पांवटा साहिब: देवभूमि हिमाचल प्रदेश में अब महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं. खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं आगे आकर अपने हुनर के दम पर आगे बढ़ रहीं है और अपनी परिवार की आर्थिकी को भी मजबूत कर रही हैं. सिरमौर जिले के पांवटा साहिब में भी महिलाओं ने अब आत्मनिर्भरता और कामयाबी की राह चुनी है. पांवटा साहिब में दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत दो गांव की दो महिलाओं ने अपने हाथों के हुनर के साथ अपनी तकदीर बदलने की ठानी है और हजारों रुपयों की कमाई कर रही हैं.
लोन लेकर शुरू किया कारोबार: पांवटा साहिब के दो महिलाओं संगीता और गीता ने अपने हुनर का इस्तेमाल करते हुए अपना कारोबार शुरू किया है. दरअसल ये दोनों महिलाएं कई तरह के गर्म कपड़े, जुराबे, स्वेटर और टोपी आदि बनाती हैं. इन दोनों ने पांवटा साहिब में गुरुद्वारा के पास अपना स्टॉल लगाया है. संगीता और गीता ने बताया कि कोरोना काल के बाद उनकी हालत बद से बदतर हो गई थी. दो वक्त की रोटी का गुजारा करना भी मुश्किल हो गया था. ऐसे में उन्हें नगर परिषद पांवटा से दीनदयाल अंत्योदय योजना के बारे में पता लगा और उन दोनों ने छोटा सा लोन लेकर ऊन आदि का सामान खरीदा और स्वेटर और गर्म जुराबे बनाने लगी.
![Women get benefits from Deendayal Antyodaya Yojana in Paonta Sahib](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-11-2023/20010040_1.jpg)
रोजाना 3-4 हजार कमाई: मौजूदा समय में संगीता और गीता के पास 4 मशीनें हैं. जिनसे ये लोग कई तरह की जुराबे, स्वेटर, बच्चों के गर्म कपड़े व अन्य कई प्रकार की वस्तुएं बनाती हैं. संगीता और गीता ने बताया कि वर्तमान में उनका कारोबार काफी अच्छा चल रहा है. लोगों को उनके द्वारा बनाया गया सामान काफी ज्यादा पसंद आ रहा है. उन्होंने बताया कि उन्हें रोजाना 3 से 4 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है और महीने में करीब 1 लाख रुपए की आमदनी हो रही है. उन्होंने कहा कि यह योजना महिलाओं के लिए वरदान साबित हो सकती है. इसलिए सभी को आगे आकर आत्मनिर्भर बनना चाहिए.
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महिलाओं को किया प्रेरित: संगीता और गीता ने प्रदेश की अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया है. उन्होंने बताया कि अपनी कड़ी मेहनत से उन दोनों अपने परिवार का पालन-पोषण तो किया ही, लेकिन इसके साथ ही दोनों ने लाखों रुपयों की प्रॉपर्टी भी खरीदी है. उन्होंने प्रदेश की महिलाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि महिलाओं को घर में बैठने के बजाए बाहर निकलकर अपने हुनर के दम पर आत्मनिर्भर बनना चाहिए. इससे वह अपने परिवार की भी आर्थिक मदद कर पाएंगी.
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