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एक बूटा बेटी के नाम: घर में गूंजेगी बेटी की किलकारी, धरती मां की कोख में रोपी जाएगी हरियाली

हिमाचल प्रदेश एशिया का पहला राज्य है, जिसे चार साल पहले कार्बन क्रेडिट के तौर पर विश्व बैंक ने 1.93 करोड़ रुपए के रूप में प्रोत्साहन राशि मिली थी. पर्यावरण से कार्बन को कम करने और हरियाली बढ़ाने में हिमाचल ने अहम काम किया है.

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Published : Jul 24, 2019, 10:16 PM IST

शिमला: हरियाली को सहेजने के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे पहाड़ी प्रदेश हिमाचल ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक और पहल की है. एशिया के पहले कार्बन क्रेडिट राज्य हिमाचल में जल्द ही एक बूटा बेटी के नाम से योजना पर अमल किया जाएगा.


उधर, देवभूमि के किसी घर में बेटी की किलकारी गूंजेगी, उधर धरती मां की कोख में एक पौधा रोपा जाएगा. ये जिम्मा संभालेगा हिमाचल का वन विभाग. प्रदेश भर में तैनात वन विभाग के गार्ड इस मुहिम में अहम भूमिका निभाएंगे. जिस घर में नवजात कन्या आएगी, उस घर के सदस्यों को वन विभाग की तरफ से एक पौधा दिया जाएगा. संबंधित बीट के गार्ड उस परिवार तक पौधा पहुंचाएंगे. योजना का नाम तय किया गया है-एक बूटा बेटी के नाम.


इस मुहिम को भावनात्मक लगाव देने के लिए प्रस्ताव रखा गया है कि पौधे की देखरेख में बेटी के माता-पिता प्रमुख भूमिका निभाएंगे. जिस तरह बेटी का पालन-पोषण बड़े ही स्नेह से किया जाता है, उसी तरह पौधे की देखरेख भी की जाएगी. इससे जनता के बीच पर्यावरण चेतना का भी विस्तार होगा और पौधे को बड़े होते देखना भी प्रदेश वासियों की स्मृतियों में दर्ज रहेगा. बेटियां भी बड़े होकर ये जान पाएंगी कि हिमाचल की हरियाली बचाने में उनका भी योगदान है.


वन विभाग के पीसीसीएफ अजय कुमार के अनुसार योजना का संपूर्ण खाका राज्य सरकार को भेजा जा रहा है. वन विभाग विभिन्न किस्मों के पौधे बांटेगा. यहां गौरतलब है कि इस उक्त योजना का ऐलान बजट सत्र में किया गया था. राज्य सरकार हरियाली का क्षेत्र यानी ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए वन महोत्सव व अन्य कार्यक्रम चलाती है. इस दफा भी वन विभाग सत्तर लाख से अधिक पौधे रोपेगा। इस बार कुल मिलाकर वन विभाग 9 हजार हेक्टेयर भूमि पर पौधे रोप रहा है.


यहां उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश एशिया का पहला राज्य है, जिसे चार साल पहले कार्बन क्रेडिट के तौर पर विश्व बैंक ने 1.93 करोड़ रुपए के रूप में प्रोत्साहन राशि मिली थी. पर्यावरण से कार्बन को कम करने और हरियाली बढ़ाने में हिमाचल ने अहम काम किया है.


डेढ़ दशक में 741 वर्गकिलोमीटर बढ़ा हिमाचल का ग्रीन कवर
विगत डेढ़ दशक के दौरान हिमाचल प्रदेश में ग्रीन कवर 741 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है. हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2017 तक 741 वर्ग किलोमीटर ग्रीन कवर यानी हरित आवरण बढ़ा है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून की रिपोर्ट के अनुसार हाई डेंसिंटी वाले वनों में दस साल में केवल एक वर्ग किलोमीटर की ही बढ़ोतरी हुई है, परंतु 2003 के आंकड़ों की तुलना में ये हाई डेंसिंटी वन तीन गुना बढ़े हैं.


मीडियम डेंसिटी वाले वनों में 2015 की तुलना में 2017 में 400 से अधिक वर्ग किलोमीटर ग्रीन कवर बढ़ा है. हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2003 में हाई डेंसिटी वाले वनों का क्षेत्रफल 1097 वर्ग किलोमीटर था, मीडियम डेंसिटी वाले वनों का 7821 व खुले वनों का क्षेत्रफल 5431 वर्ग किलोमीटर था.


कुल ग्रीन कवर 14359 वर्ग किलोमीटर था. वहीं, वर्ष 2017 में ये क्रमश: 3110, 6705 व 15100 वर्ग किलोमीटर हो गया. हिमाचल प्रदेश के वन विभाग के अनुसार यहां के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 66.52 हिस्सा वर्गीकृत वन के तौर पर है. वर्ष 2015 की रिपोर्ट के अनुसार कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 55673 वर्ग किलोमीटर में से 14696 वर्ग किलोमीटर में ही वृक्ष आवरण है. इसे ही ग्रीन कवर एरिया कहा जाता है. वन विभाग का लक्ष्य वर्ष 2030 तक हिमाचल के ग्रीन कवर एरिया को 30 फीसदी बढ़ाना है.

शिमला: हरियाली को सहेजने के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे पहाड़ी प्रदेश हिमाचल ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक और पहल की है. एशिया के पहले कार्बन क्रेडिट राज्य हिमाचल में जल्द ही एक बूटा बेटी के नाम से योजना पर अमल किया जाएगा.


उधर, देवभूमि के किसी घर में बेटी की किलकारी गूंजेगी, उधर धरती मां की कोख में एक पौधा रोपा जाएगा. ये जिम्मा संभालेगा हिमाचल का वन विभाग. प्रदेश भर में तैनात वन विभाग के गार्ड इस मुहिम में अहम भूमिका निभाएंगे. जिस घर में नवजात कन्या आएगी, उस घर के सदस्यों को वन विभाग की तरफ से एक पौधा दिया जाएगा. संबंधित बीट के गार्ड उस परिवार तक पौधा पहुंचाएंगे. योजना का नाम तय किया गया है-एक बूटा बेटी के नाम.


इस मुहिम को भावनात्मक लगाव देने के लिए प्रस्ताव रखा गया है कि पौधे की देखरेख में बेटी के माता-पिता प्रमुख भूमिका निभाएंगे. जिस तरह बेटी का पालन-पोषण बड़े ही स्नेह से किया जाता है, उसी तरह पौधे की देखरेख भी की जाएगी. इससे जनता के बीच पर्यावरण चेतना का भी विस्तार होगा और पौधे को बड़े होते देखना भी प्रदेश वासियों की स्मृतियों में दर्ज रहेगा. बेटियां भी बड़े होकर ये जान पाएंगी कि हिमाचल की हरियाली बचाने में उनका भी योगदान है.


वन विभाग के पीसीसीएफ अजय कुमार के अनुसार योजना का संपूर्ण खाका राज्य सरकार को भेजा जा रहा है. वन विभाग विभिन्न किस्मों के पौधे बांटेगा. यहां गौरतलब है कि इस उक्त योजना का ऐलान बजट सत्र में किया गया था. राज्य सरकार हरियाली का क्षेत्र यानी ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए वन महोत्सव व अन्य कार्यक्रम चलाती है. इस दफा भी वन विभाग सत्तर लाख से अधिक पौधे रोपेगा। इस बार कुल मिलाकर वन विभाग 9 हजार हेक्टेयर भूमि पर पौधे रोप रहा है.


यहां उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश एशिया का पहला राज्य है, जिसे चार साल पहले कार्बन क्रेडिट के तौर पर विश्व बैंक ने 1.93 करोड़ रुपए के रूप में प्रोत्साहन राशि मिली थी. पर्यावरण से कार्बन को कम करने और हरियाली बढ़ाने में हिमाचल ने अहम काम किया है.


डेढ़ दशक में 741 वर्गकिलोमीटर बढ़ा हिमाचल का ग्रीन कवर
विगत डेढ़ दशक के दौरान हिमाचल प्रदेश में ग्रीन कवर 741 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है. हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2017 तक 741 वर्ग किलोमीटर ग्रीन कवर यानी हरित आवरण बढ़ा है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून की रिपोर्ट के अनुसार हाई डेंसिंटी वाले वनों में दस साल में केवल एक वर्ग किलोमीटर की ही बढ़ोतरी हुई है, परंतु 2003 के आंकड़ों की तुलना में ये हाई डेंसिंटी वन तीन गुना बढ़े हैं.


मीडियम डेंसिटी वाले वनों में 2015 की तुलना में 2017 में 400 से अधिक वर्ग किलोमीटर ग्रीन कवर बढ़ा है. हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2003 में हाई डेंसिटी वाले वनों का क्षेत्रफल 1097 वर्ग किलोमीटर था, मीडियम डेंसिटी वाले वनों का 7821 व खुले वनों का क्षेत्रफल 5431 वर्ग किलोमीटर था.


कुल ग्रीन कवर 14359 वर्ग किलोमीटर था. वहीं, वर्ष 2017 में ये क्रमश: 3110, 6705 व 15100 वर्ग किलोमीटर हो गया. हिमाचल प्रदेश के वन विभाग के अनुसार यहां के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 66.52 हिस्सा वर्गीकृत वन के तौर पर है. वर्ष 2015 की रिपोर्ट के अनुसार कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 55673 वर्ग किलोमीटर में से 14696 वर्ग किलोमीटर में ही वृक्ष आवरण है. इसे ही ग्रीन कवर एरिया कहा जाता है. वन विभाग का लक्ष्य वर्ष 2030 तक हिमाचल के ग्रीन कवर एरिया को 30 फीसदी बढ़ाना है.

एक बूटा बेटी के नाम: घर में गूंजेगी बेटी की किलकारी, धरती मां की कोख में रोपी जाएगी हरियाली
शिमला। हरियाली को सहेजने के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे पहाड़ी प्रदेश हिमाचल ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक और पहल की है। एशिया के पहले कार्बन क्रेडिट राज्य हिमाचल में जल्द ही एक बूटा बेटी के नाम से योजना पर अमल किया जाएगा। उधर, देवभूमि के किसी घर में बेटी की किलकारी गूंजेगी, उधर धरती मां की कोख में एक पौधा रोपा जाएगा। ये जिम्मा संभालेगा हिमाचल का वन विभाग। प्रदेश भर में तैनात वन विभाग के गार्ड इस मुहिम में अहम भूमिका निभाएंगे। जिस घर में नवजात कन्या आएगी, उस घर के सदस्यों को वन विभाग की तरफ से एक पौधा दिया जाएगा। संबंधित बीट के गार्ड उस परिवार तक पौधा पहुंचाएंगे। योजना का नाम तय किया गया है-एक बूटा बेटी के नाम। इस मुहिम को भावनात्मक लगाव देने के लिए प्रस्ताव रखा गया है कि पौधे की देखरेख में बेटी के माता-पिता प्रमुख भूमिका निभाएंगे। जिस तरह बेटी का पालन-पोषण बड़े ही स्नेह से किया जाता है, उसी तरह पौधे की देखरेख भी की जाएगी। इससे जनता के बीच पर्यावरण चेतना का भी विस्तार होगा और पौधे को बड़े होते देखना भी प्रदेश वासियों की स्मृतियों में दर्ज रहेगा। बेटियां भी बड़े होकर ये जान पाएंगी कि हिमाचल की हरियाली बचाने में उनका भी योगदान है। वन विभाग के पीसीसीएफ अजय कुमार के अनुसार योजना का संपूर्ण खाका राज्य सरकार को भेजा जा रहा है। वन विभाग विभिन्न किस्मों के पौधे बांटेगा। यहां गौरतलब है कि उक्त योजना का ऐलान बजट सत्र में किया गया था। राज्य सरकार हरियाली का क्षेत्र यानी ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए वन महोत्सव व अन्य कार्यक्रम चलाती है। इस दफा भी वन विभाग सत्तर लाख से अधिक पौधे रोपेगा। इस बार कुल मिलाकर वन विभाग 9 हजार हेक्टेयर भूमि पर पौधे रोप रहा है। यहां उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश एशिया का पहला राज्य है, जिसे चार साल पहले कार्बन क्रेडिट के तौर पर विश्व बैंक ने 1.93 करोड़ रुपए के रूप में प्रोत्साहन राशि मिली थी। पर्यावरण से कार्बन को कम करने और हरियाली बढ़ाने में हिमाचल ने अहम काम किया है।
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डेढ़ दशक में 741 वर्गकिलोमीटर बढ़ा हिमाचल का ग्रीन कवर
विगत डेढ़ दशक के दौरान हिमाचल प्रदेश में ग्रीन कवर 741 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है। हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2017 तक 741 वर्ग किलोमीटर ग्रीन कवर यानी हरित आवरण बढ़ा है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून की रिपोर्ट के अनुसार हाई डेंसिंटी वाले वनों में दस साल में केवल एक वर्ग किलोमीटर की ही बढ़ोतरी हुई है, परंतु 2003 के आंकड़ों की तुलना में ये हाई डेंसिंटी वन तीन गुना बढ़े हैं। मीडियम डेंसिटी वाले वनों में 2015 की तुलना में 2017 में 400 से अधिक वर्ग किलोमीटर ग्रीन कवर बढ़ा है। हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2003 में हाई डेंसिटी वाले वनों का क्षेत्रफल 1097 वर्ग किलोमीटर था, मीडियम डेंसिटी वाले वनों का 7821 व खुले वनों का क्षेत्रफल 5431 वर्ग किलोमीटर था। कुल ग्रीन कवर 14359 वर्ग किलोमीटर था। वहीं, वर्ष 2017 में ये क्रमश: 3110, 6705 व 15100 वर्ग किलोमीटर हो गया। हिमाचल प्रदेश के वन विभाग के अनुसार यहां के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 66.52 हिस्सा वर्गीकृत वन के तौर पर है। वर्ष 2015 की रिपोर्ट के अनुसार कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 55673 वर्ग किलोमीटर में से 14696 वर्ग किलोमीटर में ही वृक्ष आवरण है। इसे ही ग्रीन कवर एरिया कहा जाता है। वन विभाग का लक्ष्य वर्ष 2030 तक हिमाचल के ग्रीन कवर एरिया को 30 फीसदी बढ़ाना है।
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