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बच्चों को मिले ज्ञान, यहां ग्रामीणों ने झोंक दी जान, स्कूल के कमरों के लिए खुद किए 6 लाख खर्च - GOVERNMENT HIGH SCHOOL KANSAR

हाईस्कूल-कांसर के भवन को बनाने के लिए ग्रामीणों ने पूरी ताकत लगा दी है. इसके लिए अपने स्तर ग्रामीण छह लाख खर्च कर चुके हैं.

गवर्नमेंट हाई स्कूल कांसर
गवर्नमेंट हाई स्कूल कांसर (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 21, 2025, 2:08 PM IST

सिरमौर: गांव के बच्चों को ज्ञान मिल सके, इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर की एक पंचायत के ग्रामीणों ने अपनी पूरी जान झोंक दी है. ग्रामीण अपने स्तर अब तक करीब 6 लाख रुपये लगाए जा चुके है. अभी भी ग्रामीण अपने स्तर पर धन एकत्रित कर रहे हैं, ताकि बच्चों को बेहतर सुविधा मिले.

दरअसल सिरमौर के धारटीधार इलाके की कांडो कांसर पंचायत में चल रहे गवर्नमेंट हाई स्कूल कांसर को अतिरिक्त कमरों के निर्माण के लिए सरकार से 2015 में 60 लाख के आसपास का बजट तो मिला, लेकिन जमीन संबंधी अड़चनों ने इस कार्य को लटका दिया. समय बीतता गया. इस बीच ग्रामीणों को इस बात की चिंता सता गई कि अगर वक्त पर जमीन नहीं मिली तो कहीं सरकार से मिला पैसा लैप्स न हो जाए. इस पैसे को बचाने के लिए जमीन की उपलब्धता जरूरी है. पहले ग्रामीणों ने प्राइमरी स्कूल की जमीन तलाशी, जो ऐन वक्त पर कम पड़ गई. इसके बाद एक ग्रामीण ने जमीन दान की. पैमाइश हुई तो ये जमीन भी कम पड़ी. इसके बाद ग्रामीणों ने स्कूल से सटी फॉरेस्ट विभाग की जमीन कागजी कार्रवाई के बाद स्कूल के नाम करवा ली.

ग्रामीणों ने जमीन को खुद किया समतल
ग्रामीणों ने जमीन को खुद किया समतल (ETV BHARAT)

औपचारिकताएं पूरी करने में लग गए कई साल

गवर्नमेंट हाई स्कूल कांसर में 4 अतिरिक्त कमरों के निर्माण का जिम्मा हिमुडा को मिला है. नियमानुसार भवन की कंस्ट्रक्शन के लिए साइट क्लीयर होनी चाहिए. कमरों के निर्माण के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी करने में 6 से 7 साल का वक्त लग गया. 4 बीघा जमीन स्कूल के नाम हुई, लेकिन एक और समस्या खड़ी हो गई. जब तक जमीन समतल नहीं होती, तब तक इस पर कंस्ट्रक्शन शुरू नहीं की जा सकती. लिहाजा ग्रामीणों ने चयनित जमीन पर खुद काम करना शुरू किया. श्रमदान किए गए, लेकिन जमीन की खुदाई के वक्त निकले पत्थरों ने काम रोका दिया.

आपसी सहयोग से पैसा कलेक्शन का लिया फैसला

इसी बीच काम रुकता देख ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से पैसा एकत्रित करने का फैसला लिया. 2500 की जनसंख्या वाले कांसर गांव के सैकड़ों परिवारों ने सबसे पहले 1000-1000 रुपये की राशि एकत्रित कर दो लाख से अधिक की राशि इकट्ठा की थी. कंप्रेशर और जेसीबी मौके पर बुलाई गई. मौके पर पत्थर निकालने का काम शुरू हुआ. इस जमीन से इतने अधिक पत्थर निकल चुके हैं कि प्लॉट पर भी ढेर लग गए हैं.

ग्रामीणों ने जमीन को खुद किया समतल
ग्रामीणों ने जमीन को खुद किया समतल (ETV BHARAT)

दूसरी कलेक्शन में 3 लाख जुटाए, तीसरी जारी

लोगों के सहयोग से इकट्ठा किया गया पैसा भी खत्म हो गया, लेकिन जमीन को समतल करने का काम पूरा नहीं हुआ. ऐसे में ग्रामीणों ने दूसरी कलेक्शन 3 लाख रुपए से अधिक की राशि एकत्रित की. अब काफी हद तक इस साइट को समतल किया जा चुका है. कुल मिलाकर अब तक 6 लाख रुपए से ज्यादा राशि लोग खुद खर्च कर चुके हैं.अभी भी एक लाख रुपए की जरूरत इस कार्य को पूरा करने के लिए है. इसके लिए ग्रामीणों ने तीसरी कलेक्शन के तौर पर 50 से 60 हजार रुपए इकट्ठा कर लिए हैं.

प्लॉट कटिंग का सारा खर्च खुद उठाया

इस स्कूल के एसएमसी अध्यक्ष कमलेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि, 'प्लॉट कटिंग का सारा खर्च ग्रामीणों ने खुद उठाया है. अब तक 6 लाख रुपये से ज्यादा राशि इस पर खर्च हो चुकी है. जल्द ही स्कूल के कमरे बनकर तैयार हो जाएंगे.'

ग्रामीणों ने दिल खोल कर सहयोग किया

कांसर गांव के युवा कुलदीप शर्मा ने बताया कि, 'इस भवन निर्माण के लिए ग्रामीणों ने दिल खोल कर सहयोग किया है. स्कूल निर्माण को लेकर ग्रामीणों के समक्ष अड़चने काफी ज्यादा थी. जमीन से लेकर प्लॉट को समतल करने पर काफी पैसा लोगों ने खुद लगा दिया है. बिजली का एक पोल बदलने पर भी काफी पैसा लगा. इसके अलावा भी कई छोटे मोटे खर्चे गांव के प्रबुद्ध लोगों ने खुद उठाए हैं. खुशी सिर्फ इस बात की है कि ग्रामीणों की ओर से शुरू की गई ये मुहिम जल्द रंग लाएगी. स्कूल का भवन अब बनकर रहेगा.'

क्या कहते हैं अधिकारी

वहीं हिमुडा के अधिशासी अभियंता ई. दिनेश वर्मा ने बताया कि, 'स्कूल भवन के लिए 59.60 लाख रुपए का बजट स्वीकृत हुआ है. अभी ये पैसा लैप्स नहीं हुआ है. स्कूल में 4 कमरों का निर्माण किया जाएगा. इसके लिए साइट क्लीयर होना जरूरी है. हिमुडा स्वीकृत बजट को सिर्फ कंस्ट्रक्शन पर ही खर्च करेगा.'

इन्होंने किया सहयोग

स्कूल भवन निर्माण से पहले प्लॉट समतल करने और कई तरह की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए गांव के लोगों का ही सहयोग रहा. इस कार्य के लिए स्कूल में शिक्षक रहे राकेश, मनचंदा, अनिता, दिनेश, अंजना और विपिन ने भी ग्रामीणों का आर्थिक तौर पर सहयोग किया. वहीं पंचायत प्रधान रामलाल सहित वार्ड सदस्यों सहित राम सिंह नेगी, मोहनलाल, राजेंद्र दत्त, बाबूराम व रणजीत सिंह नेगी, नारायण सिंह, मुल्तान सिंह नेगी, हरि सिंह नेगी, मदन सिंह, जगमोहन, बीर सिंह नेगी, कर्म सिंह, सुरेंद्र मोहन, हेतराम, इंद्र सिंह, सुखचैन सिंह नेगी, सुरेंद्र सिंह नेगी, बलवीर, तेजवीर सिंह, श्यामलाल, बीर सिंह, सोहन सिंह, शमशेर सिंह, कृष्ण दत्त. सतीष, चमन, पृथ्वी सिंह, मायाराम, परमानंद, राजेंद्र, जगदीप, बीरबल, सोहन सिंह और राम सिंह जैसे सेवानिवृत्त एवं बुजुर्ग लोगों का सहयोग रहा.

वर्तमान में स्कूल के पास 5 कमरे

कांसर स्कूल में मौजूदा समय में 5 कमरों का भवन है. इस स्कूल में 80 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. इसके अलावा चार और कमरों का निर्माण किया जा रहा है. यदि ये कमरे जल्द बनकर तैयार होते हैं, तो भविष्य में इनका प्रयोग स्कूल के स्तरोन्नत होने के बाद भी किया जा सकता है. इसके निर्माण के बाद स्कूल में कमरों का अभाव नहीं रहेगा.

ग्रामीणों ने दूसरों के लिए भी पेश की बड़ी मिसाल

कुल मिलाकर कांसर गांव के इन ग्रामीणों ने दूसरों के लिए भी बड़ा उदाहरण पेश किया है, जो छोटे से छोटे विकास कार्यों के लिए भी सरकार और प्रशासन से आर्थिक मदद के लिए टकटकी लगाए बैठे रहते हैं, लेकिन अपने बच्चों का भविष्य बनाने और सरकार का पैसा बचाकर इन ग्रामीणों ने ये भी साबित कर दिया है कि यदि चाहें तो अपने स्तर पर भी विकास कार्यों को अंजाम दे सकते हैं.

ये भी पढ़ें: कोमा में था मरीज, PGI से डॉक्टरों ने भेज दिया था घर, नाहन मेडिकल कॉलेज की महिला डॉक्टर ने 'फूंक दी जान'

सिरमौर: गांव के बच्चों को ज्ञान मिल सके, इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर की एक पंचायत के ग्रामीणों ने अपनी पूरी जान झोंक दी है. ग्रामीण अपने स्तर अब तक करीब 6 लाख रुपये लगाए जा चुके है. अभी भी ग्रामीण अपने स्तर पर धन एकत्रित कर रहे हैं, ताकि बच्चों को बेहतर सुविधा मिले.

दरअसल सिरमौर के धारटीधार इलाके की कांडो कांसर पंचायत में चल रहे गवर्नमेंट हाई स्कूल कांसर को अतिरिक्त कमरों के निर्माण के लिए सरकार से 2015 में 60 लाख के आसपास का बजट तो मिला, लेकिन जमीन संबंधी अड़चनों ने इस कार्य को लटका दिया. समय बीतता गया. इस बीच ग्रामीणों को इस बात की चिंता सता गई कि अगर वक्त पर जमीन नहीं मिली तो कहीं सरकार से मिला पैसा लैप्स न हो जाए. इस पैसे को बचाने के लिए जमीन की उपलब्धता जरूरी है. पहले ग्रामीणों ने प्राइमरी स्कूल की जमीन तलाशी, जो ऐन वक्त पर कम पड़ गई. इसके बाद एक ग्रामीण ने जमीन दान की. पैमाइश हुई तो ये जमीन भी कम पड़ी. इसके बाद ग्रामीणों ने स्कूल से सटी फॉरेस्ट विभाग की जमीन कागजी कार्रवाई के बाद स्कूल के नाम करवा ली.

ग्रामीणों ने जमीन को खुद किया समतल
ग्रामीणों ने जमीन को खुद किया समतल (ETV BHARAT)

औपचारिकताएं पूरी करने में लग गए कई साल

गवर्नमेंट हाई स्कूल कांसर में 4 अतिरिक्त कमरों के निर्माण का जिम्मा हिमुडा को मिला है. नियमानुसार भवन की कंस्ट्रक्शन के लिए साइट क्लीयर होनी चाहिए. कमरों के निर्माण के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी करने में 6 से 7 साल का वक्त लग गया. 4 बीघा जमीन स्कूल के नाम हुई, लेकिन एक और समस्या खड़ी हो गई. जब तक जमीन समतल नहीं होती, तब तक इस पर कंस्ट्रक्शन शुरू नहीं की जा सकती. लिहाजा ग्रामीणों ने चयनित जमीन पर खुद काम करना शुरू किया. श्रमदान किए गए, लेकिन जमीन की खुदाई के वक्त निकले पत्थरों ने काम रोका दिया.

आपसी सहयोग से पैसा कलेक्शन का लिया फैसला

इसी बीच काम रुकता देख ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से पैसा एकत्रित करने का फैसला लिया. 2500 की जनसंख्या वाले कांसर गांव के सैकड़ों परिवारों ने सबसे पहले 1000-1000 रुपये की राशि एकत्रित कर दो लाख से अधिक की राशि इकट्ठा की थी. कंप्रेशर और जेसीबी मौके पर बुलाई गई. मौके पर पत्थर निकालने का काम शुरू हुआ. इस जमीन से इतने अधिक पत्थर निकल चुके हैं कि प्लॉट पर भी ढेर लग गए हैं.

ग्रामीणों ने जमीन को खुद किया समतल
ग्रामीणों ने जमीन को खुद किया समतल (ETV BHARAT)

दूसरी कलेक्शन में 3 लाख जुटाए, तीसरी जारी

लोगों के सहयोग से इकट्ठा किया गया पैसा भी खत्म हो गया, लेकिन जमीन को समतल करने का काम पूरा नहीं हुआ. ऐसे में ग्रामीणों ने दूसरी कलेक्शन 3 लाख रुपए से अधिक की राशि एकत्रित की. अब काफी हद तक इस साइट को समतल किया जा चुका है. कुल मिलाकर अब तक 6 लाख रुपए से ज्यादा राशि लोग खुद खर्च कर चुके हैं.अभी भी एक लाख रुपए की जरूरत इस कार्य को पूरा करने के लिए है. इसके लिए ग्रामीणों ने तीसरी कलेक्शन के तौर पर 50 से 60 हजार रुपए इकट्ठा कर लिए हैं.

प्लॉट कटिंग का सारा खर्च खुद उठाया

इस स्कूल के एसएमसी अध्यक्ष कमलेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि, 'प्लॉट कटिंग का सारा खर्च ग्रामीणों ने खुद उठाया है. अब तक 6 लाख रुपये से ज्यादा राशि इस पर खर्च हो चुकी है. जल्द ही स्कूल के कमरे बनकर तैयार हो जाएंगे.'

ग्रामीणों ने दिल खोल कर सहयोग किया

कांसर गांव के युवा कुलदीप शर्मा ने बताया कि, 'इस भवन निर्माण के लिए ग्रामीणों ने दिल खोल कर सहयोग किया है. स्कूल निर्माण को लेकर ग्रामीणों के समक्ष अड़चने काफी ज्यादा थी. जमीन से लेकर प्लॉट को समतल करने पर काफी पैसा लोगों ने खुद लगा दिया है. बिजली का एक पोल बदलने पर भी काफी पैसा लगा. इसके अलावा भी कई छोटे मोटे खर्चे गांव के प्रबुद्ध लोगों ने खुद उठाए हैं. खुशी सिर्फ इस बात की है कि ग्रामीणों की ओर से शुरू की गई ये मुहिम जल्द रंग लाएगी. स्कूल का भवन अब बनकर रहेगा.'

क्या कहते हैं अधिकारी

वहीं हिमुडा के अधिशासी अभियंता ई. दिनेश वर्मा ने बताया कि, 'स्कूल भवन के लिए 59.60 लाख रुपए का बजट स्वीकृत हुआ है. अभी ये पैसा लैप्स नहीं हुआ है. स्कूल में 4 कमरों का निर्माण किया जाएगा. इसके लिए साइट क्लीयर होना जरूरी है. हिमुडा स्वीकृत बजट को सिर्फ कंस्ट्रक्शन पर ही खर्च करेगा.'

इन्होंने किया सहयोग

स्कूल भवन निर्माण से पहले प्लॉट समतल करने और कई तरह की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए गांव के लोगों का ही सहयोग रहा. इस कार्य के लिए स्कूल में शिक्षक रहे राकेश, मनचंदा, अनिता, दिनेश, अंजना और विपिन ने भी ग्रामीणों का आर्थिक तौर पर सहयोग किया. वहीं पंचायत प्रधान रामलाल सहित वार्ड सदस्यों सहित राम सिंह नेगी, मोहनलाल, राजेंद्र दत्त, बाबूराम व रणजीत सिंह नेगी, नारायण सिंह, मुल्तान सिंह नेगी, हरि सिंह नेगी, मदन सिंह, जगमोहन, बीर सिंह नेगी, कर्म सिंह, सुरेंद्र मोहन, हेतराम, इंद्र सिंह, सुखचैन सिंह नेगी, सुरेंद्र सिंह नेगी, बलवीर, तेजवीर सिंह, श्यामलाल, बीर सिंह, सोहन सिंह, शमशेर सिंह, कृष्ण दत्त. सतीष, चमन, पृथ्वी सिंह, मायाराम, परमानंद, राजेंद्र, जगदीप, बीरबल, सोहन सिंह और राम सिंह जैसे सेवानिवृत्त एवं बुजुर्ग लोगों का सहयोग रहा.

वर्तमान में स्कूल के पास 5 कमरे

कांसर स्कूल में मौजूदा समय में 5 कमरों का भवन है. इस स्कूल में 80 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. इसके अलावा चार और कमरों का निर्माण किया जा रहा है. यदि ये कमरे जल्द बनकर तैयार होते हैं, तो भविष्य में इनका प्रयोग स्कूल के स्तरोन्नत होने के बाद भी किया जा सकता है. इसके निर्माण के बाद स्कूल में कमरों का अभाव नहीं रहेगा.

ग्रामीणों ने दूसरों के लिए भी पेश की बड़ी मिसाल

कुल मिलाकर कांसर गांव के इन ग्रामीणों ने दूसरों के लिए भी बड़ा उदाहरण पेश किया है, जो छोटे से छोटे विकास कार्यों के लिए भी सरकार और प्रशासन से आर्थिक मदद के लिए टकटकी लगाए बैठे रहते हैं, लेकिन अपने बच्चों का भविष्य बनाने और सरकार का पैसा बचाकर इन ग्रामीणों ने ये भी साबित कर दिया है कि यदि चाहें तो अपने स्तर पर भी विकास कार्यों को अंजाम दे सकते हैं.

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