पावंटा साहिब: हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर मतदान हो चुका है.अब सभी को 8 दिंसबर का इंतजार है. जब मतगणना होगी और पता चलेगा इस बार कौन विधानसभा जाकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेगा. (himachal assembly election 2022)
75 फीसदी मतदान: 12 नवंबर को वोटिंग की बात की जाए तो यहां पर 103 बूथ पर 65 हजार 249 मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया, जिसमें 34092 महिलाएं 31156 पुरुष मतदाता हैं. वोटिंग प्रतिशत यहां पर करीब 75 प्रतिशत रहा. यहा कुल मतदाताओं की संख्या 84872 है. (75 percent polling in Paonta)
9 प्रत्याशियों में मुकाबला: पांवटा विधानसभा सीट पर भाजपा के उर्जा मंत्री सुखराम चौधरी की साख दांव पर लगी हुई है. वहीं कांग्रेस से किरनेश जंग, आम आदमी पार्टी से मनीष ठाकुर,आजाद प्रत्याशी मनीष तोमर, रोशन शास्त्री, सुनील चौधरी,सीमा, अश्वनी वर्मा, आदि प्रत्याशी रणभूमि में उतरे हैं. (Paonta assembly elections)
आजाद उम्मीदवार बिगाड़ सकते खेल: सिरमौर जिले की इस सीट पर आजाद प्रत्याशी भाजपा और कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते है. इसलिए भाजपा-कांग्रेस जीत का दावा तो कर रही, लेकिन कौन जीतेगा यह साफ 8 दिसंबर को होगा. वहीं, माना जा रहा है कि चार दावेदारों में फैसला होगा. इनमे मंत्री सुखराम चौधरी , कांग्रेस के किरनेश जंग,मनीष ठाकुर ,रोशन शास्त्री को मजबूत दावेदार माना जा रहा है.
नेताओं का चुनावी इतिहास: भाजपा प्रत्याशी सुखराम चौधरी की बात की जाए तो 3 बार विधायक बन चुके हैं और दो बार चुनाव हार चुके हैं. 2008 में सुखराम चौधरी सीपीएस बने थे. 2020 में ऊर्जा मंत्री का पद उन्हें मिला. सुखराम चौधरी बहाती बिरादरी से संबंध रखते हैं और पांवटा साहिब में बहाती बिरादरी का सबसे ज्यादा वोट बैंक है. किरनेश जंग की बात की जाए तो 1 बार विधायक रह चुके हैं और 2 बार चुनाव हार चुके हैं ,लेकिन इस बार पांवटा साहिब में कांग्रेस एक धागे पर नजर आ रही है ,जिसके चलते फिर किरनेश जंग भी काफी मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं.
मनीष ठाकुर और रोशन शास्त्री बिगाड़ सकते खेल: मनीष ठाकुर हिमाचल में कांग्रेस का युवा चेहरा रहे, लेकिन उन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन थाम कर चुनाव लड़ा. युवाओं में लोकप्रिय होने के चलते वह कांग्रेस-भाजपा का गणित बिगाड़ सकते है. वहीं, आजाद प्रत्याशी रोशन शास्त्री की बात की जाए तो उन्होंने अध्यापक का पद छोड़कर चुनाव लड़ा. इसलिए उनकी भी घर-घर तक पहुंच है. और वह भी बहाती बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं. जब वह चुनावी मैदान में उतरे तो भाजपा कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में पार्टी से त्यागपत्र देकर उनपर भरोसा जताया था. इसलिए पांवटा साहिब में इस बार कौन जीतेगा इसकी तस्वीर 8 दिसंबर को ही साफ हो पाएगी.
ये भी पढ़ें : सराज मतदान करने में दूसरे नंबर पर, सीएम जयराम के बूथ पर महिलाओं ने की वोटिंग ज्यादा