दिन प्रदेश में बढ़ता जा रहा है. जिला सोलन में भी कोरोना के कारण लगातार बढ़ रहे मौत के मामलों के चलते चम्बाघाट श्मशानघाट में लकड़ी की कमी न हो इसके बीच आश्रय गौसदन ने नगर निगम सोलन को कुछ राहत प्रदान की है. आश्रय गौसदन ने गाय के गोबर से तैयार की गई 2 क्विंटल लकड़ी नगर निगम को निशुल्क प्रदान की है. श्मशानघाट में लकड़ियाें के साथ गाय के गोबर से बनी लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाएगा.

रोजाना हो रही 5-6 कोविड रोगियों की मौत

नगर निगम सोलन ने आश्रय गौसदन के साथ मिलकर पर्यावरण को मजबूती देने और लकड़ियाें की खपत को कम करने के लिए एक गोबर से लकड़ी को तैयार करना प्रयोग के तौर पर शुरू किया है. पर्यावरण की दिशा में यह बहुत बड़ी उपलब्धि हो सकती है. सोलन में पिछले कुछ दिनों से कोरोना के कारण 5 से 6 मौतें लगातार हो रही हैं. इसमें अधिकांश मौतें सोलन और इसके आसपास के कोविड रोगियों की हो रही हैं, जिनका अंतिम संस्कार चम्बाघाट स्थित श्मशानघाट में किया जा रहा है. लगातार बढ़ रही इस संख्या के कारण श्मशानघाट में भी लकड़ियाें का स्टॉक कम हो रहा है. गोबर की लकड़ी का इस्तेमाल करने से अब दूसरी लकड़ी भी कम लगेगी. वहीं, गोबर की लकड़ी से निकलने वाला धुंआ पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद करेगा.

पर्यावरण संरक्षण में गोबर की लकड़ी की अहम भूमिका

आश्रय गौसदन के संस्थापक सदस्य प्रदीप शर्मा ने बताया कि गाय के गोबर की लकड़ी के इस्तेमाल से पर्यावरण संरक्षण को मदद मिलेगी. लोग अपने घरों में ईंधन के रूप में भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे गौसदनों की आमदनी भी बढ़ेगी क्योंकि लगभग सभी गौसदनों में गाय के गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन स्थापित है.

वीडियो.

शिमला-चंडीगढ़ राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर सोलन व इसके आसपास के क्षेत्रों में लावारिस पशुओं की संख्या कम करने में आश्रय गौसदन का बहुत बड़ा योगदान रहा है. 4 वर्ष पूर्व शुरू हुए इस गौसदन में बेसहारा गऊओं की संख्या 125 तक पहुंच गई है. यही नहीं इस गौसदन में कई लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है. जिला प्रशासन ने इस गौसदन के लिए करीब 10 बीघा भूमि का आबंटन किया हुआ है. खाली भूमि पर पशुओं के लिए चारा पैदा किया जा रहा है. आने वाले दिनों में यहां पर गऊओं की संख्या को बढ़ाने की भी योजना है.

2020 में स्थापित की थी गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन

आश्रय गौसदन में गाय के गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन वर्ष 2020 में स्थापित की थी. करीब 55 हजार रुपए में इस मशीन को खरीदा गया था. इसके बाद यहां पर लगातार गोबर की लकड़ियां तैयार की जा रही हैं. इन लकड़ियों की डिमांड भी काफी अधिक है. हालांकि आश्रय गौसदन ने श्मशानघाट के लिए नगर निगम को लकड़ियां निशुल्क दी हैं, लेकिन लोगों से इसकी कीमत ली जाएगी. इसका इस्तेमाल घरों में ईंधन के रूप में किया जा सकता है. लकड़ियों की तुलना में इसका कम खर्च है.
ये भी पढ़ें: टांडा अस्पताल में वेंटिलेटर के मॉनिटर में लगी आग, दमकल विभाग ने पाया काबू

सोलन: हिमाचल प्रदेश में लगातार कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. वहीं, कोरोना से मौत का आंकड़ा भी दिन-ब-दिन प्रदेश में बढ़ता जा रहा है. जिला सोलन में भी कोरोना के कारण लगातार बढ़ रहे मौत के मामलों के चलते चम्बाघाट श्मशानघाट में लकड़ी की कमी न हो इसके बीच आश्रय गौसदन ने नगर निगम सोलन को कुछ राहत प्रदान की है. आश्रय गौसदन ने गाय के गोबर से तैयार की गई 2 क्विंटल लकड़ी नगर निगम को निशुल्क प्रदान की है. श्मशानघाट में लकड़ियाें के साथ गाय के गोबर से बनी लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाएगा.

रोजाना हो रही 5-6 कोविड रोगियों की मौत

नगर निगम सोलन ने आश्रय गौसदन के साथ मिलकर पर्यावरण को मजबूती देने और लकड़ियाें की खपत को कम करने के लिए एक गोबर से लकड़ी को तैयार करना प्रयोग के तौर पर शुरू किया है. पर्यावरण की दिशा में यह बहुत बड़ी उपलब्धि हो सकती है. सोलन में पिछले कुछ दिनों से कोरोना के कारण 5 से 6 मौतें लगातार हो रही हैं. इसमें अधिकांश मौतें सोलन और इसके आसपास के कोविड रोगियों की हो रही हैं, जिनका अंतिम संस्कार चम्बाघाट स्थित श्मशानघाट में किया जा रहा है. लगातार बढ़ रही इस संख्या के कारण श्मशानघाट में भी लकड़ियाें का स्टॉक कम हो रहा है. गोबर की लकड़ी का इस्तेमाल करने से अब दूसरी लकड़ी भी कम लगेगी. वहीं, गोबर की लकड़ी से निकलने वाला धुंआ पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद करेगा.

पर्यावरण संरक्षण में गोबर की लकड़ी की अहम भूमिका

आश्रय गौसदन के संस्थापक सदस्य प्रदीप शर्मा ने बताया कि गाय के गोबर की लकड़ी के इस्तेमाल से पर्यावरण संरक्षण को मदद मिलेगी. लोग अपने घरों में ईंधन के रूप में भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे गौसदनों की आमदनी भी बढ़ेगी क्योंकि लगभग सभी गौसदनों में गाय के गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन स्थापित है.

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शिमला-चंडीगढ़ राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर सोलन व इसके आसपास के क्षेत्रों में लावारिस पशुओं की संख्या कम करने में आश्रय गौसदन का बहुत बड़ा योगदान रहा है. 4 वर्ष पूर्व शुरू हुए इस गौसदन में बेसहारा गऊओं की संख्या 125 तक पहुंच गई है. यही नहीं इस गौसदन में कई लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है. जिला प्रशासन ने इस गौसदन के लिए करीब 10 बीघा भूमि का आबंटन किया हुआ है. खाली भूमि पर पशुओं के लिए चारा पैदा किया जा रहा है. आने वाले दिनों में यहां पर गऊओं की संख्या को बढ़ाने की भी योजना है.

2020 में स्थापित की थी गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन

आश्रय गौसदन में गाय के गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन वर्ष 2020 में स्थापित की थी. करीब 55 हजार रुपए में इस मशीन को खरीदा गया था. इसके बाद यहां पर लगातार गोबर की लकड़ियां तैयार की जा रही हैं. इन लकड़ियों की डिमांड भी काफी अधिक है. हालांकि आश्रय गौसदन ने श्मशानघाट के लिए नगर निगम को लकड़ियां निशुल्क दी हैं, लेकिन लोगों से इसकी कीमत ली जाएगी. इसका इस्तेमाल घरों में ईंधन के रूप में किया जा सकता है. लकड़ियों की तुलना में इसका कम खर्च है.
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