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सूखती नदियों पर चिंतित जयराम सरकार, शिमला में कार्यशाला का आयोजन

नदियों में घटते जलस्तर को लेकर शिमला में कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में चार राज्यों के अधिकारियों ने लिया भाग.

नदियों में घटते जलस्तर को लेकर कार्यशाला का आयोजन
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Published : Jun 28, 2019, 4:44 PM IST

शिमला: बढ़ती जनसंख्या, पर्यावरण प्रदूषण और घटती वनों की संख्या का सीधा असर हमारी नदियों पर पड़ रहा है. क्षेत्र में बहने वाली सिंधु की सहायक नदियों को जिंदा रखने और पानी की मात्रा बढ़ाने के लिए शिमला में हिमाचल, पंजाब, चंडीगढ़ और उत्तरखंड से आए मंत्रालय के अधिकारियों ने शुक्रवार को मंथन किया.

कार्यशाला में सतलुज, व्यास, रावी, चिनाव और झेलम नदियों के कैचमेंट एरिया में अधिक से अधिक पड़े लगाने पर चर्चा की गई. इसको लेकर एक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है. नमामि गंगे की तर्ज पर ही इस कार्यकम को करने का प्रयास किया जा रहा है. इसी मकसद से हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान द्वारा शिमला में दो दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया.

नदियों में घटते जलस्तर को लेकर कार्यशाला का आयोजन

कार्यक्रम में वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों की नदियां लोगों की आजीविका चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं. हिमालयी क्षेत्रों में नदियों के जल का प्रयोग बिजली उत्पादन में बहुत ज्यादा हो रहा है, जिस वजह से नदियों के जल स्तर में कमी आ रही है.

गोविंद ठाकुर ने कहा कि नदियों में जल स्तर को बढ़ाने के लिए वनों की अहम भूमिका है. नदियों के किनारों और आसपास के क्षेत्रों में भारी संख्या में पेड़-पौधे लगाने की जरूरत है. गोविंद सिंह ठाकुर ने संस्थान द्वारा सिंधु नदी बेसिन की प्रमुख नदियों का पुनरुद्धार करने के प्रयास की सराहना की और उम्मीद जताई की भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे.

गोविंद ठाकुर परिवहन मंत्री

सिंधु नदी बेसिन की प्रमुख नदियों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने में गंगा नदी की पुनरुद्धार की डीपीआर को आधार माना जायेगा. उन्होंने कहा कि इसमें सभी राज्यों या क्षेत्र में एक ही प्रकार से काम नहीं किया जा सकता. सभी नदियों के कैचमेंट एरिया में अलग अलग जरूरतें है. किसी स्थान पर वन लगाकर फायदा होगा तो कहीं अन्य गतिविधियों से नदियों में पानी के फ्लो बढ़ाया जाएगा.

शिमला: बढ़ती जनसंख्या, पर्यावरण प्रदूषण और घटती वनों की संख्या का सीधा असर हमारी नदियों पर पड़ रहा है. क्षेत्र में बहने वाली सिंधु की सहायक नदियों को जिंदा रखने और पानी की मात्रा बढ़ाने के लिए शिमला में हिमाचल, पंजाब, चंडीगढ़ और उत्तरखंड से आए मंत्रालय के अधिकारियों ने शुक्रवार को मंथन किया.

कार्यशाला में सतलुज, व्यास, रावी, चिनाव और झेलम नदियों के कैचमेंट एरिया में अधिक से अधिक पड़े लगाने पर चर्चा की गई. इसको लेकर एक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है. नमामि गंगे की तर्ज पर ही इस कार्यकम को करने का प्रयास किया जा रहा है. इसी मकसद से हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान द्वारा शिमला में दो दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया.

नदियों में घटते जलस्तर को लेकर कार्यशाला का आयोजन

कार्यक्रम में वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों की नदियां लोगों की आजीविका चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं. हिमालयी क्षेत्रों में नदियों के जल का प्रयोग बिजली उत्पादन में बहुत ज्यादा हो रहा है, जिस वजह से नदियों के जल स्तर में कमी आ रही है.

गोविंद ठाकुर ने कहा कि नदियों में जल स्तर को बढ़ाने के लिए वनों की अहम भूमिका है. नदियों के किनारों और आसपास के क्षेत्रों में भारी संख्या में पेड़-पौधे लगाने की जरूरत है. गोविंद सिंह ठाकुर ने संस्थान द्वारा सिंधु नदी बेसिन की प्रमुख नदियों का पुनरुद्धार करने के प्रयास की सराहना की और उम्मीद जताई की भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे.

गोविंद ठाकुर परिवहन मंत्री

सिंधु नदी बेसिन की प्रमुख नदियों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने में गंगा नदी की पुनरुद्धार की डीपीआर को आधार माना जायेगा. उन्होंने कहा कि इसमें सभी राज्यों या क्षेत्र में एक ही प्रकार से काम नहीं किया जा सकता. सभी नदियों के कैचमेंट एरिया में अलग अलग जरूरतें है. किसी स्थान पर वन लगाकर फायदा होगा तो कहीं अन्य गतिविधियों से नदियों में पानी के फ्लो बढ़ाया जाएगा.

Intro:शिमला। बढ़ती जनसंख्या और पर्यावरण प्रदूषण और घटती वनों की संख्या का सीधा असर हमारी नदियों पर पड़ रहा है। क्षेत्र में बहने वाली सिंधु की सहायक नदियों को जिंदा रखने और इनमें पानी की मात्रा बढ़ाने के लिए शिमला में हिमाचल, पंजाब, चंडीगढ़ और उत्तरखंड से वन आए मंत्रालय के अधिकारियों ने मंथन किया। कार्यशाला में सतलुज, व्यास, रावी, चिनाव और झेलम नदियों के कैचमेंट एरिया में अधिक से अधिक पड़े लगाने पर चर्च जारी है। इसको लेकर एक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है।
Body:नमामि गंगे की तर्ज़ पर ही इस कार्यकम को करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी मकसद से हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान द्वारा शिमला में दो दिवसीय लांच वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें वानिकी गतिविधियों के माध्यम से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के लिए विशेषज्ञ ने विचार विमर्श किया।कार्यक्रम में वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों की नदियां लोगों की आजीविका चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।हिमालयी क्षेत्रों में नदियों के जल का प्रयोग बिजली उत्पादन में बहुत ज्यादा हो फाहा है जिस वजह से नदियों के जल स्तर में कमी आ रही है।जिसे बढ़ाने के लिए वनों की अहम भूमिका होती है इसलिए नदियों के किनारों और आसपास के क्षेत्रों में भारी संख्या में पेड़ पौधे लगाने की जरूरत है।गोविंद सिंह ठाकुर ने संस्थान द्वारा सिंधु नदी बेसिन की प्रमुख नदियों का पुनरुद्धार करने के प्रयास की सराहना की और उम्मीद जताई की भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।
Conclusion:सिंधु नदी बेसिन की प्रमुख नदियों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने में गंगा नदी की पुनरुद्धार की डीपीआर को आधार माना जायेगा। उन्होंने कहा कि इसमें सभी राज्यों या क्षेत्र में एक ही प्रकार से काम नहीं किया जा सकता। सभी नदियों के कैचमेंट एरिया में अलग अलग जरूरतें है। किसी स्थान पर वन लगाकर फायदा होगा तो कहीं अन्य गतिविधियों से नदियों में पानी को फ्लो बढ़ाया जा सकेगा। इसलिए अलग अलग विभागों के अधिकारी नहीं कार्यशाला में मौजूद हैं ताकि विस्तृत विचार किया जा सके।
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