शिमला: हिमाचल प्रदेश में युवा अब नशे के प्रति जागरूक होते जा रहे हैं. तंबाकू की लत छुड़ाने के लिए युवा खुद अस्पताल पहुंच रहे हैं. इस बात का खुलासा डेंटल कॉलेज शिमला में हुआ है. डेंटल कॉलेज शिमला में एंटी टोबैको सेल में डेढ़ साल में 361 रोग खुद तंबाकू के लक्षण वाले को लेकर पहुंचे हैं.
डॉक्टर के अनुसार तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन करने से कैंसर हो सकता है. तंबाकू मौत का कारण भी बन सकता है. अधिकतर लोगों में दांतों के खराब होने का कारण तंबाकू भी माना जा रहा है. डेंटल कॉलेज शिमला में विशेषज्ञ डॉक्टर और एचओडी डॉ. विनय भारद्वाज ने कहा कि तंबाकू के सेवन से अधिकतर लोगों के दांत मसूड़े खराब हो रहे हैं और यह कैंसर का कारण भी बनता है. उन्होंने कहा कि युवाओं में तो कम, लेकिन 50 साल से अधिक और वृद्ध लोगों में तंबाकू के कारण अधिकतर दांत खराब हो रहे हैं, इसका मुख्य कारण तंबाकू माना जा रहा है.
उन्होंने कहा कि डेंटल कॉलेज शिमला में तंबाकू छुड़ाने के लिए एक सेल का गठन किया गया है जो पिछले 3 सालों से चल रहा है. उसमें अभी डेढ़ साल में 361 से अधिक लोग अपना तंबाकू छुड़ाने का इलाज करवा रहे हैं. जिसमें 190 ने कम कर दी, जबकि 26 ने पूरी तरह तंबाकू का सेवन बंद कर दिया है. उनका कहना था कि यह सेल कामयाब हो रहा है और लोगों को तंबाकू छुड़वा रहा है. डॉ. विनय भारद्वाज ने बताया कि तंबाकू जानलेवा भी है. उन्होंने कहा कि पहले इससे दांत खराब होने लगते हैं और बाद में कैंसर का रूप धारण कर लेता है.
वहीं, डेंटल कॉलेज में काउंसलिंग कर रहीं डॉ. हितु ने बताया कि तंबाकू का सेवन किसी रूप में जानलेवा हो सकता है. उन्होंने कहा कि इससे मुंह के कैंसर लीवर की बीमारी होती है. इसलिए तंबाकू के सेवन से बचना चाहिए उन्हें कहा कि उनके ओपीडी में काफी संख्या में लोग आते हैं जो तंबाकू को छोड़ना चाहते हैं. इसमें काफी संख्या युवाओं की है. कॉलेज के युवा खुद नशा छोड़ना चाहते हैं और वह खुद आकर कहते हैं कि हमारा तंबाकू छुड़वा दीजिए.
इस तरह करते हैं इलाज: डेंटल कॉलेज के डॉक्टर हितु ने बताया कि वह पहले तंबाकू का सेवन करने वालों से कहते हैं कि 15 दिन पहले आप स्वेच्छा से तंबाकू छोड़ने की कोशिश करें और यदि उसके बाद भी सफल नहीं होते हैं तो एनआरटी यानी थेरेपी के तहत तंबाकू छुड़ाने की कोशिश की जाती है. उन्हें बताया कि दवाइयों का सेवन बहुत कम करवाया जाता है. उन्होंने कहा कि उनकी ओपीडी में काउंसलिंग और थेरेपी से ही लोग तंबाकू छोड़ने के लिए प्रेरित हो जाते हैं.
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने हाल ही में 1 साल या उससे पहले तंबाकू सेवन शुरू किया है तो उनकी क्वांटिटी देखी जाती है कि वह कितना तंबाकू लेते हैं. उस आधार पर उनका इलाज किया जाता है. यदि कोई लंबे समय से तंबाकू का सेवन करता आ रहा है और यहां काउंसलिंग से भी उसका तंबाकू नहीं छूट रहा है फिर उसे आईजीएमसी रेफर कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि अभी तक डेंटल कॉलेज में डेढ़ साल में जो 361 लोग आए हैं. उनका इलाज चल रहा है.
2022 में 252 लोग तंबाकू छुड़वाने के लिए पहुंचे डेंटल कॉलेज शिमला: तंबाकू छुड़वाने आए मरीज धनीराम ने कहा कि वह काफी लंबे समय से तंबाकू का सेवन करते रहे हैं, लेकिन अब वह खुद छोड़ना चाहते थे, इसलिए डेंटल कॉलेज में आए हैं. धनीराम ने कहा कि यहां की इलाज से फायदा मिला है और वह तंबाकू पूरी तरह छोड़ चुके हैं.
आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में 252 लोग तंबाकू छुड़वाने के लिए डेंटल कॉलेज शिमला आए. इसमें 25 साल तक के 40 युवा शामिल थे. इनमें से 23 युवाओं ने नशा कम कर दी और 6 युवाओं ने पूरी तरह छोड़ दी है. वहीं, 25 से 50 साल तक 167 लोग शामिल थे जिनमें से 90 ने नशा करना कम दिया है जबकि 12 लोगों ने पूरी तरह छोड़ दी है. इसके अलावा 50 से अधिक साल के 45 लोग शामिल थे, इनमें से 24 लोगों ने नशा करना कम कर दिया है जबकि 1 ने पूरी तरह से नशा छोड़ दिया है.
2023 में 109 लोग पहुंचे अस्पताल: डेंटल कॉलेज शिमला की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार इस साल मई तक 25 साल तक 17 युवा नशा छुड़वाने के लिए डेंटल कॉलेज शिमला पहुंचे. इसमें से 4 युवाओं ने नशा करना कम कर दिया है. ये य़ुवा लगातार काउंसलर से परामर्श ले रहे हैं. वहीं, 25 से 50 साल तक 71 लोग नशा छुड़वाने के लिए अस्पताल पहुंचे इनमें से 41 लोगों ने नशा करना कम कर दिया है जबकि 7 लोगों ने पूरी तरह छोड़ दी है. आंकड़ों के अनुसार इस साल मई तक 50 साल से अधिक के 21 लोग नशा छुड़वाने के लिए अस्पताल पहुंचे. इसमें से 8 लोगों ने नशा करना बिल्कुल कम कर दिया है. यानी डेढ़ साल में 361 लोग तंबाकू छुड़वाने अस्प्ताल आए, जिसमें 190 ने कम कर दिया है जबकि 26 लोग पूरी तरह तंबाकू छोड़ चुके हैं.
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