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कोरोना काल में ठंडी पड़ी ईंट की भट्टियां, हजारों मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट - migrant labourers in Brick kilns

कोरोना महामारी छोटे से लेकर बड़े कारोबारियों की रोजी-रोटी पर संकट बनकर खड़ी है. हर कारोबार, हर व्यापारी और खासकर मजदूर वर्ग पर कोरोना महामारी की सबसे ज्यादा मार पड़ी है. जिला सिरमौर के पावंटा साहिब में ईंट की भट्टियों में काम करने वाले मजदूरों और भट्टियों के मालिकों के हालात काफी दयनीय हो गए हैं.

loss to brick dealers
डिजाइन फोटो.
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Published : Jun 30, 2020, 1:47 PM IST

Updated : Jun 30, 2020, 5:11 PM IST

पावंटा साहिब: लॉकडाउन के दौरान पांवटा साहिब में ईंट की भट्टियां चलाने वाले कारोबारियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा. बीते तीन महीने से भट्टियां बंद होने के चलते इनमें काम करने वाले मजदूरों का रोजगार छिन गया है. कुछ मजदूर घरों को वापिस लौट चुके हैं, जबकि कुछ भट्टी मालिकों की सहायता से गुजर बसर कर रहे हैं.

पांवटा साहिब के गुलाबगढ़, हरिपुर, पूरुवाला, बाटापूल, जामनिवाला समेत कई अन्य क्षेत्रों में ईंट की भट्टियों पर लॉकडाउन का ऐसा कहर बरपा कि सैकड़ों मजदूरों को अपने राज्य वापिस लौटना पड़ा. देशभर में अनलॉक-1 शुरू होने के बाद भी ईंट की भट्टियां बंद पड़ी हुई हैं. जिसके चलते ईंट भट्टियों के कारोबारियों को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

जिला सिरमौर के पांवटा साहिब की ईंटों की सबसे ज्यादा डिमांड पंजाब, हरियाणा समेत कई अन्य राज्यों में होती है लेकिन लॉकडाउन से बाहरी राज्यों की सीमाएं बंद होने के चलते लोकल कारोबारी इस नुकसान से उभर नहीं पा रहे हैं.

भट्टी के मालिक जगीर सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें करीब 15 लाख का नुकसान हो चुका है, जिसकी भरपाई करने के लिए तीन साल का समय लग जाएगा. घाटे के बावजूद ईंट भट्टियों के मालिक अपने मजदूरों को खाना मुहैया करवाने के साथ-साथ उनकी हर संभव सहायता कर रहे हैं, जिस वजह से बहुत से मजदूर अभी भी यहीं पर रहकर कोरोना संकट के बादल छंटने का इंतजार कर रहे हैं.

पांवटा साहिब में ईंट की भट्टियों में करीब ढाई हजार मजदूरों को रोजगार मिलता है. ऐसे में घाटे में चल रहे भट्टी मालिक ज्यादा दिन मजदूरों को खाने-पीने की सुविधाएं मुहैया नहीं करवा पाएंगे. भट्टी मालिकों को उम्मीद है कि जल्द ही कोरोना महामारी से उभरकर परिस्थितियां जल्द ही पहले जैसी हो जाएंगी.

पावंटा साहिब: लॉकडाउन के दौरान पांवटा साहिब में ईंट की भट्टियां चलाने वाले कारोबारियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा. बीते तीन महीने से भट्टियां बंद होने के चलते इनमें काम करने वाले मजदूरों का रोजगार छिन गया है. कुछ मजदूर घरों को वापिस लौट चुके हैं, जबकि कुछ भट्टी मालिकों की सहायता से गुजर बसर कर रहे हैं.

पांवटा साहिब के गुलाबगढ़, हरिपुर, पूरुवाला, बाटापूल, जामनिवाला समेत कई अन्य क्षेत्रों में ईंट की भट्टियों पर लॉकडाउन का ऐसा कहर बरपा कि सैकड़ों मजदूरों को अपने राज्य वापिस लौटना पड़ा. देशभर में अनलॉक-1 शुरू होने के बाद भी ईंट की भट्टियां बंद पड़ी हुई हैं. जिसके चलते ईंट भट्टियों के कारोबारियों को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

जिला सिरमौर के पांवटा साहिब की ईंटों की सबसे ज्यादा डिमांड पंजाब, हरियाणा समेत कई अन्य राज्यों में होती है लेकिन लॉकडाउन से बाहरी राज्यों की सीमाएं बंद होने के चलते लोकल कारोबारी इस नुकसान से उभर नहीं पा रहे हैं.

भट्टी के मालिक जगीर सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें करीब 15 लाख का नुकसान हो चुका है, जिसकी भरपाई करने के लिए तीन साल का समय लग जाएगा. घाटे के बावजूद ईंट भट्टियों के मालिक अपने मजदूरों को खाना मुहैया करवाने के साथ-साथ उनकी हर संभव सहायता कर रहे हैं, जिस वजह से बहुत से मजदूर अभी भी यहीं पर रहकर कोरोना संकट के बादल छंटने का इंतजार कर रहे हैं.

पांवटा साहिब में ईंट की भट्टियों में करीब ढाई हजार मजदूरों को रोजगार मिलता है. ऐसे में घाटे में चल रहे भट्टी मालिक ज्यादा दिन मजदूरों को खाने-पीने की सुविधाएं मुहैया नहीं करवा पाएंगे. भट्टी मालिकों को उम्मीद है कि जल्द ही कोरोना महामारी से उभरकर परिस्थितियां जल्द ही पहले जैसी हो जाएंगी.

Last Updated : Jun 30, 2020, 5:11 PM IST
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