नाहन: सिरमौर जिले में दुग्ध उत्पादन में करीब 50 प्रतिशत तक की गिरावट आई है. इसकी बड़ी वजह लंपी वायरस है. इस रोग से संक्रमित होने के बाद पशुधन ने दूध देना कम कर दिया है. उदाहरण के तौर पर पहले एक गाय दिन में 4 लीटर दूध देती थी, तो वहीं संक्रमित होने के बाद 2 मीटर दूध भी मुश्किल से ही मिल पा रहा है. खुद पशुपालन विभाग भी इस बात को स्वीकार कर रहा है और पशुपालकों की तरफ से इस तरह की शिकायतें मिलने की बात भी कर रहा है. हालांकि नाहन के कांशीवाला मिल्क प्लांट में इसका थोड़ा असर देखने को मिला है. यहां भी 1 से 2 प्रतिशत दूध कम हुआ है.
मिल्क प्लांट में सोसायटियों के माध्यम से दूध पहुंचता है. नाहन शहर में अधिकतर दूध की सप्लाई प्राइवेट डेयरी के माध्यम से हरियाणा के रसूलपुर आदि से होती थी. यहां से भी पर्याप्त मात्रा में गाय का दूध की आपूर्ति नहीं हो रही है. इसमें भी तकरीबन 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. बड़ी बात यह है कि भैंसों के दूध की मांग भी काफी बढ़ी है, क्योंकि लंपी रोग से लोगों के बीच अब भी खौफ बना हुआ है.(Milk production decreased in Sirmaur).
सिरमौर जिला पशुपालन विभाग की उपनिदेशक डॉ. नीरू शबनम ने बताया कि वर्तमान में लंपी रोग के मामले बहुत कम हुए है. अब प्रतिदिन 2 से 3 मामले ही सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि करीब 5 महीने पहले हिमाचल सहित सिरमौर जिले में भी इसका प्रकोप बढ़ा था. अब तक जिला में करीब 20 हजार पशु इस रोग की चपेट में आए हैं. इसमें से करीब 1500 पशुओं की मौत भी हुई है. वहीं, 16 हजार पशु स्वस्थ हुए हैं.उन्होंने बताया कि वर्तमान में करीब 1800 मामले अब भी जिला में एक्टिव हैं, क्योंकि यह बीमारी लंबा समय लेती है. राहत की बात यह है कि मामले अब बहुत कम हैं और एक्टिव मामले भी रिकवरी की तरफ हैं.
उपनिदेशक डॉ. शबनम ने बताया कि रोग से ग्रस्ति पशुओं में कमजोरी आती है. इसके कारण दूध उत्पादन काफी कम हुआ है. जैसे कोई गाय 4 से 5 लीटर दूध दे रही थी, वह दो से अढ़ाई लीटर पर पहुंच गई हैं. इस संबंध में बहुत से पशुपालकों की शिकायत भी विभाग को मिली हैं. उन्होंने पशुपालकों से आहवान किया कि रोग से ग्रस्ति पशुओं के रिकवरी के बाद उनकी देखभाल करने की बेहद आवश्यकता है. फीडिंग की तरफ विशेष तौर पर ध्यान देना होगा. यदि पशुपालक ऐसा करते हैं तो दोबारा से पशुधन दुग्ध उत्पादन में पहले की तरह आ जाएगा.
दूसरी तरफ बनेठी के गौंथ गांव की निवासी माया देवी, घुंड गांव के ओम प्रकाश, बनेठी के राकेश, बनाह के विनय ने भी बताया कि पहले गाय दिन में 30 से 4 लीटर दूध देती थी, लेकिन बीमारी के बाद अब दो लीटर भी दूध मुश्किल से मिल रहा है. कामोवश यही स्थिति जिले के अन्य क्षेत्रों में भी देखी जा रही है. वहीं, शहर में चल रही प्राइवेट डेयरियों में भी दूध की कम आपूर्ति हो रही है. डेयरी संचालक सुनील शर्मा ने बताया कि लंपी रोग से पहले हरियाणा से करीब 1 क्विंटल दूध की आपूर्ति होती थी, जो अब 50 प्रतिशत तक ही सिमटकर रह गई है. लंपी रोग के चलते भैंस के दूध की बिक्री अधिक बढ़ी है.
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