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बसंत पंचमी का शुभ दिन आज, मंदिरों में हो रही सरस्वती मां की पूजा

आज पूरे देश में बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जा रहा है. जगह-जगह पंडाल लगाए गए हैं. लोग मंदिरों में जाकर मां सरस्वती की पूजा अर्चना कर रहे हैं. आज के दिन नए कामों की शुरुआत की जाती है.

basant panchami
बसंत पंचमी
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Published : Feb 16, 2021, 10:31 AM IST

राजगढ़: बसंत पचमी को श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है. बसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है. भारतीय जलवायु के अनुसार एक वर्ष को 6 ऋतुओं में विभाजित किया जाता है, जो कि बसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु के नाम से जानी जाती हैं. इन सभी 6 ऋतुओं में से बसंत को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है. बसंत ऋतु की शुरुआत माघ शुक्ल की पंचमी तिथि से मानी जाती है, इसीलिए इस दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है.

बसंत पंचमी के बाद खेतों में लहलहा उठेगी फसल

बसंत ऋतु में खेतों में फसले लहलहा उठती हैं और फूल खिलने लगते हैं. हर जगह खुशहाली दिखाई देने लगती है, ऐसा लगता है मानो धरती पर सोना उग रहा है क्योंकि धरती पर फसल लहलहाने लगती है. ऐसी भी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही माता सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए बसंत पचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का भी आयोजन किया जाता है. बसंत पंचमी के दिन लोगों को पीले रंग के कपड़े पहन कर, पीले फूलों से देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए. बसंत पंचमी के दिन लोग पतंग उड़ाते हैं और प्रसाद के रूप में पीले रंग के मीठे चावालों का वितरण और सेवन करते हैं. पीले रंग को बसंत का प्रतीक माना जाता है.

बच्चों की शिक्षा-दीक्षा शुरू करने का शुभ दिन

बसंत पंचमी का दिन बच्चों की शिक्षा-दीक्षा शुरू करने के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन बच्चे की जीभ पर शहद से ॐ बनाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इससे बच्चा ज्ञानवान होता है और शिक्षा जल्दी ग्रहण करने लगता है. 6 महीने का समय पूरा कर चुके बच्चों को अन्न का पहला निवाला भी बसंत पंचमी के दिन ही खिलाना चाहिए. अन्नप्राशन के लिए यह दिन बहुत शुभ होता है. बसंत पंचमी का दिन परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है, इसके साथ-साथ गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी इस दिन को अत्यधिक शुभ माना जाता है.

ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं मां सरस्वती

मान्यताओं के अनुसार ज्ञान की देवी मां सरस्वती शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं. इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस दिन पूरे विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा करने से वो प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. इस बार पंचमी तिथि 16 फरवरी को सुबह 3 बजकर 36 मिनट पर प्रारंभ हो रही है जो 17 फरवरी को सुबह 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगी.

ये भी पढ़ें: कांग्रेस की अजीब शर्त! टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ने का वादा करें दावेदार

राजगढ़: बसंत पचमी को श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है. बसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है. भारतीय जलवायु के अनुसार एक वर्ष को 6 ऋतुओं में विभाजित किया जाता है, जो कि बसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु के नाम से जानी जाती हैं. इन सभी 6 ऋतुओं में से बसंत को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है. बसंत ऋतु की शुरुआत माघ शुक्ल की पंचमी तिथि से मानी जाती है, इसीलिए इस दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है.

बसंत पंचमी के बाद खेतों में लहलहा उठेगी फसल

बसंत ऋतु में खेतों में फसले लहलहा उठती हैं और फूल खिलने लगते हैं. हर जगह खुशहाली दिखाई देने लगती है, ऐसा लगता है मानो धरती पर सोना उग रहा है क्योंकि धरती पर फसल लहलहाने लगती है. ऐसी भी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही माता सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए बसंत पचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का भी आयोजन किया जाता है. बसंत पंचमी के दिन लोगों को पीले रंग के कपड़े पहन कर, पीले फूलों से देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए. बसंत पंचमी के दिन लोग पतंग उड़ाते हैं और प्रसाद के रूप में पीले रंग के मीठे चावालों का वितरण और सेवन करते हैं. पीले रंग को बसंत का प्रतीक माना जाता है.

बच्चों की शिक्षा-दीक्षा शुरू करने का शुभ दिन

बसंत पंचमी का दिन बच्चों की शिक्षा-दीक्षा शुरू करने के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन बच्चे की जीभ पर शहद से ॐ बनाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इससे बच्चा ज्ञानवान होता है और शिक्षा जल्दी ग्रहण करने लगता है. 6 महीने का समय पूरा कर चुके बच्चों को अन्न का पहला निवाला भी बसंत पंचमी के दिन ही खिलाना चाहिए. अन्नप्राशन के लिए यह दिन बहुत शुभ होता है. बसंत पंचमी का दिन परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है, इसके साथ-साथ गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी इस दिन को अत्यधिक शुभ माना जाता है.

ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं मां सरस्वती

मान्यताओं के अनुसार ज्ञान की देवी मां सरस्वती शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं. इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस दिन पूरे विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा करने से वो प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. इस बार पंचमी तिथि 16 फरवरी को सुबह 3 बजकर 36 मिनट पर प्रारंभ हो रही है जो 17 फरवरी को सुबह 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगी.

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