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बड़े नाम और बड़े काम के हैं छोटे राज्य हिमाचल के ये डॉक्टर्स, देश भर में चमकाया आईजीएमसी शिमला का नाम

आज डॉक्टर्स दिवस है. ऐसे में आज देशभर में डॉक्टर्स दिवस मनाया जा रहा है. डॉक्टरों को धरती का भगवान भी कहा जाता है. क्योंकि ये डॉक्टर्स मरीजों की जान बचाते हैं. वहीं, हिमाचल प्रदेश के भी डॉक्टरों ने चिकित्सा जगत में प्रदेश का नाम देश-विदेश में रोशन किया है. पढ़िए पूरी खबर...

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Published : Jul 1, 2023, 7:46 AM IST

Updated : Jul 1, 2023, 9:19 AM IST

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डॉक्टर्स डे

शिमला: हिमाचल एक छोटा पहाड़ी राज्य है, लेकिन यहां के डॉक्टर्स बड़े कमाल के हैं. बड़े नाम और बड़े काम वाले इन डॉक्टर्स ने शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में सेहत का ककहरा सीखा और फिर देश भर में मरीजों को जीवनदान दिया. इनके नाम के आगे कई कीर्तिमान दर्ज हैं. देश और विदेश में इनका नाम सम्मान से लिया जाता है.

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प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल आईजीएमसी शिमला

IGMC के डॉक्टर्स ने मनवाया अपना लोहा: वैसे तो आईजीएमसी से सैंकड़ों नामी डॉक्टर्स निकल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं, लेकिन डॉक्टर्स डे के अवसर पर हम यहां कुछ चुनिंदा नामों की चर्चा करेंगे. डॉ. रणदीप गुलेरिया, डॉ. जगतराम, डॉ. टीएस महंत, डॉ. राज बहादुर, डॉ. अरुण शर्मा, डॉ. सुरजीत भारद्वाज. डॉ. ओमेश भारती ऐसे नाम हैं, जिन पर आईजीएमसी गर्व करता है. डॉ. रणदीप गुलेरिया लंबे समय तक एम्स दिल्ली के निदेशक रहे.

इन डॉक्टरों ने बनाया कीर्तिमान: डॉ. जगतराम देश के टॉपमोस्ट हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट पीजीआईएमआर के निदेशक रहे हैं. डॉ. राजबहादुर बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी के वीसी रहे. डॉ. टीएस महंत विश्व विख्यात हार्ट सर्जन हैं. युवा प्रतिभा की बात की जाए तो हमीरपुर के रहने वाले डॉ. अरुण शर्मा कार्डियोवस्कुलर रेडियोलॉजी एंड एंडोवस्कुलर इंटरवेंशन यानी सीवीआर एंड ईआई में डीएम की डिग्री हासिल करने वाले देश के पहले डॉक्टर हैं. पहले ये डिग्री विदेश के चिकित्सा संस्थानों में ही करवाई जाती थी. सबसे पहले एम्स दिल्ली में जब ये डीएम डिग्री शुरू की गई तो समूचे देश से डॉक्टर अरुण शर्मा ही सिलेक्ट हुए. एम्स दिल्ली में सेवाएं देने के बाद डॉ. अरुण शर्मा अब पीजीआईएमआर चंडीगढ़ में तैनात हैं.

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आईजीएमसी शिमला में डॉक्टरों की टीम

रैबिज की रोकथाम का सबसे सस्ता उपाय: इसी तरह हिमाचल के डॉक्टर सुरजीत भारद्वाज भी एम्स दिल्ली में बाल रोग विभाग में सेवाएं देने के बाद अब अपने गृह प्रदेश हिमाचल में तैनात हैं. उन्होंने न्यूनेटल पीडियाट्रिक्स में डीएम यानी सुपर स्पेशेलाइजेशन की है. सुखद तथ्य ये है कि डॉ. अरुण शर्मा व डॉ. सुरजीत भारद्वाज ने जब पीजीआई चंडीगढ़ से अपने-अपने विभाग में पीजी एंट्रेस की प्रवेश परीक्षा दी तो वे जीडीओ कैटेगरी में देश के टॉपर रहे हैं. विश्व में रैबिज की रोकथाम का सबसे सस्ता उपाय तलाशने वाले डॉ. ओमेश भारती भी आईजीएमसी शिमला की पौध हैं.

इनके नाम पर डॉक्टर्स डे मनाया जाता है: चिकित्सा संसार में जिस महान शख्सियत डॉ. बीसी राय के नाम पर ये डॉक्टर्स डे मनाया जाता है, उन्हीं के नाम पर दिया जाने वाला डॉ. बीसी राय अवार्ड भी हिमाचल से संबंध रखने वाले डॉक्टर्स को मिल चुका है. एम्स दिल्ली की लंबे अरसे तक कमान संभालने वाले डॉ. रणदीप गुलेरिया के पिता डॉ. जेएस गुलेरिया भी एम्स दिल्ली में डीन रहे हैं. यही नहीं, डॉ. रणदीप गुलेरिया के भाई डॉ. संदीप गुलेरिया ने किडनी ट्रांसप्लांट की फील्ड में बड़ा नाम हैं. वे भी एम्स में सेवाएं दे चुके हैं.

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कोरोना काल में डॉक्टरों की रही अहम भूमिका

डॉ. बीसी रॉय सेनेटरी अवार्ड से सम्मानित: इसी परिवार के रत्न डॉ. रणदीप गुलेरिया देश के सबसे बड़े चिकित्सा सम्मान डॉ. बीसी रॉय सेनेटरी अवार्ड से अलंकृत हो चुके हैं. इसी कड़ी में एक और बड़ा नाम डॉ. वीके पॉल का है. कांगड़ा जिला के देहरा के रहने वाले डॉ. पॉल दुनिया के माने हुए बाल रोग विशेषज्ञ हैं. कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई की रणनीति डॉ. पाल के नेतृत्व में ही बनी. डॉ. पॉल भी बीसी राय अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं.

मशहूर आई सर्जन डॉ. जगतराम: यदि फील्ड की बात की जाए तो सिरमौर के रहने वाले डॉ. जगतराम दुनिया के मशहूर आई सर्जन हैं. डॉ. जगतराम इंटरनेशनल ऑप्थेमोलॉजी अकादमी के सदस्य हैं. मेडिकल साइंस में देश और विदेश के दर्जनों बड़े अवार्ड डॉ. जगतराम के खाते में दर्ज हैं. वे पीजीआईएमआर चंडीगढ़ के निदेशक पद से पहले वहीं पर एडवांस्ड आई सेंटर के हेड रहे हैं.

देश-विदेश में आईजीएमसी की चमक: इसी तरह पंजाब की बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हैल्थ साइंस के वाइस चांसलर रहे डॉ. राजबहादुर हिमाचल के ऊना जिला के रहने वाले हैं. आईजीएमसी के इस हीरे की चमक देश और विदेश में है. वे दुनिया के नामी आर्थोपेडिक सर्जन हैं. उनके पास यूके, यूएसए, स्विटजरलैंड सहित अन्य देशों की फैलोशिप है. चार दशक के रिसर्च अनुभव से सज्जित डॉ. राजबहादुर पूर्व में गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल चंडीगढ़ के भी प्रमुख रहे हैं.

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आईजीएमसी शिमला में मरीज का इलाज करते डॉक्टर

देश सेवा में इन डॉक्टर्स की भूमिका: आईजीएमसी में पढ़े डॉ. रजनीश पठानिया मशहूर हार्ट सर्जन हैं और वे इसी अस्पताल में प्रिंसिपल रहे. इसी तरह आईजीएमसी में पढ़े डॉ. रमेश चंद और डॉ. जनकराज सीनियर मेडिकल सुपरिंटेंडेंट बनकर इसी अस्पताल को संभाल चुके हैं. आईजीएमसी के डॉ. जेआर ठाकुर एनेस्थीसिया की फील्ड में बड़ा नाम हैं. वे एक निजी मेडिकल इंस्टीट्यूट के हेड हैं. विख्यात बालरोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी सूद इसी मेडिकल कॉलेज में पढ़े हैं और यहां डिपार्टमेंट हेड से पद से रिटायर होने के बाद एक बड़े मेडिकल इंस्टीट्यूट में ऊंची पोस्ट पर हैं. आईजीएमसी से ही पढ़े पल्मोनरी विशेषज्ञ डॉ. सुरेंद्र कश्यप यहां प्रिंसिपल रहे और अब अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रमुख हैं. इस तरह छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज से निकले चिकित्सकों ने देश की सेवा में बड़ा नाम कमाया है. ऐसे नाम डॉक्टर्स डे को सार्थक करते हैं.
ये भी पढ़ें: IGMC Shimla में जल्द आएगी MRI की नई मशीन, मरीजों को मिलेगी राहत

शिमला: हिमाचल एक छोटा पहाड़ी राज्य है, लेकिन यहां के डॉक्टर्स बड़े कमाल के हैं. बड़े नाम और बड़े काम वाले इन डॉक्टर्स ने शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में सेहत का ककहरा सीखा और फिर देश भर में मरीजों को जीवनदान दिया. इनके नाम के आगे कई कीर्तिमान दर्ज हैं. देश और विदेश में इनका नाम सम्मान से लिया जाता है.

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प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल आईजीएमसी शिमला

IGMC के डॉक्टर्स ने मनवाया अपना लोहा: वैसे तो आईजीएमसी से सैंकड़ों नामी डॉक्टर्स निकल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं, लेकिन डॉक्टर्स डे के अवसर पर हम यहां कुछ चुनिंदा नामों की चर्चा करेंगे. डॉ. रणदीप गुलेरिया, डॉ. जगतराम, डॉ. टीएस महंत, डॉ. राज बहादुर, डॉ. अरुण शर्मा, डॉ. सुरजीत भारद्वाज. डॉ. ओमेश भारती ऐसे नाम हैं, जिन पर आईजीएमसी गर्व करता है. डॉ. रणदीप गुलेरिया लंबे समय तक एम्स दिल्ली के निदेशक रहे.

इन डॉक्टरों ने बनाया कीर्तिमान: डॉ. जगतराम देश के टॉपमोस्ट हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट पीजीआईएमआर के निदेशक रहे हैं. डॉ. राजबहादुर बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी के वीसी रहे. डॉ. टीएस महंत विश्व विख्यात हार्ट सर्जन हैं. युवा प्रतिभा की बात की जाए तो हमीरपुर के रहने वाले डॉ. अरुण शर्मा कार्डियोवस्कुलर रेडियोलॉजी एंड एंडोवस्कुलर इंटरवेंशन यानी सीवीआर एंड ईआई में डीएम की डिग्री हासिल करने वाले देश के पहले डॉक्टर हैं. पहले ये डिग्री विदेश के चिकित्सा संस्थानों में ही करवाई जाती थी. सबसे पहले एम्स दिल्ली में जब ये डीएम डिग्री शुरू की गई तो समूचे देश से डॉक्टर अरुण शर्मा ही सिलेक्ट हुए. एम्स दिल्ली में सेवाएं देने के बाद डॉ. अरुण शर्मा अब पीजीआईएमआर चंडीगढ़ में तैनात हैं.

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आईजीएमसी शिमला में डॉक्टरों की टीम

रैबिज की रोकथाम का सबसे सस्ता उपाय: इसी तरह हिमाचल के डॉक्टर सुरजीत भारद्वाज भी एम्स दिल्ली में बाल रोग विभाग में सेवाएं देने के बाद अब अपने गृह प्रदेश हिमाचल में तैनात हैं. उन्होंने न्यूनेटल पीडियाट्रिक्स में डीएम यानी सुपर स्पेशेलाइजेशन की है. सुखद तथ्य ये है कि डॉ. अरुण शर्मा व डॉ. सुरजीत भारद्वाज ने जब पीजीआई चंडीगढ़ से अपने-अपने विभाग में पीजी एंट्रेस की प्रवेश परीक्षा दी तो वे जीडीओ कैटेगरी में देश के टॉपर रहे हैं. विश्व में रैबिज की रोकथाम का सबसे सस्ता उपाय तलाशने वाले डॉ. ओमेश भारती भी आईजीएमसी शिमला की पौध हैं.

इनके नाम पर डॉक्टर्स डे मनाया जाता है: चिकित्सा संसार में जिस महान शख्सियत डॉ. बीसी राय के नाम पर ये डॉक्टर्स डे मनाया जाता है, उन्हीं के नाम पर दिया जाने वाला डॉ. बीसी राय अवार्ड भी हिमाचल से संबंध रखने वाले डॉक्टर्स को मिल चुका है. एम्स दिल्ली की लंबे अरसे तक कमान संभालने वाले डॉ. रणदीप गुलेरिया के पिता डॉ. जेएस गुलेरिया भी एम्स दिल्ली में डीन रहे हैं. यही नहीं, डॉ. रणदीप गुलेरिया के भाई डॉ. संदीप गुलेरिया ने किडनी ट्रांसप्लांट की फील्ड में बड़ा नाम हैं. वे भी एम्स में सेवाएं दे चुके हैं.

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कोरोना काल में डॉक्टरों की रही अहम भूमिका

डॉ. बीसी रॉय सेनेटरी अवार्ड से सम्मानित: इसी परिवार के रत्न डॉ. रणदीप गुलेरिया देश के सबसे बड़े चिकित्सा सम्मान डॉ. बीसी रॉय सेनेटरी अवार्ड से अलंकृत हो चुके हैं. इसी कड़ी में एक और बड़ा नाम डॉ. वीके पॉल का है. कांगड़ा जिला के देहरा के रहने वाले डॉ. पॉल दुनिया के माने हुए बाल रोग विशेषज्ञ हैं. कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई की रणनीति डॉ. पाल के नेतृत्व में ही बनी. डॉ. पॉल भी बीसी राय अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं.

मशहूर आई सर्जन डॉ. जगतराम: यदि फील्ड की बात की जाए तो सिरमौर के रहने वाले डॉ. जगतराम दुनिया के मशहूर आई सर्जन हैं. डॉ. जगतराम इंटरनेशनल ऑप्थेमोलॉजी अकादमी के सदस्य हैं. मेडिकल साइंस में देश और विदेश के दर्जनों बड़े अवार्ड डॉ. जगतराम के खाते में दर्ज हैं. वे पीजीआईएमआर चंडीगढ़ के निदेशक पद से पहले वहीं पर एडवांस्ड आई सेंटर के हेड रहे हैं.

देश-विदेश में आईजीएमसी की चमक: इसी तरह पंजाब की बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हैल्थ साइंस के वाइस चांसलर रहे डॉ. राजबहादुर हिमाचल के ऊना जिला के रहने वाले हैं. आईजीएमसी के इस हीरे की चमक देश और विदेश में है. वे दुनिया के नामी आर्थोपेडिक सर्जन हैं. उनके पास यूके, यूएसए, स्विटजरलैंड सहित अन्य देशों की फैलोशिप है. चार दशक के रिसर्च अनुभव से सज्जित डॉ. राजबहादुर पूर्व में गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल चंडीगढ़ के भी प्रमुख रहे हैं.

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आईजीएमसी शिमला में मरीज का इलाज करते डॉक्टर

देश सेवा में इन डॉक्टर्स की भूमिका: आईजीएमसी में पढ़े डॉ. रजनीश पठानिया मशहूर हार्ट सर्जन हैं और वे इसी अस्पताल में प्रिंसिपल रहे. इसी तरह आईजीएमसी में पढ़े डॉ. रमेश चंद और डॉ. जनकराज सीनियर मेडिकल सुपरिंटेंडेंट बनकर इसी अस्पताल को संभाल चुके हैं. आईजीएमसी के डॉ. जेआर ठाकुर एनेस्थीसिया की फील्ड में बड़ा नाम हैं. वे एक निजी मेडिकल इंस्टीट्यूट के हेड हैं. विख्यात बालरोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी सूद इसी मेडिकल कॉलेज में पढ़े हैं और यहां डिपार्टमेंट हेड से पद से रिटायर होने के बाद एक बड़े मेडिकल इंस्टीट्यूट में ऊंची पोस्ट पर हैं. आईजीएमसी से ही पढ़े पल्मोनरी विशेषज्ञ डॉ. सुरेंद्र कश्यप यहां प्रिंसिपल रहे और अब अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रमुख हैं. इस तरह छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज से निकले चिकित्सकों ने देश की सेवा में बड़ा नाम कमाया है. ऐसे नाम डॉक्टर्स डे को सार्थक करते हैं.
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Last Updated : Jul 1, 2023, 9:19 AM IST
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