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ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग पर विधानसभा का घेराव: प्रदर्शनकारियों पर पुलिस का बल प्रयोग, नहीं मिले सीएम

हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग (Demand for old pension scheme in Himachal) को लेकर हजारों प्रदर्शनकारी विधानसभा का घेराव करने पहुंचे. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया. इतना ही नहीं भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस ने आंदोलन कर रहे कर्मचारियों पर वाटर कैनन का प्रयोग किया.

Government employees protest in shimla
विधानसभा के बाहर कर्मचारियों का प्रदर्शन.
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Published : Mar 3, 2022, 7:53 PM IST

शिमला: हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग (Demand for old pension scheme in Himachal) को लेकर गुरुवार को शिमला पहुंचे हजारों प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया. एनपीएस कर्मचारियों को विधानसभा तक पहुंचने से रोकने के लिए पुलिस ने भारी तैनाती कर रखी थी. उग्र प्रदर्शनकारियों की पुलिस से धक्का-मुक्की भी हुई. इस दौरान पुलिस ने आंदोलन कर रहे कर्मचारियों पर वाटर कैनन का प्रयोग किया. बाद में बैरिकेड्स हटाने के लिए आगे बढ़े प्रदर्शनकारियों पर हल्का बल प्रयोग भी किया गया.

क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग: प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि सीएम जयराम ठाकुर उनसे मिलने के लिए आएं. सरकार की तरफ से पहले डीजीपी संजय कुंडू ने एनपीएस कर्मचारियों को समझाने का प्रयास किया. बाद में कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज उनसे बात करने पहुंचे, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने मुंह फेर लिया. बाद में हजारों कर्मचारी विधानसभा के समीप (employees protestted outside the Assembly) पहुंच गए. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर उनसे बात करने के लिए नहीं आए.

विधानसभा के बाहर कर्मचारियों का प्रदर्शन.

कर्मचारियों की मांग पर कमेटी का गठन: सीएम ने मीडिया से कहा कि उन्होंने कर्मचारियों से आग्रह किया कि वे अपने प्रतिनिधि भेजें, उनकी बात सुनी जाएगी. सीएम ने कहा कि प्रदर्शनकारी जिस तरह से राजनीतिक दृष्टि से किसी के हाथ का खिलौना बन रहे हैं, वो उचित नहीं है. सरकार ने उनकी मांग पर कमेटी का गठन किया है. वे कमेटी के समक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं, लेकिन इस तरह से आंदोलन करना सही नहीं है. शिमला में आम जनता को ट्रैफिक जाम होने के कारण परेशानी झेलनी पड़ी है.

खबर लिखे जाने तक यानी सात बजे तक प्रदर्शनकारी विधानसभा के बाहर ही डटे हुए थे. उनकी मांग है कि जब तक सरकार ओपीएस को लेकर कोई ऐलान नहीं करती, आंदोलन (Government employees protest in shimla) नहीं रुकेगा.

मंडी से हुई थी पैदल यात्रा की शुरुआत: उल्लेखनीय है कि एनपीएस कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग उठा रहे हैं. इसके लिए 23 फरवरी से मंडी से पैदल यात्रा शुरू की गई थी. कर्मचारियों ने तीन मार्च को विधानसभा घेराव की चेतावनी दी थी. गुरुवार को वे शिमला पहुंचे. टूटीकंडी से लेकर विधानसभा तक का रास्ते में हर तरफ आंदोलनरत कर्मचारी ही कर्मचारी नजर आ रहे थे.

समर्थन में कांग्रेस और माकपा किया वॉकआउट: उधर, विधानसभा के भीतर कांग्रेस व माकपा ने ओपीएस के समर्थन में वॉकआउट किया. विपक्ष ने सरकार पर कर्मचारियों की आवाज दबाने का आरोप लगाया. वहीं, सीएम जयराम ठाकुर ने जो संकेत दिए हैं, उससे पता चलता है कि सरकार भी झुकने के मूड में नहीं है. उधर, न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने कहा कि ओपीएस की मांग को लेकर आंदोलनकारी भी अड़े रहेंगे. वहीं, एनपीएस कर्मचारी महासंघ (NPS Employees Federation in Himachal) के धरने को संबोधित करने के लिए कांग्रेस के नेता नहीं गए, अलबत्ता सदन के भीतर कांग्रेस ने इसे लेकर समर्थन किया है. फिलहाल, सरकार का रुख भी सख्त है और आंदोलनकारी भी झुकने को तैयार नहीं हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में प्रति व्यक्ति आय ने पार किया दो लाख का आंकड़ा, सीएम ने सदन में रखी आर्थिक सर्वे रिपोर्ट

शिमला: हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग (Demand for old pension scheme in Himachal) को लेकर गुरुवार को शिमला पहुंचे हजारों प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया. एनपीएस कर्मचारियों को विधानसभा तक पहुंचने से रोकने के लिए पुलिस ने भारी तैनाती कर रखी थी. उग्र प्रदर्शनकारियों की पुलिस से धक्का-मुक्की भी हुई. इस दौरान पुलिस ने आंदोलन कर रहे कर्मचारियों पर वाटर कैनन का प्रयोग किया. बाद में बैरिकेड्स हटाने के लिए आगे बढ़े प्रदर्शनकारियों पर हल्का बल प्रयोग भी किया गया.

क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग: प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि सीएम जयराम ठाकुर उनसे मिलने के लिए आएं. सरकार की तरफ से पहले डीजीपी संजय कुंडू ने एनपीएस कर्मचारियों को समझाने का प्रयास किया. बाद में कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज उनसे बात करने पहुंचे, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने मुंह फेर लिया. बाद में हजारों कर्मचारी विधानसभा के समीप (employees protestted outside the Assembly) पहुंच गए. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर उनसे बात करने के लिए नहीं आए.

विधानसभा के बाहर कर्मचारियों का प्रदर्शन.

कर्मचारियों की मांग पर कमेटी का गठन: सीएम ने मीडिया से कहा कि उन्होंने कर्मचारियों से आग्रह किया कि वे अपने प्रतिनिधि भेजें, उनकी बात सुनी जाएगी. सीएम ने कहा कि प्रदर्शनकारी जिस तरह से राजनीतिक दृष्टि से किसी के हाथ का खिलौना बन रहे हैं, वो उचित नहीं है. सरकार ने उनकी मांग पर कमेटी का गठन किया है. वे कमेटी के समक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं, लेकिन इस तरह से आंदोलन करना सही नहीं है. शिमला में आम जनता को ट्रैफिक जाम होने के कारण परेशानी झेलनी पड़ी है.

खबर लिखे जाने तक यानी सात बजे तक प्रदर्शनकारी विधानसभा के बाहर ही डटे हुए थे. उनकी मांग है कि जब तक सरकार ओपीएस को लेकर कोई ऐलान नहीं करती, आंदोलन (Government employees protest in shimla) नहीं रुकेगा.

मंडी से हुई थी पैदल यात्रा की शुरुआत: उल्लेखनीय है कि एनपीएस कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग उठा रहे हैं. इसके लिए 23 फरवरी से मंडी से पैदल यात्रा शुरू की गई थी. कर्मचारियों ने तीन मार्च को विधानसभा घेराव की चेतावनी दी थी. गुरुवार को वे शिमला पहुंचे. टूटीकंडी से लेकर विधानसभा तक का रास्ते में हर तरफ आंदोलनरत कर्मचारी ही कर्मचारी नजर आ रहे थे.

समर्थन में कांग्रेस और माकपा किया वॉकआउट: उधर, विधानसभा के भीतर कांग्रेस व माकपा ने ओपीएस के समर्थन में वॉकआउट किया. विपक्ष ने सरकार पर कर्मचारियों की आवाज दबाने का आरोप लगाया. वहीं, सीएम जयराम ठाकुर ने जो संकेत दिए हैं, उससे पता चलता है कि सरकार भी झुकने के मूड में नहीं है. उधर, न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने कहा कि ओपीएस की मांग को लेकर आंदोलनकारी भी अड़े रहेंगे. वहीं, एनपीएस कर्मचारी महासंघ (NPS Employees Federation in Himachal) के धरने को संबोधित करने के लिए कांग्रेस के नेता नहीं गए, अलबत्ता सदन के भीतर कांग्रेस ने इसे लेकर समर्थन किया है. फिलहाल, सरकार का रुख भी सख्त है और आंदोलनकारी भी झुकने को तैयार नहीं हैं.

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