नाहन: वर्तमान में महिलाएं महज हाउस वाईफ बनकर घर की चार दिवारी तक ही सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि जीवन में कामयाब बनने व आर्थिक संबल के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा को आजमा रही हैं. बेशक धन कमाने का कोई शॉर्ट-कट नहीं है, लेकिन हौसला और जज्बा हो तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं है. इसी के तहत नाहन के समीप देवका पुड़ला पंचायत की देवका गांव की 37 वर्षीय ज्योति शर्मा की सफलता उन महिलाओं को प्रेरित करने वाली है, जो विशुद्ध रूप से हाउस वाईफ का जीवन जी रही हैं और आर्थिक तंगी के बावजूद अपने घर-संसार तक ही सीमित हैं.
ज्योति अन्य महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा- ज्योति शर्मा का प्रयास ऐसी महिलाओं को भी प्रेरित करने वाला है, जिनके परिवार का गुजारा पति की कमाई से मुश्किल से चलता है, लेकिन वह चाहकर भी अपने परिवार की आय को बढ़ाने में मदद नहीं कर पाती हैं. वजह यह है कि हर महिला के लिए घर के बाहर निकल कर नौकरी ढूंढना इतना सरल भी नहीं है. यदि कोई नौकरी मिल भी जाए तो महिला को अपनी प्रकृति और शोक के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है. साथ ही पारिवारिक जिम्मेदारियों से भी समझौता भी करना पड़ता है.
यूको आरसेटी संस्थान से किया कोर्स- ब्यूटी पार्लर को अपना करियर बनाने वाली ज्योति शर्मा कहती हैं कि शादी के बाद घर पर बैठने की बजाए उन्होंने अपने पुराने शौक पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया. आज ब्यूटी पार्लर के काम से वह करीब 20 से 30 हजार रुपए मासिक कमा रही हैं. इससे जहां उनके घर का गुजारा अच्छा चलता है, वहीं उनका ब्यूटीशियन बनने का शौक भी पूरा हो रहा है. ज्योति ने यूको आरसेटी संस्थान से ब्यूटीशियन का कोर्स किया है. जिससे ने आज अपना रोजगार खड़ा कर पाई हैं. ज्योति ने वर्ष 2012 में ब्यूटीशियन का कार्य करना आरम्भ किया था.
ज्योति ने होम सर्विस से की शुरुआत- उन्होंने शुरुआत होम सर्विस के माध्यम से की और धीरे-धीरे उनका यह शोक बड़ा होता गया और आज वह अपना पार्लर चलाती हैं. ज्योति का सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन शहर में अपना ‘ब्यूटी पार्लर’ है. मुख्य मार्ग से दूर होने के कारण कस्टमर को दुकान तक पहुंचने में दिक्कतें आती हैं. खास तौर पर ब्राइड यानी किसी दुल्हन को जब तैयार करना हो तो शहर की तंग गली में गाड़ी लाने में मुश्किलें आती हैं. इन सभी परिस्थितियों के बावजूद ज्योति अपने कार्य से काफी खुश है.
ज्योति का है ग्रैंड सैलून का सपना- ज्योति का सपना है, उसका अपना ग्रैंड सैलून हो, जहां पर अपना शौक भी पूरा करें और उनकी आमदनी में भी इजाफा हो. ज्योति चाहती हैं कि वह अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट में अपने पति को भी साथ रखे. ज्योति कहती हैं कि हम दोनों पति-पत्नी ने निर्णय लिया कि जल्दी ही हमारे पति भी ब्यूटीशियन का कोर्स करेंगे ताकि जब हम नए प्रोजेक्ट में कार्य करें तो दोनों साथ मिलकर चल सकें. इस नए सैलून को लगाने में करीब 10 लाख रुपए तक का खर्च आंका गया है.
पति का मिल रहा पूरा सहयोग- ज्योति कहती हैं कि वह अवश्य ही इस टारगेट को पूरा कर लेंगी. ज्योति का मानना है कि छोटी आयु में विवाह होने के कारण वह अपना शोक पूरा नहीं कर पाईं किन्तु अब वह इस शोक को पूरा कर रही हैं. ब्यूटीशियन के इस कार्य में उन्हें उनके पति संजीव कुमार का पूरा सहयोग मिल रहा है. ज्योति ने अगस्त 2022 में यूको आरसेटी संस्थान से 30 दिन का निःशुल्क ब्यूटीशियन का कोर्स किया है. ज्योति का कहना है कि वर्तमान में कई लोग ब्यूटीशियन का कार्य कर रहे हैं किन्तु सभी लोग सही प्रकार से प्रशिक्षित नहीं है.
ब्यूटीशियन का कार्य काफी संवेदनशील- यह कार्य काफी संवेदनशील और रिस्की भी है. इसलिए ब्यूटीशियन के नाम पर हर किसी से कार्य करवाने से पहले जरूर सोचना चाहिए. क्योंकि एक बार यदि हम गलत हो गए तो कस्टमर यानी महिला अथवा पुरुष की त्वचा को भारी नुकसान हो सकता है. महिलाओं के लिए अपने संदेश में ज्योति कहती है कि काम करने की इच्छा हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं है, हाउस वाईफ को केवल घर की चार दिवारी तक सीमित नहीं रहना चाहिए.
महिलाओं को बनाया जा रहा आत्मनिर्भर- वहीं, यूको आरसेटी संस्थान यानि ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान नाहन की निदेशक अमिता शर्मा ने बताया कि भारत सरकार के ग्रामीण मंत्रालय की ओर से महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए कई प्रकार के कोर्स चलाए हैं, जिसमें ब्यूटीशियन भी एक कोर्स है. ज्योति ने संस्थान से ही ब्यूटीशियन का कोर्स सीखकर अपना रोजगार खड़ा किया है और यह सराहनीय है. हम उम्मीद करते हैं कि ज्योति के प्रयासों से प्रेरणा लेकर हमारी और बहनें भी इस प्रकार के प्रशिक्षण के लिए हमारे पास आएंगी.
यहां करवाए जाते हैं कई कोर्स- यूको आरसेटी का प्रशिक्षण कार्यालय नाहन में आटीआई के समीप ही मुख्य मार्ग पर स्थित है. यहां पर कई प्रकार के प्रशिक्षण प्रदान किए जा रहे हैं. महिलाओं को ब्यूटीशियन के अलावा सिलाई-बुनाई आदि कोर्स भी करवाए जाते हैं. डिमांड के अनुसार आवासीय कोर्स भी चलाए जाते हैं, जहां पर खाने-पीने और ठहरने की निशुल्क सुविधा संस्थान की ओर से रहती है.
सरकारी योजनाओं का उठाएं लाभ- वहीं, डीसी सिरमौर एवं यूको आरसेटी के अध्यक्ष आरके गौतम से भी पूछे जाने पर कहा कि सिरमौर जिले में महिलाएं निरंतर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं. हम ज्योति को उनके इस कार्य के लिए बधाई देते हैं और अन्य महिलाओं से भी आग्रह करते हैं कि आप लोग भी स्वयंरोजगार के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाएं और स्वरोजगार से जुड़े और कार्य आरंभ करें.
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