शिमला : हिमाचल प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र के विकास कार्यक्रम के लिए विश्व बैंक 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 1600 करोड़ रुपये का लोन देगा. जिससे प्रदेश में रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देने के साथ साथ ऊर्जा क्षेत्र में सुधार किया जाएगा. मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि प्रदेश की हिस्सेदारी के साथ इस कार्यक्रम की कुल लागत लगभग 2000 करोड़ रुपये है. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम की अवधि 2023 से 2028 तक पांच वर्षों की है और विश्व बैंक से इस कार्यक्रम के लिए अगस्त तक वित्तीय मदद मिलने की संभावना है.
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत नवीकरणीय ऊर्जा में राज्य के संसाधनों के इस्तेमाल, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन के स्तर पर राज्य ग्रिड की विश्वसनीयता और विभिन्न ऊर्जा एजेंसियों की संस्थागत क्षमताओं को अपग्रेड किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का लक्ष्य हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरशेन लिमिटेड और हिम ऊर्जा के माध्यम से लगभग 200 मेगावाट की सौर ऊर्जा उत्पादन में नई क्षमताएं स्थापित करना है.
राज्य को अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए सर्वोत्तम व्यापार की अनुमति प्रदान करना महत्वपूर्ण है. ऐसे में यह कार्यक्रम राज्य में ट्रांसमिशन (एचपीपीटीसीएल द्वारा) और 13 शहरों में डिस्ट्रीब्यूशन लेवल (एचपीएसईबीएल द्वारा) पर विद्युत नेटवर्क को सुदृढ़ करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगा. स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर (एचपीएसएलडीसी) की प्रणालियों के अपग्रेडेशन से बिजली की डिमांड और सप्लाई के बेहतर मैनेजमेंट में मदद मिलेगी. जिससे राज्य में विद्युत आपूर्ति का बेहतर हस्तांतरण विश्वसनीयता और गुणवत्ता के आधार पर सुनिश्चित होगा.
सीएम सुक्खू ने कहा कि इस कार्यक्रम से हिमाचल के बिजली क्षेत्र में लागू पर्यावरण और सामाजिक प्रणालियों को मज़बूती मिलेगी. वर्ल्ड बैंक समर्थित इस कार्यक्रम के तहत जलविद्युत में किसी नए निवेश की परिकल्पना नहीं की गई है, लेकिन यह कार्यक्रम राज्य को बिजली क्षेत्र की उपयोगिताओं के लिए समान पर्यावरण और सामाजिक नीति और प्रक्रियाएं विकसित करने में सहायक होगा और राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा के सतत विकास के लिए मानक उपलब्ध करवाएगा. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रदेश के बिजली क्षेत्र में महिलाओं की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना है.
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