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सिरमौर के पांवटा में सड़कें बनी तालाब, अधिकारी गिनवा रहे करोड़ों के काम - Roads of Paonta Sahib

सिरमौर के पांवटा साहिब में सड़कें बदहाली के आंसू रो रही हैं. यहां सड़कें जरा सी बारिश के बाद तालाब में तबदील हो जाती हैं. आए दिन यहां पर एक्सीडेंट में लोग जान गंवा रहे हैं. इसके बावजूद शासन-प्रशासन कोई तरकीब ढूंढने को तैयार नहीं है. क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि सड़कों का निर्माण घटिया सामग्री के इस्तेमाल से हुआ है. इसकी वजह से तय समय से पहले ही सड़कें टूटकर गड्ढों में तब्दील हो गई.

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Published : Jul 3, 2021, 7:26 PM IST

सिरमौर: एक तरफ प्रदेश सरकार डबल लेन, फोर लेन सड़कों की बातें कर रही है. दूसरी तरफ प्रदेश में मौजूद सड़कें अपनी हालत पर रो रही हैं. सिरमौर की सड़कों का हाल भी कुछ ऐसा ही है. सड़कों की हालत ऐसी है कि सड़क को सड़क कहने का मन नहीं करता.

खराब सड़कों ने खोली दावों की पोल

नगर परिषद द्वारा 4 करोड़ से अधिक की लागत से सड़कें तैयार की जा रही हैं. इसमें से वार्ड नंबर 6, 12, 5 में टाइल बिछाने का कार्य पूरा हो चुका है. नेशनल हाईवे के लिए 1,352 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है. पांवटा से शिलाई-गुमा के लिए 100 करोड़ से अधिक की लागत से सड़कें तैयार की जा रही हैं. हालांकि जरा सी बारिश हो जाए तो सड़कों पर चिकनी मिट्टी पर दो पहिया वाहन चलाना मुश्किल हो जाता है. सड़क में जलभराव की समस्या उत्पन्न हो जाती है. धूप निकले तो धूल मिट्टी लोगों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन जाती है. ऐसे में जनता जनार्दन सड़कों की हालत से परेशान है.

वीडियो.

पैदल चलने वाले लोग भी हैं परेशान

नगर परिषद, पीडब्ल्यूडी, राष्ट्रीय राज्य मार्ग की सड़कें बदहाली के आंसू बहा रही हैं. सड़के कम गड्ढे ज्यादा हैं. आए दिन यहां पर एक्सीडेंट में लोग जान गवा रहे हैं. इसके बावजूद भी शासन-प्रशासन कोई बड़ी तरकीब ढूंढने को तैयार नहीं. सड़कों की दशा देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्षेत्र में विकास की क्या तस्वीर होगी. सड़कों को किसी भी क्षेत्र की लाइफ लाइन कहा जाता है. जिस क्षेत्र की लाइफ लाइन की दशा इतनी दयनीय होगी वहां की लाइफ कैसी होगी, यह सड़कें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है. सड़कों की ऐसी दुर्दशा है कि इन सड़कों पर वाहन चलाना तो दुश्वार है ही, पैदल चलना भी खतरे से खाली नहीं है.

घटिया सामग्री के इस्तेमाल का आरोप

क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि सड़कों का निर्माण घटिया सामग्री के इस्तेमाल से हुआ है. इसकी वजह से तय समय से पहले ही सड़कें टूटकर गड्ढों में तब्दील हो गई. लिहाजा लोग इन सड़कों के टूटने के मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं. क्षेत्र में सबसे ज्यादा एक्सीडेंट की वारदातों का कारण सड़कों की दयनीय हालत है. सड़कों पर जलभराव के साथ-साथ बड़े गड्ढे हादसे को न्योता दे रहे हैं. हाल ही में यहां पर सड़क की खस्ता हालत के कारण 10 लोग अपनी जान गवा चुके हैं. हादसों के बावजूद प्रशासन सुध लेने को तैयार नहीं है. राहगीरों ने बताया कि प्रशासन को कुंभकरण की नींद से जागना चाहिए. सड़कों की ओर ध्यान देना चाहिए.

सड़कों की हालत सुधारने के आदेश

आए दिन यहां पर हादसे हो रहे हैं. उसके बावजूद भी शासन प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है. सड़कों की दयनीय हालत पर लोगों को घंटो-घंटो तक इंतजार करना पड़ता है. नगर परिषद की सभी सड़कों को चाक-चौबंद बनाने के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. कार्य शुरू कर दिए गए हैं. आने वाले समय में सड़कों पर टाइलें बिछाई जाएंगी. शहर में जलभराव की समस्या उत्पन्न न हो जिसके लिए नगर परिषद पीडब्ल्यूडी और जल शक्ति विभाग की एक कमेटी बनाई गई है ताकि बरसात का सारा पानी सड़कों पर न आए. इसके साथ-साथ राष्ट्रीय राज्य मार्ग और पीडब्ल्यूडी विभाग को आदेश दिए हैं कि सड़कों की दयनीय हालत को दुरुस्त करने के लिए जल्द टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाए.

ये भी पढ़ें: खबर का असर! मेडिकल कॉलेज में शेड का निर्माण शुरू, 10 लाख रुपये आएगी लागत

सिरमौर: एक तरफ प्रदेश सरकार डबल लेन, फोर लेन सड़कों की बातें कर रही है. दूसरी तरफ प्रदेश में मौजूद सड़कें अपनी हालत पर रो रही हैं. सिरमौर की सड़कों का हाल भी कुछ ऐसा ही है. सड़कों की हालत ऐसी है कि सड़क को सड़क कहने का मन नहीं करता.

खराब सड़कों ने खोली दावों की पोल

नगर परिषद द्वारा 4 करोड़ से अधिक की लागत से सड़कें तैयार की जा रही हैं. इसमें से वार्ड नंबर 6, 12, 5 में टाइल बिछाने का कार्य पूरा हो चुका है. नेशनल हाईवे के लिए 1,352 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है. पांवटा से शिलाई-गुमा के लिए 100 करोड़ से अधिक की लागत से सड़कें तैयार की जा रही हैं. हालांकि जरा सी बारिश हो जाए तो सड़कों पर चिकनी मिट्टी पर दो पहिया वाहन चलाना मुश्किल हो जाता है. सड़क में जलभराव की समस्या उत्पन्न हो जाती है. धूप निकले तो धूल मिट्टी लोगों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन जाती है. ऐसे में जनता जनार्दन सड़कों की हालत से परेशान है.

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पैदल चलने वाले लोग भी हैं परेशान

नगर परिषद, पीडब्ल्यूडी, राष्ट्रीय राज्य मार्ग की सड़कें बदहाली के आंसू बहा रही हैं. सड़के कम गड्ढे ज्यादा हैं. आए दिन यहां पर एक्सीडेंट में लोग जान गवा रहे हैं. इसके बावजूद भी शासन-प्रशासन कोई बड़ी तरकीब ढूंढने को तैयार नहीं. सड़कों की दशा देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्षेत्र में विकास की क्या तस्वीर होगी. सड़कों को किसी भी क्षेत्र की लाइफ लाइन कहा जाता है. जिस क्षेत्र की लाइफ लाइन की दशा इतनी दयनीय होगी वहां की लाइफ कैसी होगी, यह सड़कें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है. सड़कों की ऐसी दुर्दशा है कि इन सड़कों पर वाहन चलाना तो दुश्वार है ही, पैदल चलना भी खतरे से खाली नहीं है.

घटिया सामग्री के इस्तेमाल का आरोप

क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि सड़कों का निर्माण घटिया सामग्री के इस्तेमाल से हुआ है. इसकी वजह से तय समय से पहले ही सड़कें टूटकर गड्ढों में तब्दील हो गई. लिहाजा लोग इन सड़कों के टूटने के मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं. क्षेत्र में सबसे ज्यादा एक्सीडेंट की वारदातों का कारण सड़कों की दयनीय हालत है. सड़कों पर जलभराव के साथ-साथ बड़े गड्ढे हादसे को न्योता दे रहे हैं. हाल ही में यहां पर सड़क की खस्ता हालत के कारण 10 लोग अपनी जान गवा चुके हैं. हादसों के बावजूद प्रशासन सुध लेने को तैयार नहीं है. राहगीरों ने बताया कि प्रशासन को कुंभकरण की नींद से जागना चाहिए. सड़कों की ओर ध्यान देना चाहिए.

सड़कों की हालत सुधारने के आदेश

आए दिन यहां पर हादसे हो रहे हैं. उसके बावजूद भी शासन प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है. सड़कों की दयनीय हालत पर लोगों को घंटो-घंटो तक इंतजार करना पड़ता है. नगर परिषद की सभी सड़कों को चाक-चौबंद बनाने के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. कार्य शुरू कर दिए गए हैं. आने वाले समय में सड़कों पर टाइलें बिछाई जाएंगी. शहर में जलभराव की समस्या उत्पन्न न हो जिसके लिए नगर परिषद पीडब्ल्यूडी और जल शक्ति विभाग की एक कमेटी बनाई गई है ताकि बरसात का सारा पानी सड़कों पर न आए. इसके साथ-साथ राष्ट्रीय राज्य मार्ग और पीडब्ल्यूडी विभाग को आदेश दिए हैं कि सड़कों की दयनीय हालत को दुरुस्त करने के लिए जल्द टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाए.

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