पांवटा साहिब: सिरमौर जिला के हरिपुरधार, शिलाई, डलियानु, टिंबी, ट्रांस गिरी आदि ऐसे क्षेत्र हैं, जहां बहुत अधिक मात्रा में लहसुन का उत्पादन (production of garlic in sirmour) किया जाता है. वहां अधिकतर लोगों की आर्थिकी लहसुन की फसल पर ही टिकी है. इस बार लहसुन की फसल में कीड़ा लगने से किसान परेशान हैं. पहले कोरोना और अब कीड़े की मार किसानों को रूला रही है. किसानों का पहले कोरोना के चलते खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा. पैदावार समय पर ना मंडी पहुंच सकी और ना उचित दाम मिल पाया.
अब कीड़े के चलते फसलों (Garlic crop damage in paonta sahib) को नुकसान हो रहा है. इस बार अच्छी फसल की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन लहसुन में कीड़े लगने से सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है. इस क्षेत्र में लहसुन और अदरक की खेती करके किसानों को अच्छा मुनाफा होता, जिससे इनका घर चलता है. इस बार फसलों में कीड़ा लगने से मुश्किलें बढ़ गई है. लहसुन की फसलों को कीड़े से बचाने के दवाई का छिड़काव करना पड़ है. जिसपर 15 हजार तक का खर्चा आ रहा है. ऐसे में लागत निकलना भी मुश्किल लग रहा है.
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर अरुण पटियाल (agricultural scientist dr arun patial) का कहना है कि लहसुन की फसल में थ्रिप्स नाम का कीट लगते हैं. यह फसल को नुकसान पहुंचाने वाला सबसे अधिक हानिकारक कीट है. कीट पत्तियों को खरोंच और छेदकर कर उसका सारा रस चूस जाते हैं. जिस वजह से पत्तियां मुड़ जाती हैं और पौधे सूख कर गिरने लगते हैं.
रोकथाम: फसल को इस कीट से बचाने के लिए डायमिथोएट 30 ईसी, मैलाथियान 50 ईसी या फिर मिथाइल डिमेटान 25 ईसी एक मिलीलीटर प्रति लीटर की दर से छिड़काव करना चाहिए. कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो समुद्र तल से 4000 फुट ऊंचाई वाले क्षेत्रो में लहसुन की पैदावार अधिक होती है.
बता दें, देश में होने वाली मसाला की खेती में लहसुन एक प्रमुख फसल है. इसका इस्तेमाल सब्जियों के अलावा औषधियों में भी किया जाता है. भारतीय लहसुन की मांग दूसरे देशों में भी रहती है यही कारण है कि बड़ी संख्या में किसान इसकी खेती से जुड़े हुए हैं. वैसे तो ये मुनाफे की खेती है, लेकिन कई बार रोग लगने से सारी उम्मीदों पर पानी फिर जाता है.