शिमला: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में कुल्लू में शर्मसार कर देने वाली घटना के बाद हिमाचल सरकार ने कई सबक सीखे हैं. राज्य पुलिस ने भी इस घटना को गंभीरता से लेते हुए अब वीवीआईपी सुरक्षा को और प्रोफेशनल बनाने की कसरत शुरू कर दी है. वीवीआईपी सिक्योरिटी में तैनात अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों के लिए रिफ्रेशर कोर्स की भी जरूरत बताई जा रही है.
इसके अलावा नियमित रूप से सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की भी सिफारिश की गई है. यही नहीं, कुल्लू की घटना के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी सारे प्रकरण पर नाराजगी जताई है और पुलिस विभाग से आगे की तैयारियों का प्लान मांगा है. इसे देखते हुए पुलिस मुख्यालय स्तर पर वीवीआईपी सिक्योरिटी को और चुस्त करने की कवायद शुरू हो गई है.
डीजीपी संजय कुंडू ने आला अफसरों को सिक्योरिटी प्लान तैयार करने के लिए कहा है. इसी कड़ी के पहले पाठ के तौर पर डीजीपी ने खुद एसपी रैंक के अफसरों को विपरीत परिस्थितियों में धैर्य रखने के लिए कहा है. इसके लिए बाकायदा एक सर्कुलर भी जारी किया गया और मीडिया में भी बयान दिया गया है.
मौजूदा व्यवस्था में भरोसेमंद अफसरों को प्राथमिकता
हिमाचल प्रदेश में वीवीआईपी सुरक्षा को कभी भी प्रोफेशनल एप्रोच में नहीं लिया गया. मुख्यमंत्री हों या फिर कैबिनेट मंत्री अथवा विधायक, सभी अपनी सुविधा के अनुसार सुरक्षा अधिकारियों व कर्मियों को तैनात करते हैं. मौजूदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सुरक्षा का जिम्मा पहले एएसपी रैंक के अफसर सुशील कुमार के जिम्मे थी. बाद में एएसपी बृजेश सूद को यह पद दिया गया.
अब कुल्लू प्रकरण के बाद पुनीत रघु मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सुरक्षा देख रहे हैं. जहां तक बात है सीएम के पीएसओ बलवंत सिंह ठाकुर की तो वह शुरू से ही जयराम ठाकुर के साथ रहे हैं. विधायक से लेकर मंत्री और फिर सीएम बनने तक जयराम ठाकुर ने राजनीति के कई बदलाव देखे, मगर कुछ बदला नहीं तो वो बलवंत का रुतबा.
लंबे समय तक जयराम ठाकुर के साथ रहने के कारण बलवंत सिंह के स्वभाव में एक ऐसी प्रवृति घर कर गई कि वो खुद को सर्वेसर्वा समझने लग गए. उनके खुश्क व्यवहार को लेकर अकसर लोग दबी जुबां में चर्चा करते थे. कुल्लू प्रकरण के बाद वे सस्पेंड हैं और माना जा रहा है कि डीआईजी की जांच में उनके खिलाफ सख्त टिप्पणियां हैं.
वीवीआईपी सिक्योरिटी में गंभीरता की जरूरत
बेशक हिमाचल प्रदेश शांत राज्य है और यहां राजनेता जनता की आसान पहुंच में हैं, लेकिन वीवीआईपी सिक्योरिटी को गंभीरता से लेने की जरूरत है. पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की बात की जाए तो उनके सुरक्षा का जिम्मा डीएसपी रैंक के पदम सिंह संभालते रहे. वे दो दशक से भी अधिक समय तक सीएम सुरक्षा में रहे.
पदम सिंह वीरभद्र सिंह के भरोसेमंद सुरक्षा अधिकारी रहे. सत्ता में आते ही उनकी धमक कुछ और ही हो जाती थी. दरअसल, हिमाचल के राजनेता अपनी सुरक्षा के लिए खुद की पसंद के अफसर व कर्मचारी चुनते आए हैं. ऐसे में सुरक्षा अधिकारियों को एक ही ढर्रे में काम करने की आदत सी हो जाती है.
एडवांस ट्रेनिंग प्रोग्राम और स्ट्रेस मैनेजमेंट पर फोकस
कुल्लू प्रकरण के बाद राज्य पुलिस के मुखिया वीवीआईपी सुरक्षा घेरे को और प्रोफेशनल बनाने की कवायद में जुट गए हैं. सरकार की तरफ से भी इस बारे में निर्देश दिए गए हैं. अब सुरक्षा अधिकारियों व कर्मियों के लिए एडवांस ट्रेनिंग प्लान तैयार किया जा रहा है. साथ ही स्ट्रेस मैनेजमेंट कोर्स और नए जमाने की चुनौतियों के हिसाब से प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जाएगी. अभी तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं था. रिफ्रेशर कोर्स पर भी जोर दिया जाएगा.
सुरक्षा अधिकारियों व कर्मचारियों को नए जमाने की चुनौतियों के हिसाब से प्रशिक्षित किया जाएगा. इंटरनेट के इस दौर में सुरक्षा कर्मियों को अपने गुस्से, भावनाओं और दूसरे मनोभावों पर नियंत्रण के तरीके सीखने के लिए भी भेजा जाएगा. कारण ये है कि अब सभी के पास मोबाइल फोन हैं और किसी भी घटना का तुरंत वीडियो तैयार होकर वायरल हो जाता है.
यदि सिक्योरिटी अफसर अपने गुस्से पर नियंत्रण न कर पाएं तो जनता में किरकिरी होते देर नहीं लगती, जैसा कि कुल्लू के मामले में हुआ. यदि एंड्रायड फोन और सस्ते इंटरनेट का जमाना न होता तो कुल्लू की झड़प का वीडियो न बनता और पर्दे के पीछे ही सारा मैनेज हो जाता. ऐसे में पुलिस को वीवीआईपी सुरक्षा के लिए नए जमाने की चुनौतियों के हिसाब से तैयार किया जाएगा.
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