शिमला: हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के लिए एक जरूरी खबर है. राज्य में सरकारी कर्मचारियों के लिए ट्रांसफर के बाद नई तैनाती का समय अब बदल गया है. वित्त विभाग के प्रधान सचिव की तरफ से इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी गई है. यदि कर्मचारी का तबादला समीप के किसी स्टेशन में हुआ है तो उसे नई जगह जॉइन करने के लिए एक दिन का समय मिलेगा. इसी प्रकार यदि तबादला किसी दूर के स्टेशन में हुआ हो तो जॉइन करने के लिए पांच दिन मिलेंगे.
यहां बता दें कि पहले दूर के स्टेशन में जॉइन करने की अवधि दस दिन की थी. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई में 17 मई को कैबिनेट मीटिंग में इस विषय पर चर्चा हुई थी. कैबिनेट में सहमति से टाइमिंग बदलने का फैसला लिया गया था. उसके बाद अब अधिसूचना जारी की गई है.
वित्त विभाग की तरफ से बुधवार को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि यदि नए और पुराने स्टेशन के बीच की दूरी तीस किलोमीटर से कम है तो कर्मचारी को तैनाती देने के लिए केवल एक दिन का समय मिलेगा. इसी प्रकार यदि एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच की दूरी 30 किलोमीटर से अधिक है, तो जॉइनिंग टाइम पांच दिन का होगा. इससे पहले राज्य सरकार द्वारा कर्मचारियों को जॉइनिंग के लिए दस दिन का समय दिया जाता था. इस फैसले का एक दिलचस्प पहलू भी है.
हिमाचल प्रदेश में अकसर सरकारी कर्मचारी तबादले के बाद अपनी पसंद का स्टेशन पाने के लिए जुगाड़ भिड़ाने में लग जाते थे. चूंकि तबादले के बाद नई जगह पोस्टिंग संभालने के लिए पहले दस दिन का समय मिलता था तो कुछ कर्मचारी शिमला में सचिवालय आकर अपनी ट्रांसफर रुकवाने अथवा अपनी पसंद की जगह नियुक्ति के लिए जोड़-तोड़ करते थे. अब क्योंकि समय ही पांच दिन का मिलेगा तो कर्मचारी को ये चिंता सताएगी कि यदि मनपसंद जगह तैनाती नहीं मिली तो जिस स्थान पर तबादला हुआ है, वहां जॉइन करने का समय निकल जाएगा. सरकार ने अब समय सीमा कम कर दी है, लिहाजा इसका असर भी देखने को मिलेगा.
सरकार के ध्यान में ये बात भी आई थी कि कई कर्मचारी जनजातीय और दुर्गम इलाकों में सेवाएं देने से कतराते हैं. यदि उनकी ट्रांसफर ऐसी जगह हो जाए तो वे उसे रुकवाने के लिए सभी तरह के उपाय करते हैं. अकसर राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल भी किया जाता है. इस स्थिति से बचने के लिए उपरोक्त कवायद की गई है. ये भी देखा गया है कि जैसे ही सत्ता बदलती है, कर्मचारी तबादले के लिए मंत्रियों के पास पहुंच जाते हैं.
ये बात को कर्मचारियों की है, लेकिन देखने में आया है कि ब्यूरोक्रेट भी अपनी पोस्टिंग के लिए सियासी जुगाड़ भिड़ाते हैं. नौबत यहां तक आई कि हाल ही में सरकार को ये आदेश करने पड़े कि यदि किसी अधिकारी ने पोस्टिंग व ट्रांसफर के लिए राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल किया तो उसे सर्विस रूल्स की अवहेलना माना जाएगा. फिलहाल, अब ये देखना होगा कि नई अधिसूचना का असर कितना होता है.
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