नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के 75 गांवों का विकास केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत किया जाना है. केंद्र सरकारी ने इसे लेकर बजट भी आवंटित किया गया है. केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 में चीन सीमा से लगते इलाकों में सामाजिक एवं सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए वाइब्रेंट विलेज योजना का एलान किया था. हिमाचल प्रदेश का लाहौल स्पीति और किन्नौर जिले की सीमाएं चीन के साथ लगती है. हिमाचल प्रदेश का करीब 250 किलोमीटर का बॉर्डर चीन से लगता है. हिमाचल में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत 75 गावों का चयन किया गया है.
केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम योजना के तहत 5 राज्यों के 662 सीमावर्ती गांवों का विकास किया जाएगा. इसके लिए केंद्र ने राज्यों से इसकी प्रक्रिया शुरू करने को भी कहा है. इसके लिए 4800 करोड़ का बजट भी आवंटित किया गया है. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री निशिथ प्रामाणिक ने बुधवार को राज्यसभा में ये जानकारी दी है.
राज्य मंत्री निशिथ प्रामाणिक ने राज्यसभा में बताया कि सरकार ने उत्तरी सीमा के साथ लगे 4 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश के सीमावर्ती गांवों के लिए ये योजना शुरू की है. इनमें अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और लद्दाख के 19 जिलों के 46 सीमावर्ती ब्लॉकों में 2967 गांवों के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी) को अनुमोदन प्रदान किया है.
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राज्यमंत्री ने बताया कि इन 2967 गांवों में से प्राथमिकता के आधार पर कवरेज हेतु 662 गांव चिन्हित किए गए हैं. जिनका विकास किया जाएगा. इनमें अरुणाचल प्रदेश के 455 गांव, हिमाचल प्रदेश के 75, लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र के 35, सिक्किम के 46 और उत्तराखण्ड के 51 सीमावर्ती गांव शामिल हैं. इसके लिए केंद्र सरकार ने 4800 करोड़ रुपए आवंटित भी किए हैं.
गृह राज्यमंत्री ने आगे बताया कि संबंधित राज्यों को कार्यक्रम के अनुमोदन के बारे में सूचित कर दिया गया है और गांवों के लिए योजना प्रक्रिया शुरू करने के लिए उनसे अनुरोध किया गया है. उनसे यह भी अनुरोध किया गया है कि वे प्रथमिकता के आधार पर कवरेज के लिए चिन्हित किये गए गांवों में मेंलो, त्योहारों, सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्कूली बच्चों का दौरा वरिष्ठ राज्य/जिला अधिकारियों का दौरा पर्यटन सम्बन्धी गतिविधियाँ, हस्तशिल्प को बढ़ावा देने आदि जैसी गतिविधियों का आयोजन करें.
इसके अलावा केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों से अनुरोध किया गया है कि वे अपनी चल रही केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं और केंद्र प्रायोजित योजनाओं को बढ़ावा दें तथा चिन्हित किये गए इन गांवों में अपने मंत्रालयों/विभागों की गतिविधियों को आयोजित करें.
(IANS इनपुट)