शिमला: हिमाचल में शराब की आबकारी नीति को लेकर सत्ता और विपक्ष में खूब बयानबाजी हो रही है. दोनों ओर से आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. जयराम ठाकुर ने बयान दिया था कि मौजूदा सरकार के समय में ठेकों की नीलामी से मात्र 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इस पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने जयराम ठाकुर पर पलटवार किया है.
दोनों मंत्रियों ने मौजूदा राज्य सरकार की आबकारी नीति को लेकर नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर के दावों को झूठ का पुलिंदा करार दिया है. कैबिनेट मंत्रियों ने कहा है कि जयराम ठाकुर प्रदेश की जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा पूर्व मुख्यमंत्री को आंकड़ों के सही स्रोत और उनकी सही जानकारी प्राप्त करने के बाद ही बयान देने चाहिए. क्योंकि झूठ बोलना उन्हें शोभा नहीं देता.
उन्होंने कहा जयराम ठाकुर का यह कहना कि वर्तमान आबकारी नीति से राज्य सरकार को सिर्फ 13 प्रतिशत राजस्व में वृद्धि हुई, सरासर गलत है. मंत्रियों ने कहा कि ठेकों की नीलामी से राज्य सरकार के राजस्व में 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है. जयराम बताए उनकी सरकार ने 10 फीसदी बढ़ोतरी में किसको फायदा पहुंचाया गया?
मंत्रियों ने कहा अगर सरकार पिछली भाजपा सरकार शराब की दुकानों को 10 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ रिन्यूल की नीति जारी रखती तो, राज्य को सालाना लगभग 530 करोड़ रुपये का नुकसान होता. उन्होंने कहा पूर्व मुख्यमंत्री को साफ करना चाहिए कि क्यों उन्होंने 10 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ शराब के ठेके देने की नीति अपनाई और इसमें क्या गोलमाल हुआ.
उन्हें प्रदेश की जनता को यह भी बताना चाहिए कि पिछली सरकार में इस नीति से किन लोगों को फायदा मिला. अपने कार्यकाल में ‘डबल इंजन’ की सरकार का नारा देने वाली भाजपा ने प्रदेश को कर्ज की दलदल में क्यों धकेला. दोनों ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ने प्रदेश हित में शराब ठेकों के लिए नीलामी प्रक्रिया को मंजूरी दी है.
इस प्रक्रिया के माध्यम से पिछले वित्तीय वर्ष की नीति की तुलना में नीलामी से लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई और 1296 करोड़ रुपये के मुकाबले 1806 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित हुआ. मंत्रियों ने कहा कि नीलामी प्रक्रिया मार्च 2023 में खत्म हुई, जिसमें 10 प्रतिशत अग्रिम लाइसेंस शुल्क 5 अप्रैल 2023 से पहले जमा किया जाना था, लेकिन मार्च, 2023 तक सरकारी खजाने में 66 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं.
इसके साथ ही 24 जून, 2023 तक पिछले वित्त वर्ष की तुलना में रिकवरी 555 करोड़ रुपये के मुकाबले 686 करोड़ रुपये हो चुकी है. इसके अतिरिक्त, लाइसेंस धारकों को हर महीने की 7 तारीख तक 150 करोड़ रुपये मासिक लाइसेंस शुल्क भी देना होता है. ऐसे में अप्रैल और मई, 2023 के लिए कुल लाइसेंस शुल्क की एवज में 300 करोड़ रुपये की जगह आबकारी एवं कराधान विभाग को 366 करोड़ रुपये प्राप्त हुए.
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