शिलाई/सिरमौर: राष्ट्रीय राजमार्ग 707 से वन परिक्षेत्र में डाले जा रहे मलबे पर प्रशासन ने एक निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी पर कार्रवाई की है. जिसमें कंपनी पर 29,995 की डैमेज रिपोर्ट काटी है. विभागीय सूत्रों के अनुसार सड़क निर्माण कर रही कंपनी ने जहां हजारों डंपर मलबा डाला है. उस क्षेत्र की क्षति पर वन विभाग ने मात्र दो डंपर मलबा डालने से हुए नुकसान की रिपोर्ट काटकर अपना पल्ला झाड़ दिया है.
हालांकि विभागीय कार्रवाई में मौके से पूर्ण आंकलन की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है, लेकिन त्वरित कार्रवाई में वन विभाग मामले को दबाता नजर आ रहा है. बता दें कि 15 दिनों से रात-दिन वन परिक्षेत्र भूमि के माध्यम से टोंस नदी में मलबा डाला जा रहा है और वन विभाग मामले से अनजान बना रहा.
टोंस नदी में डाला जा रहा मलबा
निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने लगभग 100 मीटर से अधिक लम्बी, 5 मीटर ऊंची, 5 मीटर से अधिक चौड़ी सड़क का कई हजारों घन मीटर मलबा कटिंग करके आरक्षित वन भूमि को माध्यम बना टोंस नदी में डाला है. मौके पर कार्य कर रही मशीनरी के हिसाब से औसतन 5 मिनट में 4 डंपर मलबा डाले गए और पखवाड़े से क्रम चलता जा रहा है.
29,995 की डैमेज रिपोर्ट काटी
वन विभाग के आकंलन के अनुसार एक डंपर में लगभग 7:30 घन मीटर मलबा आता है और 3500 रुपये प्रति घन मीटर मलबा फेंकने पर जुर्माना किया जाता है, इसलिए जहां कई लाखों रुपये वन विभाग को जुर्माना करना चाहिए था वहीं, कंपनी पर केवल 29,995 की डैमेज रिपोर्ट काटी गई है.
वहीं, वन मंडल अधिकारी रेणुका श्रेष्ठ आनंद बताते हैं कि आरक्षित वन भूमि पर मलबा डालने का जुर्माना 3500 रुपये प्रति घन मीटर है और वन परिक्षेत्र अधिकारी ने किस आधार पर मलबा फेंकने की रिपोर्ट काटी है उसका निरीक्षण किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मौके पर पूरा निरीक्षण करके उतना अतिरिक्त जुर्माना वसूला जाएगा.
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