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SPECIAL: लॉकडाउन ने लगाई ट्रकों पर ब्रेक, हजारों परिवारों की रोजी-रोटी पर मंडराया खतरा

देशभर में लगे लॉकडाउन की वजह से प्रदेश भर के अलग-अलग हिस्सों में सामान से लदे ट्रक और छोटे मालवाहक वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ट्रक चालकों के सामने एक नहीं बल्कि कई चुनौतियां हैं. एक तरफ ट्रकों से सामान उतारने के लिए उन्हें मजदूर नहीं मिल रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ को ट्रकों में लदे सामान की रखवाली करना भी ट्रक चालकों के लिए मुसीबत का काम बनता जा रहा है.

transport sector facing problem during lockdown and curfew
लॉकडाउन ने लगाई ट्रकों पर ब्रेक
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Published : Apr 24, 2020, 2:21 PM IST

Updated : Apr 24, 2020, 8:26 PM IST

शिमला: लॉकडाउन के दौरान प्रदेश भर के अलग-अलग हिस्सों में सामान से लदे ट्रक और छोटे मालवाहक वाहनों के पहिए थमें हुए हैं. इससे ना केवल ट्रांसपोर्टर्स को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है बल्कि मजदूरों की कमी के कारण ड्राइवर भी गाड़ियां छोड़कर जाने लगे हैं. लॉकडाउन से प्रदेश में उद्योग बंद हो गए हैं, बाहरी राज्यों से आए मजदूर वापिस अपने घर चले गए. जिसके चलते अब ट्रकों से सामान उतारने के लिए भी मजदूर नहीं मिल रहे.

ट्रक चालकों के सामने एक नहीं बल्कि कई चुनौतियां हैं. एक तरफ ट्रकों से सामान उतारने के लिए उन्हें मजदूर नहीं मिल रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ को ट्रकों में लदे सामान की रखवाली करना भी ट्रक चालकों के लिए मुसीबत का काम बनता जा रहा है. इस वक्त हिमाचल में ट्रकों की कुल संख्या 84, 872 है. ऐसे में कई ट्रक बाहरी राज्यों में फंसे हुए हैं, तो कुछ ट्रक प्रदेश के अंदर ही फंसे हुए हैं. लॉकडाउन के दौरान इन सभी को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

वीडियो रिपोर्ट

ट्रांसपोर्ट धंधे से जुड़े अधिकतर ट्रक चालक ढाबों या होटलों में खाना खाते हैं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान सभी होटल और ढाबे बंद हैं. हालांकि प्रदेश सरकार ने ढाबों को खोलने की अनुमति दे दी गई है, लेकिन ट्रक चालकों का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है. प्रदेश से बाहर फंसे ट्रक चालकों के परिवारों को भी उनकी चिंता सता रही है. प्रदेश के कई ट्रक पड़ोसी राज्यों में फंसे हुए हैं. जिसके कारण ट्रक चालकों के परिवार वालों को उनकी चिंता सता रही है.

जिला सोलन ट्रक ऑपरेटर कोऑपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष रतन मिश्रा का कहना है कि कंपनी उनकी अटकी पेमेंट को भी रिलीज नहीं कर रही है. जिसके कारण 4000 परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है. उन्होंने कहा कि इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश सरकार को पत्र भी लिखा, लेकिन अभी तक उसका कोई जवाब नहीं आया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सभी कंपनियों को सभी कर्मचारियों को समय पर वेतन अदायगी के लिए कहा है, लेकिन सीमेंट कंपनियां इसका उल्लंघन कर रही हैं. जिसके कारण गरीब ट्रक चालक और ट्रांसपोर्ट से जुड़े मजदूरों को परेशानी झेलनी पड़ रही है.

वहीं, प्रदेश उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्रदेश में आवश्यक माल ढुलाई के लिए ट्रकों की आवाजाही की अनुमति दे दी है और 20 अप्रैल के बाद प्रदेश में ट्रकों की आवाजाही की जा रही है. इसके अलावा प्रदेश में जरूरी वस्तुओं की माल ढुलाई में लगे ट्रकों को किसी विशेष परमिट की आवश्यकता भी नहीं होगी. उन्हें केवल लाइसेंस और ट्रक से जुड़े कागजात साथ रखने होंगे.

ये भी पढ़ें: कोरोना काल ने बदल दिए अंतिम संस्कार के नियम, यहां जानें पूरी प्रक्रिया

शिमला: लॉकडाउन के दौरान प्रदेश भर के अलग-अलग हिस्सों में सामान से लदे ट्रक और छोटे मालवाहक वाहनों के पहिए थमें हुए हैं. इससे ना केवल ट्रांसपोर्टर्स को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है बल्कि मजदूरों की कमी के कारण ड्राइवर भी गाड़ियां छोड़कर जाने लगे हैं. लॉकडाउन से प्रदेश में उद्योग बंद हो गए हैं, बाहरी राज्यों से आए मजदूर वापिस अपने घर चले गए. जिसके चलते अब ट्रकों से सामान उतारने के लिए भी मजदूर नहीं मिल रहे.

ट्रक चालकों के सामने एक नहीं बल्कि कई चुनौतियां हैं. एक तरफ ट्रकों से सामान उतारने के लिए उन्हें मजदूर नहीं मिल रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ को ट्रकों में लदे सामान की रखवाली करना भी ट्रक चालकों के लिए मुसीबत का काम बनता जा रहा है. इस वक्त हिमाचल में ट्रकों की कुल संख्या 84, 872 है. ऐसे में कई ट्रक बाहरी राज्यों में फंसे हुए हैं, तो कुछ ट्रक प्रदेश के अंदर ही फंसे हुए हैं. लॉकडाउन के दौरान इन सभी को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

वीडियो रिपोर्ट

ट्रांसपोर्ट धंधे से जुड़े अधिकतर ट्रक चालक ढाबों या होटलों में खाना खाते हैं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान सभी होटल और ढाबे बंद हैं. हालांकि प्रदेश सरकार ने ढाबों को खोलने की अनुमति दे दी गई है, लेकिन ट्रक चालकों का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है. प्रदेश से बाहर फंसे ट्रक चालकों के परिवारों को भी उनकी चिंता सता रही है. प्रदेश के कई ट्रक पड़ोसी राज्यों में फंसे हुए हैं. जिसके कारण ट्रक चालकों के परिवार वालों को उनकी चिंता सता रही है.

जिला सोलन ट्रक ऑपरेटर कोऑपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष रतन मिश्रा का कहना है कि कंपनी उनकी अटकी पेमेंट को भी रिलीज नहीं कर रही है. जिसके कारण 4000 परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है. उन्होंने कहा कि इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश सरकार को पत्र भी लिखा, लेकिन अभी तक उसका कोई जवाब नहीं आया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सभी कंपनियों को सभी कर्मचारियों को समय पर वेतन अदायगी के लिए कहा है, लेकिन सीमेंट कंपनियां इसका उल्लंघन कर रही हैं. जिसके कारण गरीब ट्रक चालक और ट्रांसपोर्ट से जुड़े मजदूरों को परेशानी झेलनी पड़ रही है.

वहीं, प्रदेश उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्रदेश में आवश्यक माल ढुलाई के लिए ट्रकों की आवाजाही की अनुमति दे दी है और 20 अप्रैल के बाद प्रदेश में ट्रकों की आवाजाही की जा रही है. इसके अलावा प्रदेश में जरूरी वस्तुओं की माल ढुलाई में लगे ट्रकों को किसी विशेष परमिट की आवश्यकता भी नहीं होगी. उन्हें केवल लाइसेंस और ट्रक से जुड़े कागजात साथ रखने होंगे.

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Last Updated : Apr 24, 2020, 8:26 PM IST
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