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सिरमौरी ताल में खुदाई के दौरान मिला प्राचीन शिलालेख, त्रिलोकपुर म्यूजियम में रखा गया सुरक्षित

सिरमौरी ताल में खुदाई के दौरान एक प्राचीन शिलालेख मिला है. हालांकि यह शिलालेख कितना पुराना है, इसकी जानकारी अभी नहीं मिल पाई है.

Ancient inscription found in Sirmauri Tal
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Published : Sep 29, 2019, 10:27 PM IST

नाहन: सिरमौरी ताल में खुदाई के दौरान एक प्राचीन शिलालेख मिला है. हालांकि यह शिलालेख कितना पुराना है, इसकी जानकारी अभी नहीं मिल पाई है. माना जा रहा है कि यह शिलालेख 11वीं शताब्दी में गर्क हुई सिरमौरी रियासत की पहली राजधानी सिरमौरी ताल का हो सकता है. इस शिलालेख को त्रिलोकपुर में स्थित म्यूजियम में सुरक्षित रख दिया गया है.

शाही परिवार के सदस्य एवं पूर्व विधायक कुंवर अजय बहादुर सिंह ने कहा कि सिरमौरी ताल वर्तमान में राजबन के स्कूल में खुदाई का काम चल रहा था. इस दौरान स्कूल के बच्चों को एक पत्थर मिला. जांच के बाद इसके प्राचीन शिलालेख होने की पुष्टि हुई है.

Ancient inscription found in Sirmauri Tal
सिरमौरी ताल में खुदाई के दौरान मिला प्राचीन शिलालेख

बताया जा रहा है कि खरोष्ठी के बाद संस्कृत में शिलालेख लिखा गया है. इसका अभी तक रूपांतरण नहीं हुआ है. ऐसे में यह नहीं बताया जा सकता कि इस शिलालेख में क्या लिखा गया है. कुंवर अजय बहादुर सिंह ने बताया कि इस शिलालेख को लेकर खोज की जा रही है.

अजय बहादुर सिंह ने कहा कि सिरमौरी ताल में बच्चों को मिले इस शिलालेख को भाषा एवं संस्कृति विभाग के अधिकारी लेकर आए थे. इसे अभी सुरक्षित त्रिलोकपुर म्यूजियम में रखा गया है. अजय बहादुर के अनुसार भाषा एवं संस्कृति विभाग के माध्यम से कोशिश की जा रही है कि कहीं से विशेषज्ञ बुलाकर इस शिलालेख पर अंकित शब्दों को समझा जाए. माना जा रहा है कि यह शिलालेख 100 ईसा पूर्व का है, लेकिन ज्यादातर इसे 8वीं या 10वीं शताब्दी का मानते हैं.

कुंवर अजय बहादुर सिंह,शाही परिवार के सदस्य

बता दें कि इतिहास के मुताबिक 11वीं शताब्दी के अंत में नटनी के श्राप से सिरमौर रियासत की पहली राजधानी सिरमौरी ताल बर्बाद हो गई थी. इसमें पूरा राज परिवार खत्म हो गया था. सिरमौरी ताल को एक बार फिर राजधानी बनाया गया, लेकिन कुछ अरसा यहां रहने के बाद यह राजधानी कालसी चली गई, जहां काफी समय तक सिरमौर का शासन स्थापित हुआ. इसके बाद अलग-अलग जगहों से होते हुए फिर बाबा बनवारी दास के कहने के अनुसार यह राजधानी 1621 नाहन लाई गई और अंत तक यहीं रही थी.

ये भी पढ़ें: यहां एक सेल्फी के चक्कर में जान से खेल रहे लोग...कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

नाहन: सिरमौरी ताल में खुदाई के दौरान एक प्राचीन शिलालेख मिला है. हालांकि यह शिलालेख कितना पुराना है, इसकी जानकारी अभी नहीं मिल पाई है. माना जा रहा है कि यह शिलालेख 11वीं शताब्दी में गर्क हुई सिरमौरी रियासत की पहली राजधानी सिरमौरी ताल का हो सकता है. इस शिलालेख को त्रिलोकपुर में स्थित म्यूजियम में सुरक्षित रख दिया गया है.

शाही परिवार के सदस्य एवं पूर्व विधायक कुंवर अजय बहादुर सिंह ने कहा कि सिरमौरी ताल वर्तमान में राजबन के स्कूल में खुदाई का काम चल रहा था. इस दौरान स्कूल के बच्चों को एक पत्थर मिला. जांच के बाद इसके प्राचीन शिलालेख होने की पुष्टि हुई है.

Ancient inscription found in Sirmauri Tal
सिरमौरी ताल में खुदाई के दौरान मिला प्राचीन शिलालेख

बताया जा रहा है कि खरोष्ठी के बाद संस्कृत में शिलालेख लिखा गया है. इसका अभी तक रूपांतरण नहीं हुआ है. ऐसे में यह नहीं बताया जा सकता कि इस शिलालेख में क्या लिखा गया है. कुंवर अजय बहादुर सिंह ने बताया कि इस शिलालेख को लेकर खोज की जा रही है.

अजय बहादुर सिंह ने कहा कि सिरमौरी ताल में बच्चों को मिले इस शिलालेख को भाषा एवं संस्कृति विभाग के अधिकारी लेकर आए थे. इसे अभी सुरक्षित त्रिलोकपुर म्यूजियम में रखा गया है. अजय बहादुर के अनुसार भाषा एवं संस्कृति विभाग के माध्यम से कोशिश की जा रही है कि कहीं से विशेषज्ञ बुलाकर इस शिलालेख पर अंकित शब्दों को समझा जाए. माना जा रहा है कि यह शिलालेख 100 ईसा पूर्व का है, लेकिन ज्यादातर इसे 8वीं या 10वीं शताब्दी का मानते हैं.

कुंवर अजय बहादुर सिंह,शाही परिवार के सदस्य

बता दें कि इतिहास के मुताबिक 11वीं शताब्दी के अंत में नटनी के श्राप से सिरमौर रियासत की पहली राजधानी सिरमौरी ताल बर्बाद हो गई थी. इसमें पूरा राज परिवार खत्म हो गया था. सिरमौरी ताल को एक बार फिर राजधानी बनाया गया, लेकिन कुछ अरसा यहां रहने के बाद यह राजधानी कालसी चली गई, जहां काफी समय तक सिरमौर का शासन स्थापित हुआ. इसके बाद अलग-अलग जगहों से होते हुए फिर बाबा बनवारी दास के कहने के अनुसार यह राजधानी 1621 नाहन लाई गई और अंत तक यहीं रही थी.

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Intro:- शिलालेख को लेकर इंटरनेशनल व नेशनल स्तर पर जानकारी जुटाने के प्रयास
नाहन। सिरमौर रियासत की पहली राजधानी रही सिरमौरी ताल जिसे वर्तमान में राजबंध कहा जाता है, में खुदाई के दौरान एक प्राचीन शिलालेख मिला है। हालांकि यह शिलालेख कितना पुराना है, इसकी जानकारी तो अभी नहीं मिल पाई है, लेकिन माना जा रहा है कि यह शिलालेख 11 वीं शताब्दी के अंत में गर्क हुई सिरमौरी रियासत की पहली राजधानी सिरमौरी ताल का हो सकता है। इस शिलालेख त्रिलोकपुर में स्थित म्यूजियम में सुरक्षित रख दिया गया है।


Body:इस बारे में शाही परिवार के सदस्य एवं पूर्व विधायक कुंवर अजय बहादुर सिंह ने बताया कि सिरमौरी ताल जिसे वर्तमान में राजबन भी कहा जाता है, वहां के स्कूल में खुदाई का कार्य चल रहा था। इस दौरान स्कूल के बच्चों को एक पत्थर मिला, जिसमें शिलालेख अंकित है। यह एक प्राचीन वह महत्वपूर्ण शिलालेख है। यह जो शिलालेख है यह अति प्राचीन है और इसमें ब्रह्मी जिसे पहले अशोकन ब्रह्मी कहते थे, उसके उपरांत धीरे-धीरे यह लिपि बदलती गई। साथ ही इसका जो लेख है वह भी बदलता गया। खरोसटी के बाद संस्कृत में शिलालेख लिखा गया है, जिसका अभी तक रूपांतरण नहीं हुआ है। ऐसे में यह नहीं बताया जा सकता कि इस शिलालेख में क्या लिखा गया है। कंवर अजय बहादुर सिंह ने बताया कि इस शिलालेख को लेकर खोज की जा रही है। इंटरनेशनल व नेशनल लेवल पर भी खोज कर रहे हैं, ताकि इसको लेकर जानकारी मिल सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस लाल एक से एक महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी।
उन्होंने बताया कि सिरमौरी ताल में बच्चों को मिले इस शिलालेख को भाषा एवं संस्कृति विभाग के अधिकारी लेकर आए थे, जिसे अभी सुरक्षित तिलोकपुर म्यूजियम में रखा गया है। शाही परिवार के सदस्य कम राज्य बहादुर सिंह के अनुसार उनके व भाषा एवं संस्कृति विभाग के माध्यम से कोशिश की जा रही है कि कहीं से भी बुलाकर विशेषज्ञ इस शिलालेख पर प्रकाश डाल सके। यशी लाली कितना पुराना हो सकता है इसको लेकर उन्होंने बताया कि कहीं ओ का मानना है कि यह शिलालेख ईसा से 100 वर्ष का है, लेकिन ज्यादातर इसे 8वीं या 10 वीं शताब्दी का मानते हैं, जिस वक्त 10वीं व 11वीं शताब्दी में सिरमौर रियासत की राजधानी से सिरमौरी ताल थी। इससे पहले का यह शिलालेख है और हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है।
बाइट : कंवर अजय बहादुर सिंह, शाही परिवार के सदस्य


Conclusion:बता दें कि इतिहास के मुताबिक 11 वीं शताब्दी के अंत में नटनी के श्राप से सिरमौर रियासत की पहली राजधानी सिरमौरी ताल नष्ट हो गई थी, जिसमें पूरा राज परिवार खत्म हो गया था। सिरमौरी ताल को एक बार फिर राजधानी बनाया गया, लेकिन कुछ अरसा यहां रहने के बाद यह राजधानी कालसी चली गई, जहां काफी अरसे तक सिरमौर का शासन स्थापित हुआ। इसके बाद अलग-अलग जगहों से होते हुए फिर बाबा बनवारी दास के कहने के अनुसार यह राजधानी 1621 नाहन लाई गई और अंत तक यही रही थी।
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