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नाहन में ट्रेड यूनियनों का हल्ला बोल, केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी

वीरवार को नाहन में भी विभिन्न संगठनों ने धरना प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. बता दें कि देशव्यापी आंदोलन के तहत आज सभी ब्लॉकों व स्थानीय स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं. नाहन में भी सैंकड़ों मजदूर सड़कों पर उतरकर केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश सरकार की मजदूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ हल्ला बोल रहे हैं.

protest of trade unions in Nahan
protest of trade unions in Nahan
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Published : Nov 26, 2020, 5:47 PM IST

Updated : Dec 9, 2020, 8:50 PM IST

नाहन: केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के संयुक्त मंच, किसान सभा, एसएफआई द्वारा आज देश व्यापी आंदोलन का आह्वान किया गया था, जिसके तहत नाहन में भी विभिन्न संगठनों ने धरना प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

देशव्यापी आंदोलन के तहत आज सभी ब्लॉकों व स्थानीय स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं. नाहन में भी सैंकड़ों मजदूर सड़कों पर उतरकर केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश सरकार की मजदूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ हल्ला बोल रहे हैं.

वीडियो.

'मजदूर विरोधी निर्णय'

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार पूंजीपतियों के हित में कार्य कर रही है व मजदूर विरोधी निर्णय ले रही है. पिछले सौ साल के अंतराल में बने 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताएं अथवा लेबर कोड बनाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.

उन्होंने कहा कि जिला के पांवटा साहिब में किसानों द्वारा जो फसलें बेची गयी थी उन फसलों के पैसे किसानों को वर्ष भर का समय बीतने के बाद भी नही मिले है, जिससे साफ जाहिर होता है कि केन्द्र सरकार किसानों की हितेषी नहीं है

नाहन: केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के संयुक्त मंच, किसान सभा, एसएफआई द्वारा आज देश व्यापी आंदोलन का आह्वान किया गया था, जिसके तहत नाहन में भी विभिन्न संगठनों ने धरना प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

देशव्यापी आंदोलन के तहत आज सभी ब्लॉकों व स्थानीय स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं. नाहन में भी सैंकड़ों मजदूर सड़कों पर उतरकर केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश सरकार की मजदूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ हल्ला बोल रहे हैं.

वीडियो.

'मजदूर विरोधी निर्णय'

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार पूंजीपतियों के हित में कार्य कर रही है व मजदूर विरोधी निर्णय ले रही है. पिछले सौ साल के अंतराल में बने 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताएं अथवा लेबर कोड बनाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.

उन्होंने कहा कि जिला के पांवटा साहिब में किसानों द्वारा जो फसलें बेची गयी थी उन फसलों के पैसे किसानों को वर्ष भर का समय बीतने के बाद भी नही मिले है, जिससे साफ जाहिर होता है कि केन्द्र सरकार किसानों की हितेषी नहीं है

Last Updated : Dec 9, 2020, 8:50 PM IST
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