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चीनी सामान के बाद चाइनीज फूड से भी लोगों की तौबा, ग्राहकों ने फास्ट फूड से मोड़ा मुंह - Boycott of chinese goods

पहले कोरोना वायरस लॉकडाउन और अब चीन के साथ विवाद के बीच देश में उठ रही चीनी सामनों के बहिष्कार की मुहिम को लेकर व्यापारी परेशान हैं. लोगों को डर है कि कहीं उनकी नौकरी तो नहीं चली जाएगी.

फास्ट फूड
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Published : Jul 9, 2020, 8:45 PM IST

पांवटा साहिब: सीमा पर चीन के साथ पैदा हुए तनाव को देखते हुए लोगों ने चीन निर्मित सामानों के बहिष्कार का फैसला किया है. गलवान घाटी पर हुए भारत और चीन सीमा विवाद के बाद पांवटा साहिब उपमंडल के अंतर्गत लोगों में चाइनीज सामान खरीदने का क्रेज कम होता नजर आ रहा है. लोग अब चाइनीज सामान का बहिष्कार कर रहे हैं.

दुकानदारों ने बताया कि उन्होंने भी चाइना का सामान लाना बंद कर दिया है और जो सामान उनके पास स्टॉक में था या तो उसे बेच चुके हैं या उसे नष्ट कर दिया गया है, लेकिन फास्ट फूड बेचने वालों पर भी इसकी मार पड़ी है.

पांवटा साहिब के बद्रीपुर में फास्ट फूड की दुकान में काम कर रही जीया ने बताया कि भारत-चीन विवाद के बाद लोग चाइनीज फूड को खाना भी बंद कर रहे हैं, ऐसे में उनका रोजाना नुकसान हो रहा है. चाउमिन, बर्गर बनाने वाली दुकानों का इन दिनों काम ठप पड़ा हुआ है. इसके साथ ही कोरोना वायरस के चलते भी उनका कारोबार घटा है.

वीडियो

कारोबारियों का कहना है कि वर्कर्स को सैलरी देना भी अब मुश्किल हो गया है. गलवान घाटी पर हुए चीन और भारत के विवाद के बाद लोगों ने चाइनीस फूड खाना भी कम कर दिया है. पहले दुकान पर 100 से 200 ग्राहक प्रतिदिन आते थे. वहीं, अब 50 से 100 लोग भी मुश्किल से नजर आते हैं.

वहीं, स्थानीय युवाओं ने बताया कि वह अब चाइनीज सामान भविष्य में कभी नहीं खरीदेंगे, लेकिन जो वह पहले से खरीदे गए चाइनीज समान का फिलहाल प्रयोग कर रहे हैं जैसे मोबाइल, एलईडी उनके पास इतने पैसे नहीं है कि वे इसे नष्ट कर नया सामान खरीदें.

बाजार में भी लोग भारत निर्मित सामानों की मांग कर रहे हैं, लेकिन दुकानदारों की टेंशन है कि उनके पास जो चाइनीज सामान है, उसे किस तरीके से बेचा जाए. कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से वैसे ही दुकानदारों की कमर टूटी हुई थी ऐसे में उनकी टेंशन बढ़ गई है.

स्वाभाविक तौर पर चीनी सामान का बहिष्कार करने वाले लोग आज बाजार में भारतीय सामान की मांग कर रहे हैं यानी जब भारतीय सामान की मांग बढ़ेगी, तब भारतीय कुटीर उद्योग मजबूत होंगे. इसलिए चीनी सामान के बहिष्कार के अभियान के दो बड़े फायदे हैं. पहला, चीन को सबक मिलेगा और दूसरा भारत के कुटीर उद्योग को ताकत मिलेगी. छोटे कारोबार से जुड़े लोगों की स्थिति सुदृढ़ होगी. भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. भारत में रोजगार बढ़ेगा.

पांवटा साहिब: सीमा पर चीन के साथ पैदा हुए तनाव को देखते हुए लोगों ने चीन निर्मित सामानों के बहिष्कार का फैसला किया है. गलवान घाटी पर हुए भारत और चीन सीमा विवाद के बाद पांवटा साहिब उपमंडल के अंतर्गत लोगों में चाइनीज सामान खरीदने का क्रेज कम होता नजर आ रहा है. लोग अब चाइनीज सामान का बहिष्कार कर रहे हैं.

दुकानदारों ने बताया कि उन्होंने भी चाइना का सामान लाना बंद कर दिया है और जो सामान उनके पास स्टॉक में था या तो उसे बेच चुके हैं या उसे नष्ट कर दिया गया है, लेकिन फास्ट फूड बेचने वालों पर भी इसकी मार पड़ी है.

पांवटा साहिब के बद्रीपुर में फास्ट फूड की दुकान में काम कर रही जीया ने बताया कि भारत-चीन विवाद के बाद लोग चाइनीज फूड को खाना भी बंद कर रहे हैं, ऐसे में उनका रोजाना नुकसान हो रहा है. चाउमिन, बर्गर बनाने वाली दुकानों का इन दिनों काम ठप पड़ा हुआ है. इसके साथ ही कोरोना वायरस के चलते भी उनका कारोबार घटा है.

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कारोबारियों का कहना है कि वर्कर्स को सैलरी देना भी अब मुश्किल हो गया है. गलवान घाटी पर हुए चीन और भारत के विवाद के बाद लोगों ने चाइनीस फूड खाना भी कम कर दिया है. पहले दुकान पर 100 से 200 ग्राहक प्रतिदिन आते थे. वहीं, अब 50 से 100 लोग भी मुश्किल से नजर आते हैं.

वहीं, स्थानीय युवाओं ने बताया कि वह अब चाइनीज सामान भविष्य में कभी नहीं खरीदेंगे, लेकिन जो वह पहले से खरीदे गए चाइनीज समान का फिलहाल प्रयोग कर रहे हैं जैसे मोबाइल, एलईडी उनके पास इतने पैसे नहीं है कि वे इसे नष्ट कर नया सामान खरीदें.

बाजार में भी लोग भारत निर्मित सामानों की मांग कर रहे हैं, लेकिन दुकानदारों की टेंशन है कि उनके पास जो चाइनीज सामान है, उसे किस तरीके से बेचा जाए. कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से वैसे ही दुकानदारों की कमर टूटी हुई थी ऐसे में उनकी टेंशन बढ़ गई है.

स्वाभाविक तौर पर चीनी सामान का बहिष्कार करने वाले लोग आज बाजार में भारतीय सामान की मांग कर रहे हैं यानी जब भारतीय सामान की मांग बढ़ेगी, तब भारतीय कुटीर उद्योग मजबूत होंगे. इसलिए चीनी सामान के बहिष्कार के अभियान के दो बड़े फायदे हैं. पहला, चीन को सबक मिलेगा और दूसरा भारत के कुटीर उद्योग को ताकत मिलेगी. छोटे कारोबार से जुड़े लोगों की स्थिति सुदृढ़ होगी. भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. भारत में रोजगार बढ़ेगा.

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