शिमला: हिमाचल प्रदेश में बारिश के तांडव के बाद जहां सड़कें सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं. वहीं, सड़कों के साथ प्रदेश का पर्यटन कारोबार भी इसकी चपेट में आया है. ऐसे में जुलाई-अगस्त में पीक पर रहने वाला पर्यटन औंधे मुंह गिर गया है. पर्यटन कारोबारियों के साथ सरकार को भी इससे करोड़ों की चपत लगी है. अगस्त महीने में जहा शिमला शहर में ऑक्यूपेंसी 60 फीसदी रहती थी, लेकिन इस बार ऑक्यूपेंसी 2 फीसदी तक पहुंच गई है. इस आपदा से पर्यटन कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया है.
पर्यटन कारोबारियों की बढ़ी चिंता: दरअसल, शिमला शहर में होटल खाली पड़े हैं. रिज मैदान माल रोड जो पर्यटकों से भरा रहता था वह भी इन दोनों सुनसान नजर आ रहा है. ऐसे में पर्यटन कारोबारी परेशान हैं वहीं, शिमला शहर में लैंडस्लाइड की घटनाओं ने पर्यटन कारोबारियों की चिंता और भी बढ़ा दी है. इन घटनाओं के चलते पर्यटक शिमला का रुख नहीं कर रहे हैं. शिमला होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र सेठ ने बताया कि भारी बारिश के बाद डरावना दृश्य दिखाया जा रहा है. जिससे पर्यटन को नुकसान हो रहा है. पर्यटन से जुड़े कारोबारी, टैक्सी चालक घुड़सवारी कराने वाले के साथ सरकार को भी करोड़ों का नुकसान हुआ है.
'हिमाचल के प्रति लोगों के मन में डर': महेंद्र सेठ ने कहा कि हिमाचल के प्रति लोगों के मन में डर पैदा हो गया है जिसे दूर करने की जरूरत है. आपदा के बाद सकारात्मक पक्ष को देखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अगस्त महीने में शिमला शहर में ऑक्यूपेंसी 60 फीसदी से ज्यादा रहती थी, लेकिन इन दोनों ऑक्यूपेंसी दो फीसदी तक पहुंच गई है.
सितंबर महीने में शुरू होने जा रहा सीजन: महेंद्र सेठ ने कहा कि पर्यटन पर्यटकों की आवाजाही ना होने से बिजली पानी के बिल देना भी मुश्किल हो गया है. पिछले 2 महीने से काफी कम पर्यटक शिमला आ रहे हैं. वहीं, सितंबर महीने में सीजन शुरू होने जा रहा है, लेकिन जिस तरह की शिमला शहर में आपदा दिखाई जा रही है उसे पर्यटक भी डरे हुए हैं और शिमला का रुख नहीं कर रहे हैं.
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