पांवटा साहिब: देश व प्रदेश कोरोना महामारी से जूझ रहा है. वहीं, जिला सिरमौर में पांवटा साहिब के पातलियो गांव में रहने वाला राठौर परिवार गरीबी, बीमारी और लाचारी से जूझ रहा है. इस गरीब परिवार का छोटा बेटा सार्थक 9 सालों से मौत का मात देता आ रहा है. कोरोना महामारी भले ही परिवार का हौसला टूट गया हो, लेकिन नौ साल का सार्थक अभी भी अपनी बीमारी से मजबूती से लड़ रहा है.
कोरोना काल में आई दुश्वारियां भी उसे नहीं तोड़ पाई. दरअसल नौ साल का सार्थक एक किडनी के साथ पैदा हुआ था. कुछ सालों बाद उसकी उस किडनी में संक्रमण फैल गया. इसके साथ ही सार्थक को शुगर की बीमारी ने भी घेर लिया. सार्थक के बचने की डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन उसकी मां ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने तीन महीने तक सार्थक का पीजीआई चंडीगढ़ में इलाज करवाया.
सार्थक के माता पिता बेटे की बीमारी के साथ साथ गरीबी से भी जूझ रहे हैं. पैसों की कमी के कारण सार्थक को उसके माता पिता पिछले तीन सालों से अस्पताल नहीं ले जा सके हैं. लकॉकडाउन में हालात और भी खराब हो गए हैं. सार्थक को जिंदा रहने के लिए रोजाना इंजेक्शन लेना पड़ता है. डॉक्टरों ने साफ कहा कि दवाई चलती रहेगी तो सार्थक की सांसें चलती रहेंगी, लेकिन लॉकडाउन में काम बंद होने के कारण माता-पिता के पास दवाई खरीदने के भी पैसे नहीं हैं. वहीं, अब ये परिवार मदद की गुहार लगा रहा है.
सार्थक की मां ललिता राठौर ने कहा कि पिछले 3 सालों से वह सार्थक को पैसों की कमी के चलते पीजीआई चंडीगढ़ नहीं ले जा पाए हैं. उन्होंने कहा कि पीजीआई ने भी साफ कर दिया है कि दवाई देने तक सार्थक की सांसें भी चलती रहेंगी. कई बार तबीयत खराब होने पर सार्थक को नजदीक के सरकारी अस्पताल ले जाया जाता है, लेकिन इस मासूम को दवा के साथ अच्छे इलाज की सख्त जरूरत है ताकि ये मुस्कुराहट यूं ही बरकरार रहे.
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