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आरटीआई में नहीं मिलेगी थर्ड पार्टी की मेडिकल रिपोर्ट, जानिए क्या है वजह? - हिमाचल में सूचना का अधिकार

हिमाचल प्रदेश सूचना आयोग ने थर्ड पार्टी की मेडिकल रिपोर्ट और इससे संबंधित जानकारी को गोपनीयता की श्रेणी में रखा है. ऐसे में अब थर्ड पार्टी की मेडिकल रिपोर्ट आरटीआई में नहीं मिलेगी.

RTI in Himachal
हिमाचल में सूचना का अधिकार
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Published : Apr 16, 2021, 4:38 PM IST

शिमला: राज्य सूचना आयोग ने थर्ड पार्टी की मेडिकल रिपोर्ट और इससे संबंधित जानकारी को गोपनीयता की श्रेणी में रखा है. इस संबंध में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त नरेंद्र चौहान ने आईजीएमसी की प्रथम अपीलीय अथॉरिटी डॉ. रजनीश पठानिया के फैसले को सही ठहराया है.

थर्ड पार्टी की मेडिकल रिपोर्ट आरटीआई में नहीं मिलेगी

मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा कि अगर मामला व्यापक जनहित का नहीं है तो थर्ड पार्टी की मेडिकल रिपोर्ट और इससे संबंधित जानकारी आरटीआई एक्ट के तहत सार्वजनिक नहीं होगी. डॉक्टर और मरीज से संबंधित ऐसी जानकारी को राज्य सूचना आयोग ने गोपनीय की श्रेणी में रखा है. जांच रिपोर्ट के अनुसार इस व्यक्ति की मेडिकल रिपोर्ट सही है. इसमें कोई फर्जीवाड़ा नहीं है.

निजता के व्यक्तिगत अधिकार की रक्षा

आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 8 के तहत निजता के व्यक्तिगत अधिकार की रक्षा करता है, जहां डॉक्टर और मरीज जैसे जिम्मेदारी वाले संबंध हों. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की नैतिकता संहिता के विनियम-5 के अनुसार भी मरीज की गोपनीयता की रक्षा की गई है.

जनसूचना अधिकारी, उपचार कर रहे डाक्टर और प्रशासक भी मरीजों की स्वास्थ्य सुरक्षा से संबंधित जानकारी को सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: जबोठ पंचायत का फैसला: बाहरी राज्यों से आने वालों को बिना कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट के नहीं मिलेगी Entry

शिमला: राज्य सूचना आयोग ने थर्ड पार्टी की मेडिकल रिपोर्ट और इससे संबंधित जानकारी को गोपनीयता की श्रेणी में रखा है. इस संबंध में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त नरेंद्र चौहान ने आईजीएमसी की प्रथम अपीलीय अथॉरिटी डॉ. रजनीश पठानिया के फैसले को सही ठहराया है.

थर्ड पार्टी की मेडिकल रिपोर्ट आरटीआई में नहीं मिलेगी

मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा कि अगर मामला व्यापक जनहित का नहीं है तो थर्ड पार्टी की मेडिकल रिपोर्ट और इससे संबंधित जानकारी आरटीआई एक्ट के तहत सार्वजनिक नहीं होगी. डॉक्टर और मरीज से संबंधित ऐसी जानकारी को राज्य सूचना आयोग ने गोपनीय की श्रेणी में रखा है. जांच रिपोर्ट के अनुसार इस व्यक्ति की मेडिकल रिपोर्ट सही है. इसमें कोई फर्जीवाड़ा नहीं है.

निजता के व्यक्तिगत अधिकार की रक्षा

आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 8 के तहत निजता के व्यक्तिगत अधिकार की रक्षा करता है, जहां डॉक्टर और मरीज जैसे जिम्मेदारी वाले संबंध हों. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की नैतिकता संहिता के विनियम-5 के अनुसार भी मरीज की गोपनीयता की रक्षा की गई है.

जनसूचना अधिकारी, उपचार कर रहे डाक्टर और प्रशासक भी मरीजों की स्वास्थ्य सुरक्षा से संबंधित जानकारी को सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं.

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