शिमला: हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड में विभिन्न श्रेणियों के 700 पदों को समाप्त करने के विरोध में कर्मचारी उग्र हो गए हैं. प्रदेश सरकार के इस फैसले के खिलाफ एकजुट होकर बिजली बोर्ड के कर्मचारी, इंजीनियर और पेंशनर्स 6 फरवरी से अपना विरोध जता रहे हैं. मगर अभी सरकार ने कर्मचारियों को वार्ता के लिए नहीं बुलाया है. ऐसे में बिजली बोर्ड कर्मचारियों और इंजीनियरों में सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश है. इसको देखते हुए हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड कर्मचारी अभियंता व पेंशनर्ज की ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जिसकी शुरुआत आज यानी 11 फरवरी से होगी. सरकार के फैसले के विरोध में ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने हमीरपुर में जिला पंचायत बुलाई है. जिसमें कर्मचारियों सहित इंजीनियर, पेंशनर्स और उपभोक्ता शामिल होंगे. ऐसे में सभी वर्गों का सरकार के खिलाफ गुस्सा फूटेगा.
हमीरपुर से होगी आंदोलन की शुरुआत
हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड कर्मचारी अभियंता व पेंशनर्ज की ज्वाइंट एक्शन कमेटी आज बिजली बोर्ड में पदों को समाप्त करने, पुरानी पेंशन बहाली, 2023 से भर्ती की फाइल पेंडिंग पड़ने, आउटसोर्स ड्राइवरों को नौकरी से निकालने जैसे कई मुद्दों को लेकर सरकार को घेरेगी. ज्वाइंट एक्शन कमेटी का कहना है कि बिजली बोर्ड कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री के साथ 25 से 26 बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन इन बैठकों का कोई भी सकारात्मक नतीजा सामने नहीं आया है.
हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड से जुड़े कर्मचारियों के ज्वाइंट फ्रंट के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने ईटीवी से बातचीत में कहा, "बिजली बोर्ड में 700 प्रमोशनल पदों को समाप्त किया गया है. इससे पहले भी इंजीनियरों के 52 पदों को खत्म किया गया. वहीं, बिजली बोर्ड में आउटसोर्स पर सेवाएं दे रहे 81 ड्राइवरों को नौकरी से निकाला गया है. इससे कर्मचारियों में भारी रोष है."
भर्ती की फाइल 2023 से पेंडिंग
ज्वाइंट फ्रंट के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा का कहना है कि बिजली बोर्ड में कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम से वंचित हैं. इसी तरह से बिजली बोर्ड में विभिन्न श्रेणियों के पद नहीं भरे जा रहे हैं. भर्ती की फाइल 2023 से पेंडिंग है. उन्होंने कहा कि आज स्थिति ये हो गई है कि पहले बिजली बोर्ड में 6 लाख उपभोक्ताओं के लिए 43 हजार कर्मचारी सेवाएं देते थे, लेकिन आज उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर 30 लाख हो गई है. वहीं, कर्मचारियों की संख्या घटकर 13 हजार के करीब रह गई है. आज बिजली बोर्ड को कर्मचारियों की जरूरत है.
हीरा लाल वर्मा ने कहा, "कहीं न कहीं कर्मचारियों और पेंशनर्स को लग रहा है कि बिजली बोर्ड को निजीकरण की तरफ आगे ले जा रहे हैं. कर्मचारी अपने अधिकारों को लेकर 6 फरवरी से विरोध कर रहे हैं, लेकिन अभी तक सरकार ने वार्ता के लिए नहीं बुलाया है. ऐसे में हमने 11 फरवरी को हमीरपुर में जिला पंचायत बुलाई है. जिसमें बिजली बोर्ड के कर्मचारी, पेंशनर्स, इंजीनियर और उपभोक्ता भाग लेंगे. इसके बाद भी अगर कोई समाधान नहीं निकलता है तो कर्मचारियों के पास आंदोलन का ही विकल्प रहेगा. सरकार को इस बात का संज्ञान लेकर कर्मचारियों को वार्ता के लिए बुलाना चाहिए."