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डॉ. राजीव बिंदल ने ताजा की आपातकाल की यादें, कहा- 25 जून 1975 का दिन देश के इतिहास का काला दिन

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Published : Jun 25, 2020, 5:47 PM IST

बिंदल ने कहा कि कई बार ऐसा लगता है कि एक परिवार व राजगद्दी को बचाने के लिए लाखों लोगों को कितना बलिदान देना पड़ता है. यह सच में बेहद दुख देता है और आने वाली पीढ़ियों को यह दिन भूलना नहीं चाहिए.

Dr. Rajeev Bindal
डॉ. राजीव बिंदल

नाहन: हिमाचल भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं नाहन के विधायक डॉ. राजीव बिंदल ने देश में 25 जून 1975 को लागू आपात काल की यादों को ताजा करते हुए इस दिन को देश के इतिहास का काला दिन करार दिया. नाहन में मीडिया से बातचीत करते हुए आपात काल की यादों को ताजा करते हुए डॉ. राजीव बिंदल ने बताया कि 25 जून 1975 का वह दिन यह कहा जा सकता है कि भारत के इतिहास के अंदर एक काला दिन हुआ.

25 जून के दिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया. यह आपातकाल उन्होंने केवल अपनी राजगद्दी को बचाने के लिए लगाया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद उन्हें अपने पद को छोड़ना चाहिए था, लेकिन स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया.

वीडियो.

डॉ. राजीव बिंदल ने बताया कि लाखों नेताओं को जेल की कालकोठरी में डाल दिया गया. प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई. मीडिया को बंद कर दिया गया. बात करने तक की आजादी खत्म कर दी गई. लोकतंत्र की हत्या हो गई. 19 महीने लगातार देश इसके खिलाफ लड़ता रहा. डॉ. राजीव बिंदल ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था. उन्हें समन आता है कि उस समय वह कुरुक्षेत्र में विद्यार्थी होने के साथ-साथ संघ के कार्यकर्ता थे.

उस दौरान एक निश्चिय किया कि लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए एक नई लड़ाई लड़नी होगी. छोटे-छोटे पर्चे छापने शुरू किए. एक गौशाला के पिछवाड़े में कमरा लेकर साइक्लोस्टाइल मशीन के माध्यम से प्रतिदिन पर्चे बनाने के साथ बांटते थे. यह एक बहुत ही खतरे से भरा काम था. उस दौर में हरियाणा के अंदर बंसीलाल का टेरर था. पुलिस पीछे लगी हुई थी, परंतु लगातार रात-रात भर काम करते थे और दिन में कॉलेज जाना होता था.

जुलाई-अगस्त-सितंबर 1975 तक यह काम चलता रहा. सख्ती बढ़ने लगी थी. एक-एक करके संघ के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की गई. उनके साथ थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया गया. 6 कार्यकर्ता चेन में पकड़े गए. सातवां नंबर उनका था. पुलिस की मार से रहस्य खुल गए थे. पुलिस उन्हें ढूंढते हुए उनके कॉलेज पहुंची.

बिना वर्दी के 250-300 पुलिस कर्मियों ने श्री कृष्णा आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज कुरुक्षेत्र को घेर लिया. फिर क्या था उन्हें भी दबोच लिया गया और उन्हें एक कमरे में ले जाया गया. हर पुलिस वाला उनका नंबर लगाने के लिए थाने में उनके साथ थर्ड डिग्री पर उतारू था. बिंदल ने कहा कि आज भी रूह कांप जाती है, जब उस दौर का स्मरण आता है.

राजीव बिंदल ने कहा कि उस दौरान पूरा देश काल कोठरी में तब्दील हो गया. किसी को नहीं लगता था कि दोबारा से लोकतंत्र जिंदा होगा. सवा लाख लोगों ने सत्याग्रह किया और उसी का परिणाम हुआ कि देश में चुनाव हुआ है. जनता खड़ी हुई और जनता पार्टी की सरकार बनी. मोरार देसाई प्रधानमंत्री बने. तानाशाही का अंत हुआ. लोकतंत्र की बहाली हुई. जनता जीती. लोकतंत्र जीता. इंदिरा गांधी हारी. तानाशाही हारी. कांग्रेस हारी और देश नई दिशा में आगे बढ़ा.

नाहन: हिमाचल भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं नाहन के विधायक डॉ. राजीव बिंदल ने देश में 25 जून 1975 को लागू आपात काल की यादों को ताजा करते हुए इस दिन को देश के इतिहास का काला दिन करार दिया. नाहन में मीडिया से बातचीत करते हुए आपात काल की यादों को ताजा करते हुए डॉ. राजीव बिंदल ने बताया कि 25 जून 1975 का वह दिन यह कहा जा सकता है कि भारत के इतिहास के अंदर एक काला दिन हुआ.

25 जून के दिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया. यह आपातकाल उन्होंने केवल अपनी राजगद्दी को बचाने के लिए लगाया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद उन्हें अपने पद को छोड़ना चाहिए था, लेकिन स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया.

वीडियो.

डॉ. राजीव बिंदल ने बताया कि लाखों नेताओं को जेल की कालकोठरी में डाल दिया गया. प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई. मीडिया को बंद कर दिया गया. बात करने तक की आजादी खत्म कर दी गई. लोकतंत्र की हत्या हो गई. 19 महीने लगातार देश इसके खिलाफ लड़ता रहा. डॉ. राजीव बिंदल ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था. उन्हें समन आता है कि उस समय वह कुरुक्षेत्र में विद्यार्थी होने के साथ-साथ संघ के कार्यकर्ता थे.

उस दौरान एक निश्चिय किया कि लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए एक नई लड़ाई लड़नी होगी. छोटे-छोटे पर्चे छापने शुरू किए. एक गौशाला के पिछवाड़े में कमरा लेकर साइक्लोस्टाइल मशीन के माध्यम से प्रतिदिन पर्चे बनाने के साथ बांटते थे. यह एक बहुत ही खतरे से भरा काम था. उस दौर में हरियाणा के अंदर बंसीलाल का टेरर था. पुलिस पीछे लगी हुई थी, परंतु लगातार रात-रात भर काम करते थे और दिन में कॉलेज जाना होता था.

जुलाई-अगस्त-सितंबर 1975 तक यह काम चलता रहा. सख्ती बढ़ने लगी थी. एक-एक करके संघ के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की गई. उनके साथ थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया गया. 6 कार्यकर्ता चेन में पकड़े गए. सातवां नंबर उनका था. पुलिस की मार से रहस्य खुल गए थे. पुलिस उन्हें ढूंढते हुए उनके कॉलेज पहुंची.

बिना वर्दी के 250-300 पुलिस कर्मियों ने श्री कृष्णा आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज कुरुक्षेत्र को घेर लिया. फिर क्या था उन्हें भी दबोच लिया गया और उन्हें एक कमरे में ले जाया गया. हर पुलिस वाला उनका नंबर लगाने के लिए थाने में उनके साथ थर्ड डिग्री पर उतारू था. बिंदल ने कहा कि आज भी रूह कांप जाती है, जब उस दौर का स्मरण आता है.

राजीव बिंदल ने कहा कि उस दौरान पूरा देश काल कोठरी में तब्दील हो गया. किसी को नहीं लगता था कि दोबारा से लोकतंत्र जिंदा होगा. सवा लाख लोगों ने सत्याग्रह किया और उसी का परिणाम हुआ कि देश में चुनाव हुआ है. जनता खड़ी हुई और जनता पार्टी की सरकार बनी. मोरार देसाई प्रधानमंत्री बने. तानाशाही का अंत हुआ. लोकतंत्र की बहाली हुई. जनता जीती. लोकतंत्र जीता. इंदिरा गांधी हारी. तानाशाही हारी. कांग्रेस हारी और देश नई दिशा में आगे बढ़ा.

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