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RTI एक्ट को लेकर ऊना में कार्यशाला, पढ़ें सूचना के अधिकार के तहत कैसे ले सकते हैं जानकारी

ऊना में सूचना अधिकार अधिनियम को लेकर कार्यशाला का हुआ आयोजन, डीसी ऊना संजीव कुमार ने की कार्यशाला की अध्यक्षता, विभिन्न विभागों के पीआईओ, एपीआईओ ने कार्यशाला में लिया भाग.

workshop on RTI act in Una
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Published : Sep 4, 2019, 5:08 PM IST

ऊनाः आरटीआई एक्ट के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ऊना के बटत भवन में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया.आरटीआई एक्ट के तहत जनसूचना अधिकारी को 30 दिन की अवधि के भीतर मांगी गई सूचना देना जरूरी है जबकि सूचना से संतुष्ट न होने पर प्रार्थी अपील अधिकारी के पास अपील कर सकता है.

वहीं, सूचना न मिलने पर 90 दिन के भीतर मामले को सूचना आयोग में ले जाया जा सकता है. समय पर सूचना न देने वाले अधिकारी को प्रतिदिन 250 रूपए तथा अधिकतम 25 हजार रूपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि सूचना पाने वाले व्यक्ति को आवेदन पत्र के साथ 10 रूपए का पोस्टल ऑर्डर देना होता है जबकि बीपीएल परिवार से संबंधित व्यक्ति को फीस से छूट है. बीपीएल परिवार से संबंधित व्यक्ति को अपना सर्टिफिकेट आवेदन के साथ लगाना आवश्यक है

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ऊना में सूचना अधिकार अधिनियम को लेकर कार्यशाला का हुआ आयोजन

ऊना में सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 पर विभिन्न सरकारी कार्यालयों के पीआईओ और एपीआईओ को जागरूक करने के लिए बचत भवन में कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला की अध्यक्षता उपायुक्त ऊना संदीप कुमार ने की. उन्होंने सभी जन सूचना अधिकारियों व सहायक जन सूचना अधिकारियों से अपने कार्यालयों में मौजूद सूचना के रिकॉर्ड के बेहतर प्रबंधन पर बल दिया ताकि सूचना देने में किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े.

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डीसी ऊना संजीव कुमार ने की कार्यशाला की अध्यक्षता

प्रार्थी को वही सूचना उपलब्ध करवाई जानी चाहिए, जो कार्यालय के पास उपलब्ध है, गलत सूचना देने से अधिकारियों को बचना चाहिए. कार्यशाला में डीसी ने कहा कि सुशासन व सरकारी कामकाज में पारदर्शिता के लिए आरटीआई एक्ट एक महत्वपूर्ण कदम है. यह भष्टाचार रोकने में कारगर सिद्ध हो रहा है. उन्होंने कहा कि सभी पीआईओ और एपीआईओ को इस एक्ट के महत्वपूर्ण प्रावधानों की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए.

ऊनाः आरटीआई एक्ट के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ऊना के बटत भवन में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया.आरटीआई एक्ट के तहत जनसूचना अधिकारी को 30 दिन की अवधि के भीतर मांगी गई सूचना देना जरूरी है जबकि सूचना से संतुष्ट न होने पर प्रार्थी अपील अधिकारी के पास अपील कर सकता है.

वहीं, सूचना न मिलने पर 90 दिन के भीतर मामले को सूचना आयोग में ले जाया जा सकता है. समय पर सूचना न देने वाले अधिकारी को प्रतिदिन 250 रूपए तथा अधिकतम 25 हजार रूपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि सूचना पाने वाले व्यक्ति को आवेदन पत्र के साथ 10 रूपए का पोस्टल ऑर्डर देना होता है जबकि बीपीएल परिवार से संबंधित व्यक्ति को फीस से छूट है. बीपीएल परिवार से संबंधित व्यक्ति को अपना सर्टिफिकेट आवेदन के साथ लगाना आवश्यक है

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ऊना में सूचना अधिकार अधिनियम को लेकर कार्यशाला का हुआ आयोजन

ऊना में सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 पर विभिन्न सरकारी कार्यालयों के पीआईओ और एपीआईओ को जागरूक करने के लिए बचत भवन में कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला की अध्यक्षता उपायुक्त ऊना संदीप कुमार ने की. उन्होंने सभी जन सूचना अधिकारियों व सहायक जन सूचना अधिकारियों से अपने कार्यालयों में मौजूद सूचना के रिकॉर्ड के बेहतर प्रबंधन पर बल दिया ताकि सूचना देने में किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े.

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डीसी ऊना संजीव कुमार ने की कार्यशाला की अध्यक्षता

प्रार्थी को वही सूचना उपलब्ध करवाई जानी चाहिए, जो कार्यालय के पास उपलब्ध है, गलत सूचना देने से अधिकारियों को बचना चाहिए. कार्यशाला में डीसी ने कहा कि सुशासन व सरकारी कामकाज में पारदर्शिता के लिए आरटीआई एक्ट एक महत्वपूर्ण कदम है. यह भष्टाचार रोकने में कारगर सिद्ध हो रहा है. उन्होंने कहा कि सभी पीआईओ और एपीआईओ को इस एक्ट के महत्वपूर्ण प्रावधानों की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए.

Intro:ऊना में सूचना अधिकार अधिनियम को लेकर कार्यशाला का हुआ आयोजन, डीसी ऊना संजीव कुमार ने की कार्यशाला की अध्यक्षता, विभिन्न विभागों के पीआईओ, एपीआईओ ने कार्यशाला में लिया भाग।Body:ऊना में सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 पर विभिन्न सरकारी कार्यालयों के पीआईओ और एपीआईओ को जागरूक करने के लिए बचत भवन में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता उपायुक्त ऊना संदीप कुमार ने की। उन्होंने सभी जन सूचना अधिकारियों व सहायक जन सूचना अधिकारियों से अपने कार्यालयों में मौजूद सूचना के रिकॉर्ड के बेहतर प्रबंधन पर बल दिया ताकि सूचना देने में किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े। साथ ही कहा कि प्रार्थी को वही सूचना उपलब्ध करवाई जानी चाहिए, जो उनके पास उपलब्ध है तथा मनघडंत सूचना देने से अधिकारियों को बचना चाहिए। कार्यशाला में डीसी ने कहा कि सुशासन व सरकारी कामकाज में पारदर्शिता के लिए आरटीआई एक्ट एक महत्वपूर्ण कदम है। यह भष्टाचार रोकने में कारगर सिद्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि सभी पीआईओ और एपीआईओ को इस एक्ट के महत्वपूर्ण प्रावधानों की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
आरटीआई एक्ट के तहत जनसूचना अधिकारी को 30 दिन की अवधि के भीतर मांगी गई सूचना देना जरूरी है जबकि सूचना से संतुष्ट न होने पर प्रार्थी अपील अधिकारी के पास अपील कर सकता है। तदोपरान्त सूचना न मिलने पर 90 दिन के भीतर मामले को सूचना आयोग में ले जाया जा सकता है। समय पर सूचना न देने वाले अधिकारी को प्रतिदिन 250 रूपए तथा अधिकतम 25 हजार रूपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सूचना पाने वाले व्यक्ति को आवेदन पत्र के साथ 10 रूपए का पोस्टल ऑर्डर देना होता है जबकि बीपीएल परिवार से संबंधित व्यक्ति को फीस से छूट है। बीपीएल परिवार से संबंधित व्यक्ति को अपना सर्टिफिकेट आवेदन के साथ लगाना आवश्यक हैConclusion:
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