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सिरमौर के इस दंपति ने प्राकृतिक खेती कर बनाई अलग पहचान, दूसरों के लिए बने प्रेरणा

प्राकृतिक खेती कर सिरमौर जिले के एक दंपति ने अपनी अलग पहचान बनाई है. पिछले तीन सालों से पांवटा साहिब के रंजीत सिंह और उनकी धर्मपत्नी जसविंदर कौर जीरो बजट खेती कर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं. इन्होंने 4 बीघा भूमि पर बगीजा तैयार किया है और कई प्रकार के पौधे उगाए हैं. इस दंपति ने सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण लिया और उसके बाद उन्होंने इस खेती को पूरी तरह से अपना लिया. (advantages of natural farming) (natural farming in Paonta Sahib) (Subhash Palekar Natural Farming)

natural farming in Paonta Sahib
natural farming in Paonta Sahib
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Published : Feb 22, 2023, 10:43 PM IST

Updated : Feb 23, 2023, 2:53 PM IST

प्राकृतिक खेती कर शून्य लागत में अच्छी आमदनी कमा रहा दंपति

नाहन: कृषि को यदि व्यवसाय के तौर पर किया जाए, तो इसमें भी अच्छी आमदनी कमाई जा सकती है. इस पर यदि खेती प्राकृतिक तौर की जाए, तो शून्य लागत में अच्छी आमदनी के द्वार खुल सकते हैं. ऐसा ही एक शानदार प्रयास पांवटा साहिब के निहालगढ़ के रहने वाले दंपति ने पेश किया है, जो अब अपने प्राकृतिक खेती के उत्पादों को बेच कर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं.

दरअसल निहालगढ़ पंचायत के गांव कांशीपुर के रंजीत सिंह और उनकी धर्मपत्नी जसविंदर कौर ने अपनी करीब 4 से 5 बीघा भूमि को एक एक बगीचे में तब्दील कर उसमें प्राकृतिक खेती से जहां अनेक प्रकार के फलों को उगाया है, तो वहीं, गेहूं इत्यादि भी इसी विधि से तैयार कर रहे हैं. यही नहीं अपने खेतों में उगाए फलों जैसे पपीता, नींबू, केले, सहित कई प्रकार के फलों को पांवटा साहिब गुरुद्वारा के पास केनोपी लगाकर विक्रय भी कर रहे हैं. इसके अलावा अपने बगीचे में तैयार नींबू का आचार, लहसुन का आचार व गन्ने से बनी शक्कर भी बेच रहे हैं. लोग उनके उत्पादों को घर आकर भी ले जाते हैं.

पांवटा साहिब में रंजीत सिंह और उनकी धर्मपत्नी जसविंदर कौर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं
पांवटा साहिब में रंजीत सिंह और उनकी धर्मपत्नी जसविंदर कौर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं

किसान रंजीत सिंह ने बताया कि पहले वह रासायनिक तरीके से खेती करते थे, जिसमें लागत भी बहुत अधिक आती थी, लेकिन पिछले 3-4 वर्षों से वह लोग प्राकृतिक खेती से फसल उगा रहे हैं और इसके परिणाम बेहतर आ रहे हैं. लोग घर से भी सामान खरीदकर ले जाते हैं. उन्होंने बताया कि जब वह रासायनिक तरीके से खेती करते थे, तो खर्चा 15 से 20 हजार आता था, लेकिन अब यह खर्चा शून्य है. इससे उनके मन को भी सुकून है कि वह लोगों को जहरमुक्त उत्पाद बेच रहे हैं. आज उनके उत्पाद अच्छे दामों पर बिक रहे हैं. पहले नींबू 20-25 रुपये ही किलो बिकता था, लेकिन अब प्राकृतिक तरीके से उगाए जा रहे नींबू के सर्दियों के मौसम में भी 50 से 60 रुपये किलो दाम मिल रहे हैं.

प्राकृतिक खेती कर शून्य लागत में अच्छी आमदनी कमा रहे हैं
प्राकृतिक खेती कर शून्य लागत में अच्छी आमदनी कमा रहे हैं

उन्होंने बताया कि इस कार्य में उन्हें आत्मा प्रोजेक्ट के अधिकारियों का भी काफी सहयोग मिला है. उन्हें तकनीकी जानकारियां दी गईं साथ ही केनोपी व विक्रय स्थान भी उपलब्ध कराया गया है. साथ ही कई कार्यों में सरकार व विभाग ने मदद की है. अब उनको कोई समस्या नहीं आ रही है. रोजाना करीब 1 हजार रुपये की आमदनी हो रही है. साथ ही विभाग समय-समय पर पूरा सहयोग कर रहा है.

अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बने रंजीत सिंह और उनकी धर्मपत्नी जसविंदर कौर
अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बने रंजीत सिंह और उनकी धर्मपत्नी जसविंदर कौर

वहीं, रंजीत सिंह की धर्मपत्नी जसविंदर कौर ने बताया कि अपने उत्पादों को घर में बनाकर वह पांवटा साहिब में भी बेचने ले जाते हैं. इससे उनकी आमदनी भी बढ़ी है और लोगों को भी जहरमुक्त उत्पाद मिल रहे हैं. जसविंदर कौर ने बताया कि उन्होंने पहले सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण लिया और उसके बाद उन्होंने इस खेती को पूरी तरह से अपना लिया और आज आचार से लेकर फल, शक्कर आदि सभी अच्छे दामों पर बिक रहे हैं. स्थानीय लोगों के अलावा पड़ोसी राज्य से भी लोग उनके यहां उत्पाद खरीदने पहुंचते हैं.

दंपति ने कई तरह के पौधे अपने बगीचे में लगाए हैं
दंपति ने कई तरह के पौधे अपने बगीचे में लगाए हैं

उधर गांव कांशीपुर में रंजीत सिंह के खेतों का भ्रमण करने पहुंचे आत्मा परियोजना के प्रोजेक्ट निदेशक डॉ. साहिब सिंह ने बताया कि किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए गाय के साथ, गौशाला का फर्श बनाने, संसाधन गृह निर्माण, जिसमें उत्पाद रखे जाते हैं, पर सब्सिडी दी जाती है. इसके इलावा मार्केटिंग में भी मदद की जाती है. रंजीत सिंह ने प्राकृतिक तरीके से शानदार उदाहरण पेश करते जहां आमदनी बढ़ाने की दिशा में बेहतर प्रयास किया है, तो वहीं अन्य किसानों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए कि कैसे किसान शून्य लागत खेती अपनाकर अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं. कुल मिलाकर पांवटा साहिब का यह किसान दंपति आज कृषि से अपनी आर्थिकी को मजबूत बना रहा है और साथ ही अन्य किसानों को प्रेरणा दे रहा है कि यदि दृढ़ निश्चय हो तो कोई भी काम अंसभव नहीं है.

ये भी पढ़ें: सुखविंदर सरकार ने एक ही दिन में बदले 18 खंड विकास अधिकारी, एक अफसर को नई पोस्टिंग

प्राकृतिक खेती कर शून्य लागत में अच्छी आमदनी कमा रहा दंपति

नाहन: कृषि को यदि व्यवसाय के तौर पर किया जाए, तो इसमें भी अच्छी आमदनी कमाई जा सकती है. इस पर यदि खेती प्राकृतिक तौर की जाए, तो शून्य लागत में अच्छी आमदनी के द्वार खुल सकते हैं. ऐसा ही एक शानदार प्रयास पांवटा साहिब के निहालगढ़ के रहने वाले दंपति ने पेश किया है, जो अब अपने प्राकृतिक खेती के उत्पादों को बेच कर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं.

दरअसल निहालगढ़ पंचायत के गांव कांशीपुर के रंजीत सिंह और उनकी धर्मपत्नी जसविंदर कौर ने अपनी करीब 4 से 5 बीघा भूमि को एक एक बगीचे में तब्दील कर उसमें प्राकृतिक खेती से जहां अनेक प्रकार के फलों को उगाया है, तो वहीं, गेहूं इत्यादि भी इसी विधि से तैयार कर रहे हैं. यही नहीं अपने खेतों में उगाए फलों जैसे पपीता, नींबू, केले, सहित कई प्रकार के फलों को पांवटा साहिब गुरुद्वारा के पास केनोपी लगाकर विक्रय भी कर रहे हैं. इसके अलावा अपने बगीचे में तैयार नींबू का आचार, लहसुन का आचार व गन्ने से बनी शक्कर भी बेच रहे हैं. लोग उनके उत्पादों को घर आकर भी ले जाते हैं.

पांवटा साहिब में रंजीत सिंह और उनकी धर्मपत्नी जसविंदर कौर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं
पांवटा साहिब में रंजीत सिंह और उनकी धर्मपत्नी जसविंदर कौर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं

किसान रंजीत सिंह ने बताया कि पहले वह रासायनिक तरीके से खेती करते थे, जिसमें लागत भी बहुत अधिक आती थी, लेकिन पिछले 3-4 वर्षों से वह लोग प्राकृतिक खेती से फसल उगा रहे हैं और इसके परिणाम बेहतर आ रहे हैं. लोग घर से भी सामान खरीदकर ले जाते हैं. उन्होंने बताया कि जब वह रासायनिक तरीके से खेती करते थे, तो खर्चा 15 से 20 हजार आता था, लेकिन अब यह खर्चा शून्य है. इससे उनके मन को भी सुकून है कि वह लोगों को जहरमुक्त उत्पाद बेच रहे हैं. आज उनके उत्पाद अच्छे दामों पर बिक रहे हैं. पहले नींबू 20-25 रुपये ही किलो बिकता था, लेकिन अब प्राकृतिक तरीके से उगाए जा रहे नींबू के सर्दियों के मौसम में भी 50 से 60 रुपये किलो दाम मिल रहे हैं.

प्राकृतिक खेती कर शून्य लागत में अच्छी आमदनी कमा रहे हैं
प्राकृतिक खेती कर शून्य लागत में अच्छी आमदनी कमा रहे हैं

उन्होंने बताया कि इस कार्य में उन्हें आत्मा प्रोजेक्ट के अधिकारियों का भी काफी सहयोग मिला है. उन्हें तकनीकी जानकारियां दी गईं साथ ही केनोपी व विक्रय स्थान भी उपलब्ध कराया गया है. साथ ही कई कार्यों में सरकार व विभाग ने मदद की है. अब उनको कोई समस्या नहीं आ रही है. रोजाना करीब 1 हजार रुपये की आमदनी हो रही है. साथ ही विभाग समय-समय पर पूरा सहयोग कर रहा है.

अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बने रंजीत सिंह और उनकी धर्मपत्नी जसविंदर कौर
अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बने रंजीत सिंह और उनकी धर्मपत्नी जसविंदर कौर

वहीं, रंजीत सिंह की धर्मपत्नी जसविंदर कौर ने बताया कि अपने उत्पादों को घर में बनाकर वह पांवटा साहिब में भी बेचने ले जाते हैं. इससे उनकी आमदनी भी बढ़ी है और लोगों को भी जहरमुक्त उत्पाद मिल रहे हैं. जसविंदर कौर ने बताया कि उन्होंने पहले सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण लिया और उसके बाद उन्होंने इस खेती को पूरी तरह से अपना लिया और आज आचार से लेकर फल, शक्कर आदि सभी अच्छे दामों पर बिक रहे हैं. स्थानीय लोगों के अलावा पड़ोसी राज्य से भी लोग उनके यहां उत्पाद खरीदने पहुंचते हैं.

दंपति ने कई तरह के पौधे अपने बगीचे में लगाए हैं
दंपति ने कई तरह के पौधे अपने बगीचे में लगाए हैं

उधर गांव कांशीपुर में रंजीत सिंह के खेतों का भ्रमण करने पहुंचे आत्मा परियोजना के प्रोजेक्ट निदेशक डॉ. साहिब सिंह ने बताया कि किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए गाय के साथ, गौशाला का फर्श बनाने, संसाधन गृह निर्माण, जिसमें उत्पाद रखे जाते हैं, पर सब्सिडी दी जाती है. इसके इलावा मार्केटिंग में भी मदद की जाती है. रंजीत सिंह ने प्राकृतिक तरीके से शानदार उदाहरण पेश करते जहां आमदनी बढ़ाने की दिशा में बेहतर प्रयास किया है, तो वहीं अन्य किसानों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए कि कैसे किसान शून्य लागत खेती अपनाकर अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं. कुल मिलाकर पांवटा साहिब का यह किसान दंपति आज कृषि से अपनी आर्थिकी को मजबूत बना रहा है और साथ ही अन्य किसानों को प्रेरणा दे रहा है कि यदि दृढ़ निश्चय हो तो कोई भी काम अंसभव नहीं है.

ये भी पढ़ें: सुखविंदर सरकार ने एक ही दिन में बदले 18 खंड विकास अधिकारी, एक अफसर को नई पोस्टिंग

Last Updated : Feb 23, 2023, 2:53 PM IST
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