नाहन: प्रदेश के सिरमौर जिले को लहसुन का बड़ा उत्पादक माना जाता है. यहां पर उच्च गुणवत्ता के लहसुन की पैदावार होती है. यही कारण है कि देश हो या फिर विदेश यहां के लहसुन की मांग रहती है. जानकारी के मुताबिक इस बार 4000 हेक्टेयर भूमि में लहसुन लगाया गया. इस कारण बंपर आवक हुई, लेकिन ट्रांसपोर्टेशन और लेबर की समस्या का किसानों और व्यापारियों को सामना करना पड़ रहा है.
नेपाल-बांग्लादेश में संपर्क
कृषि अधिकारियों के मुताबिक यहां के लहुसन के लिए व्यापारियों ने नेपाल-बांग्लादेश सहित तमिलनाडु की मंडियों से संपर्क किया है. एक ओर जिले की ददाहू सब्जी मंडी में इन दिनों आसपास के क्षेत्रों से भारी मात्रा में लहसुन पहुंच रहा है. वहीं, दूसरी ओर कोरोना के चलते देश भर में 31 मई तक लॉकडाउन के कारण से लहसुन बड़ी मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहा है. किसानों की मानें तो इस समय पिछले वर्ष की अपेक्षा दाम बहुत अच्छे मिल रहे हैं, परंतु लॉकडाउन के चलते मंडियां बंद होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आढ़तियों का कहना है कि इस वर्ष लहसुन की पैदावर अच्छी हुई है, लेकिन मंडी बंद होने के कारण परेशानी हो रही है.
मंडी में चमक रहा 'सफेद सोना'
सिरमौर जिले के कृषि उपनिदेशक डॉ राजेश कौशिक ने बताया कि इस वर्ष 4000 हेक्टेयर भूमि पर लहसुन की पैदावर की गई थी. साइज और शाइन अच्छी अच्छी होने के बावजूद लॉकडाउन के चलते मंडियों तक लहसुन पहुंचाने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि आढ़तियों के मुताबिक यह बताया जा रहा है कि लहसुन की बड़ी मंडियां बंद हैं, हालांकि चेन्नई की मंडी खुल गई और अन्य मंडियों के भी जल्द खुलने की उम्मीद जताई जा रही है.
सूखने के बाद ज्यादा कीमत
कृषि उपनिदेशक डॉ कौशिक ने बताया कि आने वाले कुछ दिनों में लहसुन के दामों में कुछ और सुधार आने की उम्मीद है. थोड़े दिन पहले तक जब लहसुन गिला था, तो 50 से 60 रुपए तक बिक रहा था, लेकिन अब लहसुन सूखने के बाद 65 रुपए तक सोलन जैसी मंडियों में बिक रहा है. डॉ कौशिक ने बताया कि कोरोना की वजह से चेकिंग ज्यादा हो रही है. ऐसे में जो ट्रक 5 दिन में वापस आने चाहिए, वह 10 दिन में आ रहे हैं. इस बार अच्छे दामों में लहसुन बिकेगा इसकी उम्मीद है.
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