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धारा-118 से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में पी मित्रा की बढ़ी मुश्किलें, विजिलेंस के हाथ लगे नए सबूत

धारा-118 के जुड़े भ्रष्टाचार मामले में पूर्व सीएस और वर्तमान प्रदेश मुख्य निर्वाचन आयुक्त पी मित्रा को कोर्ट ने 28 सितंबर को अगली पेशी पर उपस्थित होने और विजिलेंस की एप्लीकेशन पर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए. पी मित्रा से जुड़े धारा-118 भ्रष्टाचार मामले में विजिलेंस के हाथ नए सुबूत लगे हैं.

p mitra corruption case
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Published : Sep 10, 2020, 6:02 PM IST

शिमला: पूर्व सीएस और वर्तमान प्रदेश मुख्य निर्वाचन आयुक्त पी मित्रा की धारा-118 के जुड़े भ्रष्टाचार मामले में मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. पी मित्रा से जुड़े धारा-118 भ्रष्टाचार मामले में विजिलेंस के हाथ नए सुबूत लगे हैं. विजिलेंस जांच में पी मित्रा की ओर से कई डील करने के साथ मोटी कमाई करने की बात भी सामने आई है.

जानकारी के अनुसार शिमला के एक होटल में हुई डील के बाद दिल्ली के एक होटल मालिक ने 10 लाख रुपये दिए. जिसके बाद लंबे समय से अटकी उसकी एक फाइल को अगस्त 2010 में क्लीयरेंस मिल गई.

इतना ही नहीं फॉरेंसिक रिपोर्ट में वॉयस सैंपल को मिलाए जाने से भी काफी चीजें साफ हो गई हैं. यह भी पता चला है कि लेनदेन की बातचीत के लिए पी मित्रा जो फोन इस्तेमाल करते थे, वह मामले के कथित आरोपी और एजेंट के बेटे के हैं.

बुधवार को जिला कोर्ट चक्कर में सुनवाई के दौरान विजिलेंस ब्यूरो की ओर से इस नई जानकारी को जिला न्यायवादी संदीप अत्री के सामने पेश किया गया. साथ ही यह भी बताया कि विजिलेंस के सवालों का वर्तमान प्रदेश मुख्य निर्वाचन आयुक्त पी मित्रा सीधा जवाब नहीं दे रहे हैं.

ऐसे में इन सभी तथ्यों के आधार पर मित्रा का पॉलीग्राफ टेस्ट करवाना जरूरी है. नए तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने मित्रा को 28 सितंबर को अगली पेशी पर उपस्थित होने और विजिलेंस की एप्लीकेशन पर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए.

पढ़ें: मंडी में महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, राष्ट्रपति से कार्रवाई की मांग

शिमला: पूर्व सीएस और वर्तमान प्रदेश मुख्य निर्वाचन आयुक्त पी मित्रा की धारा-118 के जुड़े भ्रष्टाचार मामले में मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. पी मित्रा से जुड़े धारा-118 भ्रष्टाचार मामले में विजिलेंस के हाथ नए सुबूत लगे हैं. विजिलेंस जांच में पी मित्रा की ओर से कई डील करने के साथ मोटी कमाई करने की बात भी सामने आई है.

जानकारी के अनुसार शिमला के एक होटल में हुई डील के बाद दिल्ली के एक होटल मालिक ने 10 लाख रुपये दिए. जिसके बाद लंबे समय से अटकी उसकी एक फाइल को अगस्त 2010 में क्लीयरेंस मिल गई.

इतना ही नहीं फॉरेंसिक रिपोर्ट में वॉयस सैंपल को मिलाए जाने से भी काफी चीजें साफ हो गई हैं. यह भी पता चला है कि लेनदेन की बातचीत के लिए पी मित्रा जो फोन इस्तेमाल करते थे, वह मामले के कथित आरोपी और एजेंट के बेटे के हैं.

बुधवार को जिला कोर्ट चक्कर में सुनवाई के दौरान विजिलेंस ब्यूरो की ओर से इस नई जानकारी को जिला न्यायवादी संदीप अत्री के सामने पेश किया गया. साथ ही यह भी बताया कि विजिलेंस के सवालों का वर्तमान प्रदेश मुख्य निर्वाचन आयुक्त पी मित्रा सीधा जवाब नहीं दे रहे हैं.

ऐसे में इन सभी तथ्यों के आधार पर मित्रा का पॉलीग्राफ टेस्ट करवाना जरूरी है. नए तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने मित्रा को 28 सितंबर को अगली पेशी पर उपस्थित होने और विजिलेंस की एप्लीकेशन पर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए.

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