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कोरोना कर्फ्यू: बेजुबानों का सहारा बने दो युवक, शिमला शहर के बंदरों-कुत्तों को खिला रहे खाना - शिमला शहर के आवारा कुत्तों और बंदरों की सुध

शिमला शहर के आवारा कुत्तों और बंदरों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. ऐसे में विकास गौतम और सुकरीत सूद सुबह इन जानवरों के लिए रोटी बनाने में जुट जाते हैं और ढाई सौ के करीब रोटी बनाने के बाद दोपहर को शहर के अलग अलग हिस्सों में जाकर बंदरों-कुत्तों को खाना देने का काम कर रहे हैं.

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Published : May 12, 2021, 5:14 PM IST

शिमला: कोरोना कर्फ्यू में आम लोगों के साथ ही लावारिस जानवरों पर भी आफत टूटी है. शिमला शहर के आवारा कुत्ते और बंदर भूख से तड़प रहे हैं. ऐसे में शहर के दो युवाओं ने इन बेजुबानों को खाना खिलाना का बीड़ा उठाया हैं.

विकास गौतम और सुकरीत सूद सुबह इन जानवरों के लिए रोटी बनाने में जुट जाते हैं और ढाई सौ के करीब रोटी बनाने के बाद दोपहर को शहर के अलग अलग हिस्सों में जाकर बंदरों-कुत्तों को खाना देने का काम कर रहे हैं. शहर में करीब दो सौ ज्यादा आवारा कुत्ते हैं और काफी संख्या में बंदर भी नजर आते हैं. इस कर्फ्यू में ये बेजुबान भूखे न रहें इसके लिए इन दो युवाओं ने इन्हें रोटी खिलाने का बीड़ा उठाया है.

जानवरों को खाना खिलाने की अपील

इन युवाओं ने आम लोगों से भी इस संकटकाल में बेजुबानों को खाना खिलाने की अपील की है. गौतम और सुकरीत सूद का कहना है कि कोरोना के मामले बढ़ने के बाद सरकार ने कोरोना कर्फ्यू लगा दिया है. ऐसे में होटल ढाबे बन्द हैं और लोगों की आवाजाही भी सीमित कर दी है.

वीडियो.

ऐसे में शहर में आवारा जानवरों को खाना नहीं मिल रहा है. इसको देखते हुए इन बेजुबानों को खाना खिलाने के लिए रोटियां तैयार की जा रही हैं और हर रोज दस किलो आटे की रोटियां तैयार कर शहर में आवारा जानवरों, कुत्तों और बंदरों को दी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि बीते वर्ष भी लॉकडाउन के दौरान घर से रोटियां ओर बिस्किट बंदरों ओर कुत्तों को हर रोज देते थे. अब दोबारा से कर्फ्यू लगाया गया है. इसे देखते हुए रिज पर आशियाना होटल के पास रोटियां बनाने का काम किया जा रहा है.

कुत्तों-बंदरों को नहीं मिल रहा खाना

बता दें कि शहर के कुत्तों-बंदरों को स्थानीय लोग और पर्यटक ही खाने को देते थे, लेकिन कोरोना कर्फ्यू में बेजुबानों को खाने के लिए कुछ नहीं मिल रहा है. शहर में होटल बन्द हैं और लोग भी घरों में कैद हैं. ऐसे में बंदरों, कुत्तों को खाना नहीं मिल रहा है, जिससे ये और अधिक हिंसक भी हो रहे हैं. लोगों पर झपट भी रहे हैं. वहीं, इन जानवरों की भूख मिटाने का जिम्मा अब शिमला के दो युवकों ने उठाया है.

यह भी पढ़ें :- 2-18 आयुवर्ग के लिए कोवैक्सीन टीके के क्लीनिकल परीक्षण की सिफारिश

शिमला: कोरोना कर्फ्यू में आम लोगों के साथ ही लावारिस जानवरों पर भी आफत टूटी है. शिमला शहर के आवारा कुत्ते और बंदर भूख से तड़प रहे हैं. ऐसे में शहर के दो युवाओं ने इन बेजुबानों को खाना खिलाना का बीड़ा उठाया हैं.

विकास गौतम और सुकरीत सूद सुबह इन जानवरों के लिए रोटी बनाने में जुट जाते हैं और ढाई सौ के करीब रोटी बनाने के बाद दोपहर को शहर के अलग अलग हिस्सों में जाकर बंदरों-कुत्तों को खाना देने का काम कर रहे हैं. शहर में करीब दो सौ ज्यादा आवारा कुत्ते हैं और काफी संख्या में बंदर भी नजर आते हैं. इस कर्फ्यू में ये बेजुबान भूखे न रहें इसके लिए इन दो युवाओं ने इन्हें रोटी खिलाने का बीड़ा उठाया है.

जानवरों को खाना खिलाने की अपील

इन युवाओं ने आम लोगों से भी इस संकटकाल में बेजुबानों को खाना खिलाने की अपील की है. गौतम और सुकरीत सूद का कहना है कि कोरोना के मामले बढ़ने के बाद सरकार ने कोरोना कर्फ्यू लगा दिया है. ऐसे में होटल ढाबे बन्द हैं और लोगों की आवाजाही भी सीमित कर दी है.

वीडियो.

ऐसे में शहर में आवारा जानवरों को खाना नहीं मिल रहा है. इसको देखते हुए इन बेजुबानों को खाना खिलाने के लिए रोटियां तैयार की जा रही हैं और हर रोज दस किलो आटे की रोटियां तैयार कर शहर में आवारा जानवरों, कुत्तों और बंदरों को दी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि बीते वर्ष भी लॉकडाउन के दौरान घर से रोटियां ओर बिस्किट बंदरों ओर कुत्तों को हर रोज देते थे. अब दोबारा से कर्फ्यू लगाया गया है. इसे देखते हुए रिज पर आशियाना होटल के पास रोटियां बनाने का काम किया जा रहा है.

कुत्तों-बंदरों को नहीं मिल रहा खाना

बता दें कि शहर के कुत्तों-बंदरों को स्थानीय लोग और पर्यटक ही खाने को देते थे, लेकिन कोरोना कर्फ्यू में बेजुबानों को खाने के लिए कुछ नहीं मिल रहा है. शहर में होटल बन्द हैं और लोग भी घरों में कैद हैं. ऐसे में बंदरों, कुत्तों को खाना नहीं मिल रहा है, जिससे ये और अधिक हिंसक भी हो रहे हैं. लोगों पर झपट भी रहे हैं. वहीं, इन जानवरों की भूख मिटाने का जिम्मा अब शिमला के दो युवकों ने उठाया है.

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