शिमला: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने मंडी और चंबा में स्थापित दो डॉप्लर वेदर रडार का वर्चुअली उद्घाटन किया. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए. इस अवसर पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र सरकार से हिमाचल प्रदेश के लिए आपदा कोष में वृद्धि करने का आग्रह किया क्योंकि राज्य अपनी कठिन भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के कारण विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित है. ये रडार प्रदेश के मंडी जिले के मुरारी देवी व चंबा जिले के जोत में स्थापित किए गए हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये रडार विशेषकर कम दूरी के पूर्वानुमानों के लिए सभी दिशाओं में 100 किलोमीटर के दायरे में भारी बारिश, आंधी और ओलावृष्टि की जानकारी देने में सक्षम होंगे ये रडार राज्य के लिए क्षेत्र विशिष्ट पूर्वानुमान और चेतावनी में सुधार करने में सहायक होंगे. उन्होंने कहा कि ये मौसम की निगरानी क्षमताओं में वृद्धि करेंगे और सटीक डाटा उपलब्ध करवाएंगे, जिससे प्रशासन को मौसम के कारण होने वाली आपदाओं के नुकसान को कम करने के लिए पूर्व प्रबंधन में सहायता मिलेगी. (Doppler Weather Radars in Himachal)
कुफरी में पहले से ही स्थापित है एक डॉप्लर रडार: सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि शिमला जिले के कुफरी में 15 जनवरी, 2021 को एक डॉप्लर वेदर रडार पहले ही स्थापित किया जा चुका है और इन दो अतिरिक्त रडारों के क्रियाशील होने से राज्य का लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र मौसम पूर्वानुमान के दायरे में आ जाएगा. उन्होंने कहा कि अभी भी किन्नौर और लाहौल-स्पीति ज़िलों का लगभग 30 प्रतिशत क्षेत्र इन रडार के दायरे में नहीं आएगा. मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय राज्य मंत्री से इन जिलों के लिए अतिरिक्त रडार उपलब्ध कराने का आग्रह किया ताकि इन जनजातीय जिलों को भी कवर किया जा सके.
उन्होंने कहा कि हाल ही के वर्षों में बादल फटने से किन्नौर जिले में भारी नुकसान हुआ है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि पहले से निवारक उपाय करने के लिए एक उचित मौसम पूर्वानुमान तंत्र विकसित किया जाए. उन्होंने कहा कि बादल फटने की इन घटनाओं से बिजली परियोजनाओं संबंधी क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ है. इस अवसर पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, प्रधान सचिव ओंकार शर्मा, आर.डी. नज़ीम और भरत खेड़ा, सचिव अक्षय सूद, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के निदेशक एम. महापात्रा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे.
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