शिमला: हिमाचल सेब के लिए जाना जाता है. करीब साढ़े चार हजार करोड़ की हिमाचल की आर्थिकी सेब पर निर्भर करती है. मगर आज हिमाचल का सेब संकट में है. विदेशों से सस्ता सेब आयात होने के कारण हिमाचल के सेब को मार्केट में सही दाम नहीं मिल रहे. बागवान सेब पर आयात शुल्क 50 फीसदी से 100 फीसदी करने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं. ऐसे में हिमाचल के बागवान केंद्र सरकार के बजट में सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने की उम्मीद पाले हुए हैं.
केंद्र सरकार का यह आखिरी पूरा बजट होगा और ऐसे में अबकी बार के बजट से किसानों और बागवानों को बड़ी उम्मीदें हैं. बागवानी में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों पर जीएसटी हटाने के साथ ही दवाइयों और उर्वरक पर सब्सिडी बढ़ाने की उम्मीद भी इस बजट में हिमाचल के किसान और बागवान कर रहे हैं. हिमाचल के सेब को विदेशों से आ रहे सस्ते सेब से टक्कर मिल रही है.
भारत में करीब 44 देशों से सेब का आयात हो रहा है. इनमें से तुर्की, ईरान, चिली और इटली से सबसे ज्यादा सेब हिमाचल पहुंच रहा है. विदेशों से आने वाले सेब में 26 फीसदी सेब तुर्की से, 23 फीसदी ईरान, 18 फीसदी चिली और 14 फीसदी ईटली से आ रहे हैं. इन देशों का सेब भारत में सस्ता बिक रहा है. अफगानिस्तान के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के कारण वहां से आने वाले सेब पर कोई आयात शुल्क नहीं लिया जा रहा.
ऐसे में दूसरे देश अफगानिस्तान के रास्ते भारत में सस्ता सेब भेज रहे हैं. अमेरिकी पाबंदी के चलते ईरान का सस्ता सेब अफगानिस्तान के रास्ते भारत पहुंच रहा है. इसका खामियाजा हिमाचल, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड के बागवान भुगत रहे हैं. ऐसी हालात में यहां का सेब विदेश से आयात हुए सस्ते सेब का मुकाबला नहीं कर सकता. यही वजह है कि सेब पर आयात शुल्क 100 फीसदी करने की मांग बागवान उठा रहे हैं.
हिमाचल में 4 लाख बागवान परिवार सेब की खेती पर निर्भर- हिमाचल प्रदेश में कुल 4 लाख बागवान परिवार हैं. हिमाचल में आजीविका का बड़ा साधन सरकारी नौकरी है. प्रदेश में 2.25 लाख सरकार कर्मचारी हैं. निजी सेक्टर में भी रोजगार की संभावनाएं हैं, लेकिन सबसे अधिक आर्थिक गतिविधियां खेती-बागवानी में ही संभव हैं. हिमाचल के युवाओं को बागवानी सेक्टर में स्वरोजगार बेहतर तरीके से मिलता रहे इसके लिए बागवानी से जुड़े मसलों को गंभीरता से लेने की मांग यहां से लोग कर रहे हैं.
पीएम मोदी भी सेब आयात शुल्क बढ़ाने का कर चुके हैं वादा- हिमाचल के सेब बागवानों की चिंता से वाकिफ होते हुए प्रधानमंत्री ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले विदेशों से आ रहे सेब का आयात शुल्क बढ़ाकर 100 फीसदी करने का वादा किया था. इसके अलावा शीतल पेय में एपल कंसंट्रेट का इस्तेमाल करने के लिए भी कदम उठाने की बात कही गई थी. यह केंद्र सरकार का आखिरी फुल बजट है और 2024 में लोकसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में बागवान आयात शुल्क बढ़ाने की उम्मीद लगाए हुए हैं.
बड़ी मात्रा में बाहर से सस्ता सेब हो रहा आयात- एपल फेडरेशन ऑफ इंडिया के संयोजक सोहन ठाकुर का कहना है कि बड़ी मात्रा में बाहर से सस्ता सेब आयात हो रहा है. ऐसे में केंद्र सरकार को चाहिए कि वह आयात शुल्क 100 फीसदी करे. सेब को विशेष उत्पाद की श्रेणी में सरकार रखे. बागवान उम्मीद कर रहे हैं कि केंद्र सरकार बजट में इसका प्रावधान करेगी. पेस्टिसाइड और फंगीसाइड, फर्टिलाइजर पर किसानों और बागवानों को सब्सिडी अधिक से अधिक मिले ताकि फसलों की लागत ज्यादा न हो.
उपकरणों, दवाइयों पर जीएसटी हटाने की उम्मीद- हिमाचल संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान का कहना है कि बजट में बागवान कृषि एवं बागवानी में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न उपकरणों, दवाइयों पर लगे जीएसटी को हटाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसान-बागवान प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री के साथ उन्होंने इस मसले को उठाया था. मौजूदा समय में केंद्र सरकार इन पर 18 से 28 फीसदी जीएसटी लगा रही है. यह किसानों और बागवानों पर अतिरिक्त बोझ है.
कारोबारियों को जीएसटी रिफंड होता है, लेकिन किसान और बागवान इसको रिफंड नहीं कर पाते. ऐसे में केंद्र सरकार से बजट में कृषि एवं बागवानी के उपकरणों, दवाइयों पर जीएसटी बिल्कुल हटाने की उम्मीद हिमाचल के किसान और बागवान कर रहे हैं. इसके अलावा हिमाचल में बागवानों और किसानों को सीए स्टोर बनाने की सुविधा भी सरकार दे. सेब, फलों और अन्य कृषि फसलों के लिए प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने का प्रावधान केंद्र सरकार अपने बजट में करे ताकि इनके सह उत्पाद यहीं तैयार होने लगे और बागवानों- किसानों को इसका फायदा मिले.
छोटे सीए स्टोर और प्रोसेसिंग युनिट स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार हिमाचल को उदार वित्तीय सहायता (जिसमें युनिट का 90 फीसदी खर्च केंद्र और 10 फीसदी हिमाचल सरकार वहन करे) प्रदान करें. इसी तरह कृषि एवं बागवानी में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों और उर्वरकों की सब्सिडी बढ़ाने के लिए भी सरकार बजट में प्रावधान करे. अवैध तरीके से भारत में आ रहे सेब को चैक किया जाए और बाहरी देशों से आने वाले सेब पर भी 100 फीसदी आयात शुल्क किया जाना चाहिए.
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