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मौसम साफ होते ही खेतों में हरियाली, गेहूं और सरसों की फसल अच्छी पैदावार की उम्मीद

सिरमौर के उपमंडल पांवटा साहिब के गिरिपार क्षेत्र में इस वर्ष अच्छी बारिश से किसानों को गेहूं की फसल की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है. सिरमौर में आसपास के इलाकों में मंडी न होने के कारण किसानों को गेहूं बेचने के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों और शहर में जाना पड़ता है. किसानों ने सरकार से पास के क्षेत्रों में मंडी खोलने का आग्रह किया है.

Wheat and mustard crop
मौसम साफ होते ही खेतों में हरियाली.
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Published : Feb 17, 2020, 12:48 PM IST

पांवटा साहिब: जिला सिरमौर के उपमंडल पांवटा साहिब के गिरिपार क्षेत्र में इस वर्ष अच्छी बारिश से किसानों को गेहूं की फसल की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है. मौसम साफ होते ही खेतों में गेहूं की फसल लहरा रही है. क्षेत्र की भूमि उपजाऊ होने से किसानों को गेहूं की पैदावार में इजाफा होने की उम्मीद भी है.

वहीं, किसानों का कहना है कि इस वर्ष सरकार की ओर से किसानों को गेहूं की फसल के अच्छे दाम मिलने पर उनकी आय दोगुणी हो सकती है. सिरमौर में आसपास के इलाकों में मंडी न होने के कारण किसानों को गेहूं बेचने के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों और शहर में जाना पड़ता है. जहां उन्हें अपनी फसलों का उचित दाम नहीं मिल पाता है.

वीडियो रिपोर्ट.

किसानों ने कहा कि जिला के नजदीकी क्षेत्रों में मंडी खुलने से किसानों को भारी मुनाफा हो सकता है और उन्हें अपनी फसलों को बेचने के लिए कहीं ओर नहीं जाना पड़ेगा.

क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक

कृषि वैज्ञानिक डॉ. पीयूष ने बताया कि वैज्ञानिक तरीकों से गेहूं की फसल की सही देखभाल करने और सतर्कता से बीजों का चयन करने से गेहूं की पैदावार को बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि गेहूं की फसल के लिए दोमट मिट्टी वाले खेत अच्छे होते हैं. इस वर्ष समय-समय पर बरसात होने से खेतों में सिंचाई की समस्या दूर हुई है.

गेहूं की फसल में रोग और उनका नियंत्रण

किसानों को समय-समय पर गेहूं की फसल में लगने वाले रोगों की जानकारियां कृषि वैज्ञानिक दे रहे हैं. इस वर्ष फसल की पैदावार अच्छी है, लेकिन फिर भी किसानों को फसलों के प्रति संयम बरतना चाहिए. उन्होंने कहा कि खड़ी फसलों में अल्टरनेरिया, काली गेरुई और भूरी गेरुई जैसे कई रोग भी लग जाते है और इनसे फसलों को भारी नुकसान हो सकता है.

फसलों को रोगों से बचाने के लिए करें यह उपाय

डॉ. पीयूष ने बताया कि इन्हें रोकने के लिए किसानों को फसलों में 2 किलोग्राम मैन्कोजेब या 0.5 लीटर जिनेब 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टर पर छिड़काव करना चाहिए. इससे फसलों में रोगों पर रोक लगेगी और फसल भी अच्छी तैयार होगी. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक खेती से किसानों को भारी फायदा हो रहा है और इसके लिए किसानों में जागरूकता होना बहुत अवश्यक है.

ये भी पढ़ें:रिकांगपिओ खेल मैदान में पुलिस की दबंगई, युवाओं को खेलने से रोक रहे अधिकारी

पांवटा साहिब: जिला सिरमौर के उपमंडल पांवटा साहिब के गिरिपार क्षेत्र में इस वर्ष अच्छी बारिश से किसानों को गेहूं की फसल की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है. मौसम साफ होते ही खेतों में गेहूं की फसल लहरा रही है. क्षेत्र की भूमि उपजाऊ होने से किसानों को गेहूं की पैदावार में इजाफा होने की उम्मीद भी है.

वहीं, किसानों का कहना है कि इस वर्ष सरकार की ओर से किसानों को गेहूं की फसल के अच्छे दाम मिलने पर उनकी आय दोगुणी हो सकती है. सिरमौर में आसपास के इलाकों में मंडी न होने के कारण किसानों को गेहूं बेचने के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों और शहर में जाना पड़ता है. जहां उन्हें अपनी फसलों का उचित दाम नहीं मिल पाता है.

वीडियो रिपोर्ट.

किसानों ने कहा कि जिला के नजदीकी क्षेत्रों में मंडी खुलने से किसानों को भारी मुनाफा हो सकता है और उन्हें अपनी फसलों को बेचने के लिए कहीं ओर नहीं जाना पड़ेगा.

क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक

कृषि वैज्ञानिक डॉ. पीयूष ने बताया कि वैज्ञानिक तरीकों से गेहूं की फसल की सही देखभाल करने और सतर्कता से बीजों का चयन करने से गेहूं की पैदावार को बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि गेहूं की फसल के लिए दोमट मिट्टी वाले खेत अच्छे होते हैं. इस वर्ष समय-समय पर बरसात होने से खेतों में सिंचाई की समस्या दूर हुई है.

गेहूं की फसल में रोग और उनका नियंत्रण

किसानों को समय-समय पर गेहूं की फसल में लगने वाले रोगों की जानकारियां कृषि वैज्ञानिक दे रहे हैं. इस वर्ष फसल की पैदावार अच्छी है, लेकिन फिर भी किसानों को फसलों के प्रति संयम बरतना चाहिए. उन्होंने कहा कि खड़ी फसलों में अल्टरनेरिया, काली गेरुई और भूरी गेरुई जैसे कई रोग भी लग जाते है और इनसे फसलों को भारी नुकसान हो सकता है.

फसलों को रोगों से बचाने के लिए करें यह उपाय

डॉ. पीयूष ने बताया कि इन्हें रोकने के लिए किसानों को फसलों में 2 किलोग्राम मैन्कोजेब या 0.5 लीटर जिनेब 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टर पर छिड़काव करना चाहिए. इससे फसलों में रोगों पर रोक लगेगी और फसल भी अच्छी तैयार होगी. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक खेती से किसानों को भारी फायदा हो रहा है और इसके लिए किसानों में जागरूकता होना बहुत अवश्यक है.

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