सोलन: हिमाचल विधानसभा चुनाव में सत्ता की राह देख रही कांग्रेस का कुनबा धीरे धीरे टूटता हुआ नजर आ रहा है. हर्ष महाजन, पवन काजल, लखविंदर राणा, राकेश कालिया ये बड़े नेता अभी तक कांग्रेस को अलविदा कह चुके हैं, लेकिन भाजपा से नाराज होने वाले नेताओं को श्रेय देने का काम भी इन दिनों कांग्रेस कर रही है, लेकिन जहां-जहां भी कांग्रेस के नेता कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं वहां इस बार कड़ी टक्कर कांग्रेस को मिलने वाली है. इसी कड़ी में अर्की विधानसभा क्षेत्र भी सबके लिए चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां पर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के कभी खास रहे राजेंद्र ठाकुर उर्फ (राजू) आज चुनावी मैदान में निर्दलीय उतरे हैं.
टिकट न मिलने पर छोड़ी थी कांग्रेस: पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के निधन के बाद अर्की में हुए उपचुनाव में राजेंद्र ठाकुर (राजू) ने कांग्रेस हाईकमान से टिकट मांगा था, लेकिन टिकट न मिलने के पर राजेंद्र ठाकुर ने अपने समर्थकों समेत कांग्रेस छोड़ी थी. ऐसे में उसके बाद लगातार वे जनता के बीच जनसंपर्क करते रहे. वहीं, अब उन्होंने निर्दलीय चुनाव में उतरने का मन बनाया है और वे अपना नामांकन भी भर चुके हैं. (Congress And AAP In Arki Assembly) (Himachal Pradesh Assembly Elections)
सैंकड़ों महिलाओं को करवा चुके हैं हरिद्वार दर्शन: राजेंद्र राजू ने अभी तक हरिद्वार दर्शन करवा कर महिलाओं वोटर को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास अर्की में किया है. करीब 9000 महिलाओं को राजेंद्र (राजू) हरिद्वार दर्शन करवा चुके हैं और जिस तरह से जगह-जगह जाकर राजेंद्र ठाकुर (राजू) जनसभा का आयोजन कर रहे हैं उससे कहीं न कहीं भाजपा और कांग्रेस को कड़ी टक्कर चुनाव में देखने को मिल सकती है.
माना यह भी जा रहा है कि राजेंद्र राजू जीतने वाले के समीकरण भी इन चुनावों में बदल सकते हैं, क्योंकि एक तरफ जहां कांग्रेस से नाराज वोट राजेंद्र ठाकुर (राजू) को मिलेगा तो वहीं, दूसरी तरफ भाजपा ने पूर्व विधायक गोविंद शर्मा को जिस तरह से टिकट दिया है उसका लाभ भी राजेंद्र राजू को मिलने वाला है, क्योंकि भाजपा का एक धड़ा पूर्व विधायक को टिकट मिलने से नाराज दिखाई दे रहा है. (Arki assembly seat)
अर्की विधानसभा में 95,066 मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे. जिसमें 48037 पुरुष और 47028 महिलाएं और 1 थर्ड जेंडर शामिल है. जिले में कुल 579 मतदान केंद्र है. जिसमें शहरी 67, ग्रामीण 512, संवेदनशील 84 और अति संवेदनशील 30 मतदान केंद्र है. जिले में अर्की विधानसभा क्षेत्र में 133 मतदान केंद्र होंगे. जिसमें 3 शहरी,130 ग्रामीण, 34 संवदेनशील और 3 अति संवेदनशील होंगे.
निर्दलीय ने हर बार बिगाड़ा है अर्की में चुनावी समीकरण, लेकिन नहीं हो पाई जीत दर्ज: नजर डाली जाए तो साल 1972 में हीरा सिंह पाल लोकराज पार्टी से यहां विधायक रहे.1977 में जनता पार्टी के नगीन चन्द्र पाल विधायक बने,1982 में फिर नगीन चन्द्र पाल अर्की के विधायक बने, लेकिन इस बार भाजपा की टिकट पर, साल 1985 में कांग्रेस के प्रत्याशी हीरा सिंह पाल ने अर्की की सीट जीती,1990 में फिर नगीन चन्द्र पाल ने भाजपा की टिकट पर यहां चुनाव जीता. उसके बाद अर्की विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने 1993,1998 और 2003 में अपनी हैट्रिक लगाई और यहां पर धर्मपाल ठाकुर लगातार तीन बार विधायक रहे.
2007 और 2012 में भाजपा के गोविंद शर्मा ने यहां पर दो बार चुनाव जीता. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में गोविंद शर्मा का टिकट कटा और भाजपा ने नए चेहरे रत्न सिंह पाल को चुनावी मैदान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के सामने उतारा जिसमें भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के निधन के बाद 2021 में उपचुनाव हुआ. जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी संजय अवस्थी ने जीत हासिल की.
ये कहना है अर्की की राजनीति को लेकर वरिष्ठ पत्रकार का: वहीं, अर्की की राजनीति में चली खलबली को लेकर वरिष्ठ पत्रकार नरेश पाल का कहना है कि 10 साल बाद अर्की में इस बार भी त्रिकोना मुकाबले के आसार बन गए है. वर्ष 2007 व 2012 में हुए त्रिकोने मुकाबले में भाजपा को लाभ मिला था, लेकिन इस बार समीकरण थोड़े बदलते नजर आ रहे हैं. एक तरफ जहां भाजपा फिर से रत्न पाल, और कांग्रेस संजय अवस्थी तो राजेंद्र ठाकुर निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं.
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