शिमला: ठियोग के बलसन फॉरेस्ट रेंज में अवैध तरीके से सड़क निर्माण के लिए हरे-भरे पेड़ों को काटा गया है. बलसन फॉरेस्ट रेंज की शीला-घूंड वन बीट में ये जंगल बीरन के नाम से जाना जाता है. ये वन क्षेत्र डिमार्केटिड प्रोटेक्टिड फॉरेस्ट (डीपीएफ) एरिया है.
शीला-घूंड वन बीट में इसका डीपीएफ नंबर 161 है. इलाके के कुछ लोग निजी स्वार्थ के कारण यहां सड़क बना रहे हैं. इस बीरन जंगल के आसपास कोई आबादी नहीं है. कुछ लोग यहां चुपके से पेड़ों को काटकर सड़क बनाने की कोशिश कर रहे थे.
सूचना मिलने पर जब बीरन जंगल का दौरा किया गया तो पाया कि वहां कई विशाल पेड़ काट कर मलबे में दबाए गए हैं. अमूल्य वन संपदा को नुकसान होते देखकर इसकी शिकायत रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर बलसन के कार्यालय में की गई. रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर रणजीत सिंह कंवर को 20 फरवरी 2020 को फोन पर गैर कानूनी तरीके से वन क्षेत्र में सड़क बनाने और पेड़ कटान की जानकारी दी गई.
फिर 22 फरवरी को ठियोग के तहत छैला पुलिस स्टेशन में गैर कानूनी तरीके से सड़क बनाने के मामले में वन विभाग ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई. पुलिस में एफआईआर दर्ज होने के बाद कटान बंद हो गया. इस बीच कोरोना के कारण लॉकडाउन हुआ तो वन काटुओं ने इस अवसर का लाभ उठाकर फिर से पेड़ काटना शुरू कर दिए.
15 जून को फिर से बीरन जंगल में गैर कानूनी रूप से सड़क बनाने के लिए पेड़ काटे जाने लगे. अवैध कटान की सूचना मिलते ही तुंरत रेंज ऑफिसर रणजीत सिंह कंवर को फोन पर 16 जून को पूरे मामले से अवगत करवाया. इसके बाद भी वन विभाग टालमटोल करता रहा.
बीरन जंगल में पेड़ कटान में जेसीबी मशीन का प्रयोग किया गया. हैरानी की बात है कि वन विभाग को वन काटुओं के बारे में सब पता होने के बावजूद अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर की गई. डीपीएफ में जेसीबी मशीन कैसे पहुंच गई, ये वन विभाग की कार्रवाई पर सवालिया निशान लगाता है.
बीरन जंगल में दर्जनों पेड़ों को काट दिया गया और डीपीएफ के इस घने जंगल को वन माफिया निशाने पर ले चुका है. बीरन जंगल करीब 9 हजार फीट की उंचाई पर है. यहां अमूल्य वन संपदा है. वन माफिया यहां रोड़ निकालने में कामयाब हो गया तो ये आसपास के दो जंगलों के लिए और इलाके के पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होगा.