रोहडू/शिमला: हिमाचल प्रदेश में इन दिनों सेब सीजन चल रहा है. वहीं, मंडियों में काफी कम मात्रा में सेब आ रहा है और इस साल सेब की पैदावार भी कम है. इस बार रायल डिलीशियस सेब की बिगरस किस्म के पौधों पर सेब का साइज भी काफी छोटा है. साथ ही फल की क्वालिटी भी नहीं मिल पा रही है. बागवानों को फसल कम होने की वजह से महेनत के बाद उम्मीद के मुताबिक दाम नहीं मिल पा रहे हैं.
सेब साइज छोटा होने व क्वालिटी फल न होने का मुख्य कारण थिनिंग माना जा रहा है. फूल सेटिंग के बाद पौधों में जरूरत से ज्यादा फल लग जाते हैं. पौधों मे जरूरत से ज्यादा फल लगने से फल का साइज कम हो जाता है व पोषण कम मिलने के कारण फल की क्वालिटी नहीं बन पाती है. इस कारण बागवानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है. वहीं, फल सेंटिंग के बाद जरूरत से ज्यादा लगे फलों की थिनिंग करने से समस्या से निजात पाई जा सकती है.
बागवानी विशेषज्ञ एवं पूर्व उधान अधिकारी डॉ. आगर दास ने इन दिनों रोहड़ू के विभिन्न सेब क्षेत्रों का दौरा करके पाया कि समय पर थिनिंग (जरूरत से ज्यादा फलों को हटाना) न करने से बगीचों मे सेब का साइज छोटा है और फल की क्वालिटी भी नहीं है. इससे बागवानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है. इसके चलते क्वालिटी फल प्राप्त करने के लिए समय पर थिनिंग काफी जरूरी है.
डॉ. आगर दास ने कहा कि फल की सेंटिंग के समय थिनिंग (जरूरत से ज्यादा फलो को हटाना) सबसे जरूरी है, जिससे क्वालिटी फल पाया जा सके. उन्होंने कहा कि फल सेंटिंग के तुरंत बाद थिनिंग होनी चाहिए, लेकिन जिन स्थानों पर सेब फलों की तुड़ाई सितंबर महीने व इसके अंत तक होती है वे बागवान अभी भी थिनिंग कर सकते हैं. सही तरीके से थिनिंग करने के 10-15 व दिनों बाद फलों की तुड़ाई करके अच्छा साइज व क्वालिटी फल प्राप्त कर सकते हैं.