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लोक कलाकार जोगेंद्र हाब्बी का नाम एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज, सिरमौरी लोक नृत्य को दिलाई पहचान

सिरमौर जिले के लोक कलाकार जोगेंद्र हाब्बी का नाम जिले में लोकनृत्य प्रतियोगिता में लगातार दस बार प्रथम स्थान प्राप्त करने पर एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है. इस कीर्तिमान से सिरमौर के लोक नृत्य को विश्व स्तर पर विशिष्ट पहचान मिली है और गायब होती लोक विधाओं को पुनर्जीवन मिला है.

Sirmaur Folk artist Jogendra Habby name entered in Asia Book of Records.
लोक कलाकार जोगेंद्र हाब्बी का नाम एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज.
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Published : May 14, 2023, 12:21 PM IST

Updated : May 14, 2023, 1:26 PM IST

सिरमौरी लोक नृत्य को जोगेंद्र हाब्बी ने दिलाई नई पहचान.

नाहन: जिला सिरमौर के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोक कलाकार जोगेंद्र हाब्बी ने निदेशालय भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा जिला सिरमौर में प्रतिवर्ष आयोजित की जा रही लोक नृत्य प्रतियोगिता में लगातार दस बार प्रथम स्थान प्राप्त कर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करवाकर लोक नृत्य के क्षेत्र में ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया है. उपरोक्त दोनों रिकॉर्ड्स हाब्बी ने लगातार एक ही विभाग द्वारा एक ही व्यक्ति के नेतृत्व एवं निर्देशन में लोक नृत्य प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त करके बनाए हैं.

एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज होने पर हाब्बी को दी बधाई: इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की विशेषज्ञ समिति ने हाब्बी को बधाई देते हुए उनकी मेहनत और लग्न से प्रथम स्थान बरकरार रखने के लिए सराहना की. कुछ समय पूर्व ही हाब्बी का इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज हुआ था और अब एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी नाम दर्ज कर चुके हैं, जिससे जिला सिरमौर की लोक संस्कृति का विश्व स्तर पर पहचान व मान और अधिक बढ़ा है.

विभिन्न लोक विधाओं को नृत्य में पेश करते हैं हाब्बी: जोगेंद्र हाब्बी ने इन दोनों रिकॉर्ड्स का श्रेय अपने गुरु पद्मश्री विद्यानंद सरैक व सहयोगी कलाकारों को दिया. हाब्बी ने कहा कि हमारा दल सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में जिला सिरमौर का आदिकालीन ठोडा नृत्य, ढीली नाटी, रिहाल्टी गी, दीपक नृत्य, परात नृत्य, सिरमौरी मुंजरा, रासा व हुड़ग नृत्य, झुरी, सिंहटू तथा भड़ाल्टू नृत्य आदि लोक विधाओं को कोरियोग्राफ कर व समय सीमा में बांधकर एक गुलदस्ते के रूप में सिरमौरी हाटी जनजातीय संस्कृति के वास्तविक स्वरूप को प्रस्तुत करता आया है.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कर चुके हैं जीत दर्ज: हाब्बी दल का नेतृत्व एवं निर्देशन करते हुए स्वयं भी मुख्य लोक नर्तक के रूप में सांस्कृतिक दल की अगुवाई करते आए हैं. उन्होंने बताया कि निसंदेह जिला सिरमौर की संस्कृति में एक कशिश व आकर्षण है तथा पद्मश्री विद्यानंद सरैक द्वारा गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत सिखाई गई लोकनृत्य विधाओं के कलाकारों ने अपने हुनर से लगातार दस बार जिला स्तर पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया है. इसके अलावा इन्हीं लोक कलाकारों के दल ने विभिन्न विभागों व संस्थानों द्वारा आयोजित लोकनृत्य प्रतिस्पर्धाओं में आठ बार राज्य स्तर पर एक बार राष्ट्रीय स्तर पर तथा एक बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जीत हासिल कर सिरमौरी संस्कृति का लोहा मनवाया है.

संस्कृति विभाग का जताया आभार: जोगेंद्र हाब्बी ने सभी कलाकारों की ओर से निदेशक भाषा एवं संस्कृति विभाग और जिला भाषा अधिकारी का इस प्रकार की लोक नृत्य प्रतियोगिताएं आयोजित कर कलाकारों को अपना हुनर दिखाने का अवसर प्रदान करने के लिए आभार व्यक्त करते कहा कि हम सदैव इसी प्रकार हिमाचल व सिरमौर जनपद की समृद्ध संस्कृति को विश्व स्तर पर और अधिक पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत रहेंगे. हाब्बी ने आसरा व चूड़ेश्वर मंडल के सभी कलाकारों का विशेष आभार व्यक्त किया, जिन्होंने लगातार मेहनत से प्रथम पुरस्कार को अब तक लगातार बरकरार रखा है.

इन कलाकारों के सहयोग से रिकॉर्ड दर्ज: जोगेंद्र हाब्बी ने बताया कि दस-बारह वर्षों से आयोजित की जा रही इन प्रतियोगिताओं में लगभग साठ से अधिक लोक कलाकारों ने उनके नेतृत्व में लोक नृत्य प्रतिस्पर्धा में भाग लिया. जिसमें उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित प्रसिद्ध लोक कलाकार गोपाल हाब्बी, प्रदेश के जाने-माने लोक गायक धर्मपाल चौहान व रामलाल वर्मा और सरोज ने दस बार भाग लेकर लगातार प्रथम स्थान बरकरार रखने में भरपूर सहयोग दिया.

ये भी पढे़ं: सिरमौरी संस्कृति को बचाने में जुटे कलाकार, जालग में हो रहा भड़ाल्टू नृत्य के परिधानों का निर्माण

सिरमौरी लोक नृत्य को जोगेंद्र हाब्बी ने दिलाई नई पहचान.

नाहन: जिला सिरमौर के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोक कलाकार जोगेंद्र हाब्बी ने निदेशालय भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा जिला सिरमौर में प्रतिवर्ष आयोजित की जा रही लोक नृत्य प्रतियोगिता में लगातार दस बार प्रथम स्थान प्राप्त कर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करवाकर लोक नृत्य के क्षेत्र में ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया है. उपरोक्त दोनों रिकॉर्ड्स हाब्बी ने लगातार एक ही विभाग द्वारा एक ही व्यक्ति के नेतृत्व एवं निर्देशन में लोक नृत्य प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त करके बनाए हैं.

एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज होने पर हाब्बी को दी बधाई: इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की विशेषज्ञ समिति ने हाब्बी को बधाई देते हुए उनकी मेहनत और लग्न से प्रथम स्थान बरकरार रखने के लिए सराहना की. कुछ समय पूर्व ही हाब्बी का इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज हुआ था और अब एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी नाम दर्ज कर चुके हैं, जिससे जिला सिरमौर की लोक संस्कृति का विश्व स्तर पर पहचान व मान और अधिक बढ़ा है.

विभिन्न लोक विधाओं को नृत्य में पेश करते हैं हाब्बी: जोगेंद्र हाब्बी ने इन दोनों रिकॉर्ड्स का श्रेय अपने गुरु पद्मश्री विद्यानंद सरैक व सहयोगी कलाकारों को दिया. हाब्बी ने कहा कि हमारा दल सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में जिला सिरमौर का आदिकालीन ठोडा नृत्य, ढीली नाटी, रिहाल्टी गी, दीपक नृत्य, परात नृत्य, सिरमौरी मुंजरा, रासा व हुड़ग नृत्य, झुरी, सिंहटू तथा भड़ाल्टू नृत्य आदि लोक विधाओं को कोरियोग्राफ कर व समय सीमा में बांधकर एक गुलदस्ते के रूप में सिरमौरी हाटी जनजातीय संस्कृति के वास्तविक स्वरूप को प्रस्तुत करता आया है.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कर चुके हैं जीत दर्ज: हाब्बी दल का नेतृत्व एवं निर्देशन करते हुए स्वयं भी मुख्य लोक नर्तक के रूप में सांस्कृतिक दल की अगुवाई करते आए हैं. उन्होंने बताया कि निसंदेह जिला सिरमौर की संस्कृति में एक कशिश व आकर्षण है तथा पद्मश्री विद्यानंद सरैक द्वारा गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत सिखाई गई लोकनृत्य विधाओं के कलाकारों ने अपने हुनर से लगातार दस बार जिला स्तर पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया है. इसके अलावा इन्हीं लोक कलाकारों के दल ने विभिन्न विभागों व संस्थानों द्वारा आयोजित लोकनृत्य प्रतिस्पर्धाओं में आठ बार राज्य स्तर पर एक बार राष्ट्रीय स्तर पर तथा एक बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जीत हासिल कर सिरमौरी संस्कृति का लोहा मनवाया है.

संस्कृति विभाग का जताया आभार: जोगेंद्र हाब्बी ने सभी कलाकारों की ओर से निदेशक भाषा एवं संस्कृति विभाग और जिला भाषा अधिकारी का इस प्रकार की लोक नृत्य प्रतियोगिताएं आयोजित कर कलाकारों को अपना हुनर दिखाने का अवसर प्रदान करने के लिए आभार व्यक्त करते कहा कि हम सदैव इसी प्रकार हिमाचल व सिरमौर जनपद की समृद्ध संस्कृति को विश्व स्तर पर और अधिक पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत रहेंगे. हाब्बी ने आसरा व चूड़ेश्वर मंडल के सभी कलाकारों का विशेष आभार व्यक्त किया, जिन्होंने लगातार मेहनत से प्रथम पुरस्कार को अब तक लगातार बरकरार रखा है.

इन कलाकारों के सहयोग से रिकॉर्ड दर्ज: जोगेंद्र हाब्बी ने बताया कि दस-बारह वर्षों से आयोजित की जा रही इन प्रतियोगिताओं में लगभग साठ से अधिक लोक कलाकारों ने उनके नेतृत्व में लोक नृत्य प्रतिस्पर्धा में भाग लिया. जिसमें उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित प्रसिद्ध लोक कलाकार गोपाल हाब्बी, प्रदेश के जाने-माने लोक गायक धर्मपाल चौहान व रामलाल वर्मा और सरोज ने दस बार भाग लेकर लगातार प्रथम स्थान बरकरार रखने में भरपूर सहयोग दिया.

ये भी पढे़ं: सिरमौरी संस्कृति को बचाने में जुटे कलाकार, जालग में हो रहा भड़ाल्टू नृत्य के परिधानों का निर्माण

Last Updated : May 14, 2023, 1:26 PM IST
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