नाहन: सिरमौर जिला में शनिवार को संपन्न हुई मतदान प्रक्रिया के तहत सिरमौर जिला में 79.92 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ. शिलाई में सबसे अधिक 84.21 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि पांवटा साहिब निर्वाचन क्षेत्र में सबसे कम 76.88 प्रतिशत मतदान हुआ. इसके साथ-साथ नाहन विधानसभा क्षेत्र में 81.45 प्रतिशत, श्री रेणुका जी में 78.91 प्रतिशत व पच्छाद विस में 78.30 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ.
जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त सिरमौर राम कुमार गौतम ने बताया कि जिला में कुल 79.92 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ. मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ है, किसी भी तरह की बड़ी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली. 2017 में 82.03 प्रतिशत हुआ था मतदान 2017 के विधानसभा चुनाव में सिरमौर जिला में सबसे अधिक 82.03 फीसदी मतदान हुआ था. पच्छाद में यह मतदान प्रतिशतता 78.25 फीसदी, नाहन में 82.81, रेणुकाजी में 77.60, पांवटा साहिब में 81.00 और शिलाई विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 86.44 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था.
सिरमौर जिला में 29 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद: सिरमौर जिला में इस विधानसभा चुनाव में 29 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे थे. इनके भाग्य का फैसला जिला में 79.92 प्रतिशत मतदाताओं की संख्या ने ईवीएम में कैद कर दिया है. 8 दिसंबर को मतगणना के दिन ही यह पता चलेगा कि जनता सिरमौर जिला से किन 5 प्रत्याशियों को अपना विधायक चुनती है.
इन प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा लगी दांव पर: सिरमौर जिला में इस चुनाव में कई बीजेपी व कांग्रेस के प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. नाहन से तीसरी बार हैट्रिक लगाने के लिए भाजपा प्रत्याशी डॉ राजीव बिंदल ने चुनाव लड़ा. बिंदल 5 बार विधायक रहे चुके हैं. छठी बार उनका मुकाबला कांग्रेस के टिकट पर दूसरी बार चुनावी मैदान में उतरे अजय सोलंकी के साथ है. यहां दोनों के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है. यहां भाजपा के वरिष्ठ नेता राजीव बिंदल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.
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पांवटा साहिब में निवर्तमान ऊर्जा मंत्री एवं वर्तमान भाजपा प्रत्याशी सुखराम चौधरी की प्रतिष्ठा भी इस चुनाव में दांव पर है क्योंकि यहां बीजेपी का टिकट न मिलने से 3 अन्य प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में उतरे हैं. हालांकि, यहां मुख्य रूप से मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी किरनेश जंग व भाजपा प्रत्याशी सुखराम चौधरी के बीच ही माना जा रहा है। दोनों ही प्रत्याशियों ने चुनाव में जीत तोड़ मेहनत की है.
वहीं, श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र से तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे विनय कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. यहां उनका मुकाबला पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे नारायण सिंह से है. भाजपा नेता बलबीर चौहान का टिकट काटकर इस बार पार्टी ने नारायण सिंह को प्रत्याशी बनाया, लिहाजा यहां कांग्रेस व भाजपा में कांटे की टक्कर मानी जा रही है.
पच्छाद विधानसभा सीट में मुकाबला दिलचस्प होने के साथ त्रिकोणा है. यहां से भाजपा ने दूसरी बार रीना कश्यप पर ही दांव खेला है, जबकि बीजेपी से कांग्रेस में गई दयाल प्यारी यहां से कांगे्रस के टिकट पर चुनावी मैदान में है. दयाल प्यारी को टिकट देने के बाद यहां से कांग्रेस से बगावत कर वरिष्ठ नेता गंगूराम मुसाफिर बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में तीनों प्रत्याशियों के बीच यहां मुकाबला है, यहां 7 बार विधायक रह चुके गंगूराम मुसाफिर की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.
वहीं, जिला की शिलाई विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी व भाजपा प्रत्याशी बलदेव तोमर दोनों की ही इस चुनाव में प्रतिष्ठा दांव पर है. हर्षवर्धन को 6वीं बार यहां से कांग्रेस ने टिकट दिया है, जबकि बलदेव तोमर तीसरी बार यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. साल 2012 में केवल एक ही बार यहां बलदेव तोमर के तौर पर भाजपा कमल खिलाने में कामयाब रही है. एक बार यहां से जनता दल का विधायक चुना गया, जबकि अन्य समय में यह सीट कांग्रेस का ही गढ़ रही है. 7 बार यहां से कांग्रेस प्रत्याशी हर्षवर्धन के पिता स्व. ठाकुर गुमान सिंह विधायक रहे. तो वहीं, हर्षवर्धन भी 5 बार विधायक रहे चुके हैं. बलदेव तोमर निवर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के करीबी माने जाते हैं, लिहाजा दोनों के बीच यहां कांटे की टक्कर है.