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इमरजेंसी के दौरान पूर्व मंत्री श्यामा ने नाहन जेल में बिताया था एक साल, सांझा किया अपना अनुभव

नाहन के स्थानीय युवाओं ने इमरजेंसी के हालातों को लेकर श्यामा शर्मा से मुलाकात की और उन्हें सम्मानित करते हुए उस समय के दौर पर विस्तार से चर्चा की.

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Published : Jun 25, 2020, 4:51 PM IST

Former minister Shyama
पूर्व मंत्री श्यामा

नाहन: 40 सालों से ज्यादा का समय बीत गया, लेकिन 25 जून की तारीख आते ही देश में लागू इमरजेंसी की यादें ताजा हो जाती है. साल 1975 में आज ही के दिन पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया था. इसी आपातकाल के दौरान पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा ने भी नाहन सेंट्रल जेल में करीब एक साल का समय बिताया.

4 दशक का समय बेशक बीत गया हो, लेकिन 25 जून की तारीख आज भी नाहन जेल में बंद रहे नेताओं को उस समय की याद दिला देती है. इन नेताओं में पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा भी शामिल हैं. श्यामा शर्मा ने इमरजेंसी के हालातों को याद करते हुए अपने अनुभवों को सांझा किया.

श्यामा शर्मा बताती हैं कि इमरजेंसी के उस हालात से हम सभी नई ऊर्जा लेकर निकले थे, हालांकि देश में वह दौर बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण था. सारे ही फंडामेंटल राइटस सस्पेंड हो गए थे. तानाशाही पूरी तरह से बढ़ रही थी. लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने स्थिति को भांपते हुए सारे देश के अंदर एक बहुत बड़ा आंदोलन चलाया था और उस आंदोलन में वह बेहद करीब से जुड़ी और उक्त आंदोलन में उनकी बहुत भागीदारी भी रही. श्यामा शर्मा ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान नाहन में आकर भी काम किया.

वीडियो.

1975 में आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पांवटा साहिब के समीप बनाए जा रहे खोदरी माजरी यमुना हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ मोर्चा खोला था. मजदूरों के शोषण के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था. वे करीब एक साल तक भूमिगत रही. ये भारत वर्ष का संभवतः सबसे बड़ा आंदोलन था. उसके बाद वे यहां आ गई. यहां जयप्रकाश नारायण के साथ जुड़ गए.

श्यामा शर्मा बताती हैं कि उन्होंने पोस्टर लगाने का काम किया. पुलिस ने गिरफ्तार कर कई दिनों तक पुलिस थाना के लॉकअप में बंद रखा. इसके बाद उन पर डीआइआर और आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) लगाकर नाहन जेल भेज दिया. जेल में सभी कैदियों से बहुत बुरा व्यवहार होता था. कई तरह की यातनाएं दी जाती थीं. श्यामा शर्मा ने कहा कि वह 30 जून 1975 को जेल गई थीं और एकमात्र आंदोलनकारी महिला थी.

श्यामा शर्मा बताती हैं कि मुझे आजीवन कारावास काट रही महिला कैदी सिबिया के साथ उसके लॉकअप में रखा गया. कई बार समय पर भोजन नहीं मिलता था. उनसे पहले जेल में शांता कुमार, जगत सिंह नेगी, महेंद्र नाथ सोफत व मुन्नीलाल वर्मा के साथ सेंट्रल जेल नाहन में आ चुके थे. वे जेल में रहकर भी आंदोलन चलाए रखने के लिए सहयोग देने को लेकर निर्देश देते थे.

इस दौरान कैदियों के साथ होने वाले व्यवहार व उनकी स्थिति को अच्छी तरह समझा. आपातकाल के दौरान करीब एक वर्ष तक केंद्रीय कारागार नाहन में रहने के बाद जब बाहर निकली तो पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के नेतृत्व में कन्याकुमारी से लेकर दिल्ली तक छह माह पैदल यात्रा की.

श्यामा शर्मा ने कहा कि जो उर्जा इमरजेंसी के दौरान लेकर निकले थे, वह आज भी कायम है. बता दें कि आज स्थानीय युवाओं ने इमरजेंसी के हालातों को लेकर श्यामा शर्मा से मुलाकात की और उन्हें सम्मानित करते हुए उस समय के दौर पर विस्तार से चर्चा की.

ये भी पढ़ें- पर्वतीय युद्ध कौशल में भारतीय सेना सर्वश्रेष्ठ, चीनी भी करते हैं तारीफ

नाहन: 40 सालों से ज्यादा का समय बीत गया, लेकिन 25 जून की तारीख आते ही देश में लागू इमरजेंसी की यादें ताजा हो जाती है. साल 1975 में आज ही के दिन पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया था. इसी आपातकाल के दौरान पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा ने भी नाहन सेंट्रल जेल में करीब एक साल का समय बिताया.

4 दशक का समय बेशक बीत गया हो, लेकिन 25 जून की तारीख आज भी नाहन जेल में बंद रहे नेताओं को उस समय की याद दिला देती है. इन नेताओं में पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा भी शामिल हैं. श्यामा शर्मा ने इमरजेंसी के हालातों को याद करते हुए अपने अनुभवों को सांझा किया.

श्यामा शर्मा बताती हैं कि इमरजेंसी के उस हालात से हम सभी नई ऊर्जा लेकर निकले थे, हालांकि देश में वह दौर बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण था. सारे ही फंडामेंटल राइटस सस्पेंड हो गए थे. तानाशाही पूरी तरह से बढ़ रही थी. लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने स्थिति को भांपते हुए सारे देश के अंदर एक बहुत बड़ा आंदोलन चलाया था और उस आंदोलन में वह बेहद करीब से जुड़ी और उक्त आंदोलन में उनकी बहुत भागीदारी भी रही. श्यामा शर्मा ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान नाहन में आकर भी काम किया.

वीडियो.

1975 में आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पांवटा साहिब के समीप बनाए जा रहे खोदरी माजरी यमुना हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ मोर्चा खोला था. मजदूरों के शोषण के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था. वे करीब एक साल तक भूमिगत रही. ये भारत वर्ष का संभवतः सबसे बड़ा आंदोलन था. उसके बाद वे यहां आ गई. यहां जयप्रकाश नारायण के साथ जुड़ गए.

श्यामा शर्मा बताती हैं कि उन्होंने पोस्टर लगाने का काम किया. पुलिस ने गिरफ्तार कर कई दिनों तक पुलिस थाना के लॉकअप में बंद रखा. इसके बाद उन पर डीआइआर और आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) लगाकर नाहन जेल भेज दिया. जेल में सभी कैदियों से बहुत बुरा व्यवहार होता था. कई तरह की यातनाएं दी जाती थीं. श्यामा शर्मा ने कहा कि वह 30 जून 1975 को जेल गई थीं और एकमात्र आंदोलनकारी महिला थी.

श्यामा शर्मा बताती हैं कि मुझे आजीवन कारावास काट रही महिला कैदी सिबिया के साथ उसके लॉकअप में रखा गया. कई बार समय पर भोजन नहीं मिलता था. उनसे पहले जेल में शांता कुमार, जगत सिंह नेगी, महेंद्र नाथ सोफत व मुन्नीलाल वर्मा के साथ सेंट्रल जेल नाहन में आ चुके थे. वे जेल में रहकर भी आंदोलन चलाए रखने के लिए सहयोग देने को लेकर निर्देश देते थे.

इस दौरान कैदियों के साथ होने वाले व्यवहार व उनकी स्थिति को अच्छी तरह समझा. आपातकाल के दौरान करीब एक वर्ष तक केंद्रीय कारागार नाहन में रहने के बाद जब बाहर निकली तो पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के नेतृत्व में कन्याकुमारी से लेकर दिल्ली तक छह माह पैदल यात्रा की.

श्यामा शर्मा ने कहा कि जो उर्जा इमरजेंसी के दौरान लेकर निकले थे, वह आज भी कायम है. बता दें कि आज स्थानीय युवाओं ने इमरजेंसी के हालातों को लेकर श्यामा शर्मा से मुलाकात की और उन्हें सम्मानित करते हुए उस समय के दौर पर विस्तार से चर्चा की.

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