शिमला: हिमाचल प्रदेश में बीते कुछ समय से महिलाओं में बच्चेदानी में कैंसर के मामले काफी ज्यादा तादाद में सामने आए हैं. आईजीएमसी कैंसर विभाग के अनुसार, कैंसर अस्पताल में हर साल महिलाओं में बच्चेदानी के कैंसर के 300 नए मामले आ रहे हैं. जो कि एक गंभीर चिंता का विषय है. इस संबंध में कैंसर अस्प्ताल शिमला में सहायक प्रोफेसर डॉ. दीपक तुली ने बताया कि महिलाओं में बच्चे दानी यानी सर्विक्स कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं और यह चिंता का विषय है. उनका बताया कि ओपीडी में साल भर में बच्चेदानी में कैंसर से पीड़ित 300 नए महिला मरीज आ रही और जिनका पहले से इलाज चल रहा है, उनको मिला कर प्रतिवर्ष 2 हजार मरीज कैंसर के इलाज के लिए आते हैं.
'50 साल से ऊपर की महिला मरीज सबसे अधिक': डॉ. दीपक तुली ने बताया कि ये देखा गया है कि गांव में रहने वाली 60 से ऊपर उम्र की महिलाएं बताने में शर्म करती हैं, इसलिए वह समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाती हैं, लेकिन आज कल जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ती जा रही है. वैसै-वैसे 50 साल से 60 साल तक की महिलाएं भी समय पर अपनी जांच करवाने अस्प्ताल आती हैं. कैंसर अस्प्ताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों का मानना है कि बच्चे दानी में कैंसर का मुख्य कारण हाइजीन है.
क्या है बच्चेदानी का कैंसर: डॉ. दीपक तुली ने बताया कि महिलाओं के प्रजनन अंगों में कई तरह के कैंसर होते हैं, गर्भाशय का कैंसर भी उन्हीं में से एक है. इसे एंडोमेट्रियल कैंसर, बच्चेदानी में कैंसर या यूटेराइन कैंसर के नाम से भी जाना जाता है. जब गर्भाशय की आंतरिक परत में मौजूद कोशिकाओं में आनुवंशिक बदलाव आता है तो वे असामान्य रूप से विभाजित और विकसित होने लगती हैं. कोशिकाओं के असामान्य रूप से विभाजन होने और बढ़ने के कारण गर्भाशय में ट्यूमर बनने लगता है. यह ट्यूमर आगे जाकर कैंसर में बदल जाता है. लोग अक्सर गर्भाशय के कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को एक समझ लेते हैं. हालांकि, यह दोनों एक दूसरे से अलग प्रकार के कैंसर हैं.
'एंडोमेट्रियम का बढ़ना बच्चेदानी में कैंसर का कारण': जब एंडोमेट्रियम की कोशिकाओं में आनुवंशिक परिवर्तन होता है तो वे कोशिकाएं असामान्य हो जाती हैं. असामान्य होने के बाद, ये कोशिकाएं तेजी से बढ़ने लगती हैं जिससे ट्यूमर का निर्माण होता है. यह ट्यूमर एक समय के बाद कैंसर में बदल जाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने पर गर्भाशय कैंसर यानी बच्चेदानी में कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन अंडाशय यानी ओवरी में बनने वाले सेक्स हार्मोन हैं. जब इन दोनों के संतुलन में बदलाव आता है तो एंडोमेट्रियम में भी बदलाव आ सकता है. शोध के मुताबिक अगर एस्ट्रोजन के स्तर में वृद्धि हो, लेकिन प्रोजेस्टेरोन के स्तर में वृद्धि न हो तो एंडोमेट्रियम की परत मोटी हो जाती है जो कैंसर का कारण बन सकती है.
ये हैं लक्षण:
असामान्य रक्तस्राव या स्पॉटिंग होना
मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) के बाद से सफेद पानी आना
मासिक धर्म के बीच रक्तस्राव होना
पीरियड्स का सामान्य से अधिक समय तक जारी रहना
अत्यधिक रक्तस्राव होना
लंबे समय तक रक्तस्राव होना
उम्र 40 से अधिक होने के बाद भी अधिक रक्तस्राव होना
पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
'समय पर जांच करवाने पर इलाज संभव': हालांकि, ये लक्षण दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भी हो सकते हैं. इसलिए यह आवश्यक है कि खुद में इन लक्षणों को अनुभव करते ही जल्द विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श कर अपना उचित इलाज करवाएं. विशेषज्ञों के अनुसार शुरुआती स्टेज में गर्भाशय कैंसर का इलाज संभव है और इसके उपचार के सफल होने की संभावना भी ज्यादा होती है. डॉ. दीपक ने कहा की महिलाएं समय रहते इसकी जांच और इसका इलाज करवाएं, ताकि वो बच्चेदानी के कैंसर से निजात पा सकें.