ETV Bharat / state

महाशिवरात्रि आज: 59 साल बाद बन रहा है ये शुभ संयोग, जानें पूजा और व्रत विधि

author img

By

Published : Feb 21, 2020, 11:05 AM IST

महाशिवरात्रि यानी शिव और शक्ति की आराधना का पर्व. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था. 59 साल बाद इस दिन बेहद शुभ संयोग बन रहा है. पूजन और व्रत विधि जानिए.

time table for fasting and worshipping on mahashivratri 2020
महाशिवरात्रि आज: 59 साल बाद बन रहा है ये शुभ संयोग, जानें पूजा और व्रत विधि

शिमलायरायपुर: हर साल महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम और आस्था के साथ मनाया जाता है. शिवरात्रि हर माह मनाई जाती है लेकिन फाल्गुन के महीने की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ये पर्व मनाया जाता है. इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस दिन मंदिर बाबा भोलेनाथ के जयकारों से गूंज उठता है.

महाशिवरात्रि को लेकर प्रदेश के सभी शिव मंदिरों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. मंदिरों को दुल्हन की तरह सजा दिया गया. मंदिर कहीं फूलों से कहीं रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

मंदिरों में 'ओम नम: शिवाय' की गूंज

इसके साथ ही साल 2020 की 21 फरवरी को शिव मंदिरों में शिव के जयकारों के साथ ही 'ओम नम: शिवाय' मंत्र गूंजता रहेगा. मंदिरों में शिवभक्तों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है. 21 फरवरी की सुबह सूर्योदय के समय त्रयोदशी प्रारंभ होगी जो शाम 5:21 तक रहेगी उसके बाद चतुर्दशी प्रारंभ हो जाएगी.

59 साल बाद बन रहा है 'शश योग'

ज्योतिषाचार्य पंडित अरुणेश शर्मा ने बताया कि देवों के देव महादेव की आराधना का सबसे विशेष दिन महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. इस खास दिन पर 59 साल बाद शश योग बन रहा है. इस दिन शनि और चंद्र मकर राशि में होंगे, गुरु धनु राशि में, बुध कुंभ राशि में और शुक्र मीन राशि में रहेंगे. साथ ही शुभ कार्यों को संपन्न करने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग इस दिन बन रहा है.

शाम या रात में पूजा करने का विधान

उन्होंने बताया कि भक्तों को महाशिवरात्रि व्रत विधि शिवरात्रि व्रत से एक दिन पहले यानी त्रयोदशी तिथि में एक ही समय भोजन ग्रहण करना चाहिए. शिवरात्रि के दिन रोजाना के कार्यों से फ्री होकर भक्तों को व्रत का संकल्प लेना चाहिए. शिवरात्रि की पूजा शाम के समय या फिर रात्रि में करने का विधान है इसलिए भक्तों को संध्याकाल स्नान करने के बाद शिव पूजा करनी चाहिए.

व्रत समापन का समय

शिवरात्रि पूजा रात्रि के समय एक बार या फिर चार बार की जा सकती है. व्रत का पुण्य फल प्राप्त करने के लिए भक्तों को सूर्यदेव और चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के बीच के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए. एक दूसरी मान्यता के अनुसार व्रत के समापन का सही समय चतुर्दशी तिथि के बाद को बताया गया है.

महाशिवरात्रि पर ऐसे करें पूजा

  • सुबह नहाने के बाद साफ कपड़े पहनकर पूजा स्थल पर सभी जरूरी सामानों को रख लें.
  • ध्यान रहे कि पूजा के समय आपका चेहरा उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ रहना चाहिए.
  • वेदी पर कलश स्थापना करके भगवान शिव और नंदी की मूर्ति स्थापित करें और एक पात्र में जल भरकर पंचामृत बनाएं.
  • भगवान शिव को जल से अभिषेक करें.
  • भांग, धतूरा, बेल पत्ती, गाय का दूध, लौंग और चंदन सहित अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें.
  • नंदी को भी पूजा सामग्री चढ़ाएं.
  • बेलपत्र को उल्टा करके भगवान शिव पर चढ़ाएं यह सभी वस्तुएं अर्पित करते समय 'ओम नमः शिवाय' का मंत्रोच्चार करें.
  • इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें.
  • अंत में कपूर या गाय के घी वाले दीपक से भगवान शिव की आरती करें.

महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखकर फलाहार करते हुए शाम और रात में शिव जी की स्तुति का पाठ करें. इसके साथ ही अगर रात्रि जागरण करते हैं, तो 4 आरती के विधान का भी पालन करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि शिवरात्रि पर भगवान शिव शंकर से जो मनोकामना सच्चे मन से मांगी जाए, वह जरूर पूरी होती है. इस महाशिवरात्रि आप भी विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर शिव की भक्ति में लीन हो जाइए.

ये भी पढ़ें: शिवरात्रि स्पेशल: मंडी में महाशिवरात्रि की धूम

शिमलायरायपुर: हर साल महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम और आस्था के साथ मनाया जाता है. शिवरात्रि हर माह मनाई जाती है लेकिन फाल्गुन के महीने की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ये पर्व मनाया जाता है. इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस दिन मंदिर बाबा भोलेनाथ के जयकारों से गूंज उठता है.

महाशिवरात्रि को लेकर प्रदेश के सभी शिव मंदिरों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. मंदिरों को दुल्हन की तरह सजा दिया गया. मंदिर कहीं फूलों से कहीं रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

मंदिरों में 'ओम नम: शिवाय' की गूंज

इसके साथ ही साल 2020 की 21 फरवरी को शिव मंदिरों में शिव के जयकारों के साथ ही 'ओम नम: शिवाय' मंत्र गूंजता रहेगा. मंदिरों में शिवभक्तों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है. 21 फरवरी की सुबह सूर्योदय के समय त्रयोदशी प्रारंभ होगी जो शाम 5:21 तक रहेगी उसके बाद चतुर्दशी प्रारंभ हो जाएगी.

59 साल बाद बन रहा है 'शश योग'

ज्योतिषाचार्य पंडित अरुणेश शर्मा ने बताया कि देवों के देव महादेव की आराधना का सबसे विशेष दिन महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. इस खास दिन पर 59 साल बाद शश योग बन रहा है. इस दिन शनि और चंद्र मकर राशि में होंगे, गुरु धनु राशि में, बुध कुंभ राशि में और शुक्र मीन राशि में रहेंगे. साथ ही शुभ कार्यों को संपन्न करने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग इस दिन बन रहा है.

शाम या रात में पूजा करने का विधान

उन्होंने बताया कि भक्तों को महाशिवरात्रि व्रत विधि शिवरात्रि व्रत से एक दिन पहले यानी त्रयोदशी तिथि में एक ही समय भोजन ग्रहण करना चाहिए. शिवरात्रि के दिन रोजाना के कार्यों से फ्री होकर भक्तों को व्रत का संकल्प लेना चाहिए. शिवरात्रि की पूजा शाम के समय या फिर रात्रि में करने का विधान है इसलिए भक्तों को संध्याकाल स्नान करने के बाद शिव पूजा करनी चाहिए.

व्रत समापन का समय

शिवरात्रि पूजा रात्रि के समय एक बार या फिर चार बार की जा सकती है. व्रत का पुण्य फल प्राप्त करने के लिए भक्तों को सूर्यदेव और चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के बीच के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए. एक दूसरी मान्यता के अनुसार व्रत के समापन का सही समय चतुर्दशी तिथि के बाद को बताया गया है.

महाशिवरात्रि पर ऐसे करें पूजा

  • सुबह नहाने के बाद साफ कपड़े पहनकर पूजा स्थल पर सभी जरूरी सामानों को रख लें.
  • ध्यान रहे कि पूजा के समय आपका चेहरा उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ रहना चाहिए.
  • वेदी पर कलश स्थापना करके भगवान शिव और नंदी की मूर्ति स्थापित करें और एक पात्र में जल भरकर पंचामृत बनाएं.
  • भगवान शिव को जल से अभिषेक करें.
  • भांग, धतूरा, बेल पत्ती, गाय का दूध, लौंग और चंदन सहित अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें.
  • नंदी को भी पूजा सामग्री चढ़ाएं.
  • बेलपत्र को उल्टा करके भगवान शिव पर चढ़ाएं यह सभी वस्तुएं अर्पित करते समय 'ओम नमः शिवाय' का मंत्रोच्चार करें.
  • इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें.
  • अंत में कपूर या गाय के घी वाले दीपक से भगवान शिव की आरती करें.

महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखकर फलाहार करते हुए शाम और रात में शिव जी की स्तुति का पाठ करें. इसके साथ ही अगर रात्रि जागरण करते हैं, तो 4 आरती के विधान का भी पालन करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि शिवरात्रि पर भगवान शिव शंकर से जो मनोकामना सच्चे मन से मांगी जाए, वह जरूर पूरी होती है. इस महाशिवरात्रि आप भी विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर शिव की भक्ति में लीन हो जाइए.

ये भी पढ़ें: शिवरात्रि स्पेशल: मंडी में महाशिवरात्रि की धूम

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.