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कोरोना वॉरियर का त्याग : बेटे की मौत पर पत्नी को गले तक नहीं लगा पाए, अंतिम संस्कार के तुरंत बाद ड्यूटी पर लौटे - lockdown

अपने नवजात बच्चे की मौत पर एक कोरोना योद्धा अपनी पत्नी को गले तक नहीं लगा पाये. धैर्य और त्याग की इतनी परीक्षा शायद ही कोई दे पाये, लेकिन इसके बाद भी नाहन में पुलिस विभाग में कार्यरत अर्जुन चौहान बच्चे के अंतिम संस्कार की रस्म निभाकर फिर तुरंत ड्यूटी पर लौट गए थे.

constable couldn't touch her wife
कॉन्स्टेबल अर्जुन
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Published : Apr 11, 2020, 11:50 AM IST

नाहन : कोरोना वायरस के खिलाफ पूरा देश इस समय मानो एक युद्ध की स्थिति में है. इस युद्ध में सबसे आगे डटे हैं हमारे पुलिस जवान और स्वास्थ्य कर्मी. इस लड़ाई में उनकी जिंदगी के साथ उनकी भावनाएं भी दांव पर हैं. अपने नवजात बच्चे की मौत पर एक कोरोना योद्धा अपनी पत्नी को गले तक नहीं लगा पाये.

धैर्य और त्याग की इतनी परीक्षा शायद ही कोई दे पाये, लेकिन नाहन में पुलिस विभाग में कार्यरत अर्जुन चौहान बच्चे के अंतिम संस्कार की रस्म निभाकर फिर तुरंत ड्यूटी पर लौट गए थे. जानकारी मिलने के बाद एसपी सिरमौर अजय कृष्ण शर्मा ने उन्हें छुट्टी देकर घर जाने को कहा.

constable couldn't touch her wife
कॉन्स्टेबल अर्जुन, नाहन पुलिस

अक्सर नाहन के मुख्य चैराहों पर यातायात ड्यूटी में तैनात रहने वाले अर्जुन बीते दिन सिरमौर में आए कोरोना पॉजिटिव मरीज को बद्दी छोड़ने गई पुलिस टीम का हिस्सा थे. इसके बाद वीरवार को उनकी पत्नी की नाहन मेडिकल कॉलेज में डिलीवरी हुई, लेकिन धकड़न कम होने के चलते बच्चे को बचाया नहीं जा सका, बेटे की पैदा होते ही मौत हो गई.

अर्जुन ने अस्पताल पहुंचकर दूर से अपनी धर्मपत्नी को ढांढस बंधाया और परिजनों से भी दूरी बनाकर रखी. शुक्रवार सुबह वे कोलर स्थित अपने घर गए और बेटे को मिट्टी डालने की रस्म निभाने के बाद सीधे ड्यूटी पर वापस लौट गए.

ईटीवी द्वारा फोन पर संपर्क किए जाने पर कॉन्स्टेबल अर्जुन ने कहा कि संकट की इस घड़ी में ड्यूटी ही सब कुछ है और संक्रमण से बचाव भी जरूरी है. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी भी शिलाई में पुलिस विभाग में ही कार्यरत हैं, इस हालत में उनकी देखभाल के लिए उनकी माताजी ही घर में अकेली हैं. बीते साल ही उनके पिता का भी निधन हुआ है. उन्होंने बताया कि पता चलने पर एसपी सिरमौर अजय कृष्ण शर्मा ने उन्हें छुट्टी पर भेज दिया है.

कॉन्स्टेबल अर्जुन ने कोरोना संकट के इस वक्त में कर्त्व्यनिष्ठा और त्याग की मिसाल पेश की है. हमें कोरोना से लड़ाई में सबकुछ दांव पर लगाकर फ्रंटलाइन पर खड़े इन योद्धाओं की सेवाओं को भूलना नहीं चाहिए. सरकार द्वारा दिए निर्देशों का पालन करना चाहिए और घर पर रहना चाहिए, ताकि अर्जुन जैसे कर्मवीरों का त्याग व्यर्थ न जाए.

नाहन : कोरोना वायरस के खिलाफ पूरा देश इस समय मानो एक युद्ध की स्थिति में है. इस युद्ध में सबसे आगे डटे हैं हमारे पुलिस जवान और स्वास्थ्य कर्मी. इस लड़ाई में उनकी जिंदगी के साथ उनकी भावनाएं भी दांव पर हैं. अपने नवजात बच्चे की मौत पर एक कोरोना योद्धा अपनी पत्नी को गले तक नहीं लगा पाये.

धैर्य और त्याग की इतनी परीक्षा शायद ही कोई दे पाये, लेकिन नाहन में पुलिस विभाग में कार्यरत अर्जुन चौहान बच्चे के अंतिम संस्कार की रस्म निभाकर फिर तुरंत ड्यूटी पर लौट गए थे. जानकारी मिलने के बाद एसपी सिरमौर अजय कृष्ण शर्मा ने उन्हें छुट्टी देकर घर जाने को कहा.

constable couldn't touch her wife
कॉन्स्टेबल अर्जुन, नाहन पुलिस

अक्सर नाहन के मुख्य चैराहों पर यातायात ड्यूटी में तैनात रहने वाले अर्जुन बीते दिन सिरमौर में आए कोरोना पॉजिटिव मरीज को बद्दी छोड़ने गई पुलिस टीम का हिस्सा थे. इसके बाद वीरवार को उनकी पत्नी की नाहन मेडिकल कॉलेज में डिलीवरी हुई, लेकिन धकड़न कम होने के चलते बच्चे को बचाया नहीं जा सका, बेटे की पैदा होते ही मौत हो गई.

अर्जुन ने अस्पताल पहुंचकर दूर से अपनी धर्मपत्नी को ढांढस बंधाया और परिजनों से भी दूरी बनाकर रखी. शुक्रवार सुबह वे कोलर स्थित अपने घर गए और बेटे को मिट्टी डालने की रस्म निभाने के बाद सीधे ड्यूटी पर वापस लौट गए.

ईटीवी द्वारा फोन पर संपर्क किए जाने पर कॉन्स्टेबल अर्जुन ने कहा कि संकट की इस घड़ी में ड्यूटी ही सब कुछ है और संक्रमण से बचाव भी जरूरी है. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी भी शिलाई में पुलिस विभाग में ही कार्यरत हैं, इस हालत में उनकी देखभाल के लिए उनकी माताजी ही घर में अकेली हैं. बीते साल ही उनके पिता का भी निधन हुआ है. उन्होंने बताया कि पता चलने पर एसपी सिरमौर अजय कृष्ण शर्मा ने उन्हें छुट्टी पर भेज दिया है.

कॉन्स्टेबल अर्जुन ने कोरोना संकट के इस वक्त में कर्त्व्यनिष्ठा और त्याग की मिसाल पेश की है. हमें कोरोना से लड़ाई में सबकुछ दांव पर लगाकर फ्रंटलाइन पर खड़े इन योद्धाओं की सेवाओं को भूलना नहीं चाहिए. सरकार द्वारा दिए निर्देशों का पालन करना चाहिए और घर पर रहना चाहिए, ताकि अर्जुन जैसे कर्मवीरों का त्याग व्यर्थ न जाए.

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