शिमला: हिमाचल में अभी भी पोस्टल बैलेट से मतदान जारी है. सर्विस वोटर और पोलिंग स्टाफ अभी भी पोस्टल बैलेट से मतदान कर रहे हैं. निवार्चन आयोग की ओर से सर्विस और चुनावी डयूटी वाले कर्मचारियों को 1,27,287 पोस्टल बैलेट जारी किए गए थे, जिनमें से 47,276 बैलेट वापस मिल चुके हैं. इसके अलावा दिव्यांग, 80 वर्ष से अधिक आयु और आवश्यक सेवाओं वाले वोटरों में से भी 38,207 ने पोस्टल बैलेट से मतदान किया है. कुल मिलाकर देखें तो अब तक कुल 85,483 लोग पोस्टल बैलेट से हिमाचल में मतदान कर चुके हैं.
इनको जारी किए गए हैं पोस्टल बैलेट: हिमाचल में चुनाव आयोग ने अबकी बार पांच कैटेगरी को 12 डी फार्म भरने के आधार पर पोस्टल बैलेट पेपर जारी किए गए हैं. इनमें दिव्यांग, 80 साल से अधिक के मतदाता, आवश्यक सेवाओं में तैनात कर्मचारी, पोलिंग स्टाफ और सर्विस वोटर (सर्विसमैन) हैं. इन सभी को 16,7148 पोस्टल बैलेट जारी किए गए थे. इनमें दिव्यांग, 80 साल से अधिक आयु और आवश्यक सेवाओं वालों के लिए 39,861 पोस्टल बैलेट जारी किए गए. पोलिंग स्टाफ और सर्विस मैन को छोड़कर बाकी तीनों वर्गों के वोटरों को 10 नवंबर तक मतदान करने का मौका पोस्टल बैलेट के माध्यम से दिया गया.
इन तीन वर्गों के 38,207 वोटरों ने पोस्टल बैलेट से मतदान किया है. सर्विस वोटर और चुनावी डयूटी में तैनात कर्मचारी अभी भी वोटिंग कर रहे हैं. इनके पोस्टल बैलेट संबंधित गृह विधानसभा क्षेत्र के संबंधित रिटर्निंग आफिसर (एसडीएम) के पास 8 दिसंबर को मतगणना शुरू होने से पहले पहुंच जाने चाहिए. मतगणना 8 बजे शुरू होगी और इससे पहले जितने भी पोस्टल बैलेट रिटर्निंग ऑफिसरों को मिलेंगे, उनको गणना में शामिल किया जाएगा. सभी मतगणना केंद्रों में एक साथ सुबह आठ बजे पहले पोस्टल बैलेट की ही गणना शुरू होगी. इसके बाद 8.30 पर ईवीएम के वोटों की गिनती शुरू कर दी जाएगी.
सर्विस वोटरों के पोस्टल बैलेटपहुंचे: हिमाचल में अबकी बार 67,559 सर्विस वोटरों को ईटीपीबीएस यानी इलेक्ट्रानिक ट्रांसमिशन पोस्टल बैलेट सिस्टम से पोस्टल बैलेट जारी किए गए थे. ये पोस्टल बैलेट सेना, सीआरपीएफ व बीएसफ आदि जवानों के लिए होते हैं, जो अलग-अलग जगहों पर तैनात होते हैं. ये बैलेट जिन लिफाफों में पहुंचते हैं, उनमें एक क्यूआर कोर्ड अंकित होता है. इन पोस्टल बैलेट की गिनती से पहले क्यूआर कोर्ड की स्क्रीनिंग की जाती है, इससे वोटों की वास्तिवकता पता चलती है. हिमाचल में कुल 67,559 सर्विस वोटरों में से अब तक 15,099 वोटरों के बैलेट पेपर संबंधित रिटर्निंग आफिसरों तक पहुंचे हैं. इस तरह करीब 52,460 हजार सर्विस वोटरों के मत पहुंचना बाकी है.
पोलिंग स्टाफ ने भी किया मतदान: हिमाचल में चुनावी डयूटी में लगे 59,728 कर्मचारियों को भी पोस्टल बैलेट जारी किए गए हैं. ये कर्मचारी अपने घरों से दूर हैं और ऐसे में इन कर्मचारियों के लिए चुनाव आयोग ने पोस्टल बैलेट से मतदान का प्रावधान रखा है. ये कर्मचारी जहां तैनात है, वहां उनको एसडीएम के माध्यम पोस्टल बैलेट जारी किए गए हैं. पोस्टल बैलेट को भरकर वे या तो खुद आकर अपने गृह क्षेत्र के एसडीएम आफिस में जमा करवा सकते हैं. इनके लिए फेसिसिटेशन बाक्स भी वहां लगाए गए हैं. जहां वे बैलेट जमा करवा सकते हैं. इसके अलावा वे पोस्टल बैलेट को डाक से माध्यम से एसडीएम यानी रिटर्निंग अधिकारी के पास आठ दिसंबर को सुबह मतगढ़ना से पहले पहुंचा सकते हैं. अभी तक 59,728 पोलिंग स्टाफ में से 32,177 कर्मचारियों के पोस्टल बैलेट संबंधित रिटर्निंग आफिसरों के दफ्तरों तक पहुंच चुके हैं. इस तरह 27551 पोलिंग स्टाफ के पोस्टल बैलेट मिलना बाकी है.
चुनाव आयोग मतगणना वाली सुबह आठ बजे से पहले मिले सर्विस वोटर और पोलिंग स्टाफ के पोस्टल बैलेट की गणना करेंगे. इसका मकसद सभी की चुनाव में भागीदारी सुनिश्चित करना है. हालांकि, हिमाचल में इन वोटरों के लिए काफी लंबा समय मिल गया है. सुबह आठ बजे से पहले तक डाक घरों में आए सभी पोस्टल बैलेट को पोलिंग स्टाफ कलेक्ट करेंगे. इसके बाद इनकी गणना मतगणना केंद्रों में शुरू कर दी जाएगी.
सर्विस और पोलिंग स्टाफ के पोस्टल बैलेटों से बढ़ेगा मतदान प्रतिशत: हिमाचल के मुख्य निवार्चन अधिकारी मनीष गर्ग ने बताया हिमाचल में 12 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव के लिए इस बार 75.6 फीसदी मतदान रिकॉर्ड किया गया है. इनमें आम मतदाता के अलावा दिव्यांग और 80 साल से अधिक और आपातकालीन सेवाओं में लगे कर्मचारी शामिल हैं. इस तरह अब सर्विस वोटर और पोलिंग स्टाफ के बैलेट की गिनती की जानी है. कुल मिलाकर देखें तो इन दो वर्गों के 1,27,287 पोस्टल बैलेट हैं. इस तरह इनके पोस्टल बैलेट मतदान प्रतिशत को एक फीसदी से भी अधिक बढ़ा सकते हैं. इससे राजनीतिक पार्टियों के समीकरण भी बदल सकते हैं. ऐसे में अब सभी की नजरें इन वोटों पर लगी हुई हैं, जो कई जगहों पर जीत और हार का फैसला कर सकती हैं. विशेषकर जहां उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला है और जहां जीत और हार का मार्जिन थोड़ा रहने की संभावना है.
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