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कैसे हारेगा कोरोना, अस्पतालों में नहीं हो रही थर्मल स्क्रीनिंग और सोशल डिस्टेंसिंग को भी ठेंगा

कोरोना प्रोटोकॉल फॉलो न करना, त्योहारों और सार्वजनिक समारोह में भीड़ एकत्रित होने से कोरोना मामलों में बढ़ोतरी हुई है. हिमाचल में बढ़ते कोरोना मामले प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने लोगों को चेताया है कि इलाज से परहेज बेहतर है.

स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Nov 30, 2020, 6:30 PM IST

शिमला: सर्दियों के दस्तक देते ही हिमाचल में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. प्रदेश में हर रोज औसतन 600 मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में कोविड केयर सेंटर और कोरोना डेडिकेटिड अस्पतालों पर दबाव बढ़ रहा है.

कोरोना प्रोटोकॉल फॉलो न करना, त्योहारों और सार्वजनिक समारोह में भीड़ एकत्रित होने से कोरोना मामलों में बढ़ोतरी हुई है. हिमाचल में बढ़ते कोरोना मामले प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं.

स्पेशल रिपोर्ट

प्रदेश सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए हाल ही में चार जिलों शिमला, मंडी, कांगड़ा और कुल्लू जिलों में रात 9 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लगाया है. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने से बेड की संख्या कम हो गई है. वहीं, अन्य कोविड अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने से दबाव बढ़ गया है.

हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने लोगों को चेताया है कि इलाज से परहेज बेहतर है. आने वाले समय में अगर नहीं संभले तो प्रदेश में कोरोना की स्थिती और भी खराब हो सकती है. ऐसे में खुद की सुरक्षा और जागरूकता जरूरी है.

कोरोना मामले बढ़ने के बाद अस्पताल में अन्य बीमारियों का इलाज करवाने आ रहे लोगों को भी डर सताने लगा है. ऐसे में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही भी सामने आ रही है. IGMC में पर्ची काउंटर और अस्पताल के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा. अस्पताल में एंट्री करने पर थर्मल स्क्रीनींग की कोई व्यवस्था नहीं है. हालांकि तीमारदार अस्पताल प्रशासन से मास्क और सेनिटाइजर की मांग कर रहे हैं.

वहीं, शिमला में रिपन अस्पताल के डेडिकेटीड कोविड सेंटर बनने के बाद केएनएच अस्पताल पर दवाब बढ़ गया है. अस्पताल में मरीज बढ़ने से बेड की संख्या कम हो गई है. एक ही बेड पर दो मरीजों को रखना पड़ रहा है. केएनएच अस्पताल के डिप्टी एमएस डॉ. ज्योति महाजन ने बताया

प्रदेश में अगर कोरोना मरीजों की संख्या यूं ही बढ़ती रही तो हालात बेकाबू हो सकते हैं. सर्दियों के मौसम में इसकी पूरी संभावना है. विशेषज्ञ दिसंबर और जनवरी के महीनों को अहम मान रहे हैं. हालांकि प्रदेश की जयराम सरकार ने कोरोना महामारी के चलते एहतियात के तौर पर कदम उठाए हैं. अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है. हाल ही में कोरोना की जांच के लिए प्रदेश में हिम सुरक्षा अभियान चलाया गया है.

वहीं, सरकार ने कुछ सख्त कदम भी उठाए हैं. मास्क न पहनने पर जुर्माने को एक हजार रुपये कर दिया गया है. वहीं, अब सामाजिक समारोह में केवल 50 लोग ही शामिल सकते हैं. नियम तोड़ने पर जुर्माने के साथ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है. ऐसे में देखना होगा की प्रदेश सरकार लोगों को कोरोना महामारी को लेकर कितना जागरूक कर पाती है.

शिमला: सर्दियों के दस्तक देते ही हिमाचल में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. प्रदेश में हर रोज औसतन 600 मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में कोविड केयर सेंटर और कोरोना डेडिकेटिड अस्पतालों पर दबाव बढ़ रहा है.

कोरोना प्रोटोकॉल फॉलो न करना, त्योहारों और सार्वजनिक समारोह में भीड़ एकत्रित होने से कोरोना मामलों में बढ़ोतरी हुई है. हिमाचल में बढ़ते कोरोना मामले प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं.

स्पेशल रिपोर्ट

प्रदेश सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए हाल ही में चार जिलों शिमला, मंडी, कांगड़ा और कुल्लू जिलों में रात 9 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लगाया है. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने से बेड की संख्या कम हो गई है. वहीं, अन्य कोविड अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने से दबाव बढ़ गया है.

हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने लोगों को चेताया है कि इलाज से परहेज बेहतर है. आने वाले समय में अगर नहीं संभले तो प्रदेश में कोरोना की स्थिती और भी खराब हो सकती है. ऐसे में खुद की सुरक्षा और जागरूकता जरूरी है.

कोरोना मामले बढ़ने के बाद अस्पताल में अन्य बीमारियों का इलाज करवाने आ रहे लोगों को भी डर सताने लगा है. ऐसे में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही भी सामने आ रही है. IGMC में पर्ची काउंटर और अस्पताल के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा. अस्पताल में एंट्री करने पर थर्मल स्क्रीनींग की कोई व्यवस्था नहीं है. हालांकि तीमारदार अस्पताल प्रशासन से मास्क और सेनिटाइजर की मांग कर रहे हैं.

वहीं, शिमला में रिपन अस्पताल के डेडिकेटीड कोविड सेंटर बनने के बाद केएनएच अस्पताल पर दवाब बढ़ गया है. अस्पताल में मरीज बढ़ने से बेड की संख्या कम हो गई है. एक ही बेड पर दो मरीजों को रखना पड़ रहा है. केएनएच अस्पताल के डिप्टी एमएस डॉ. ज्योति महाजन ने बताया

प्रदेश में अगर कोरोना मरीजों की संख्या यूं ही बढ़ती रही तो हालात बेकाबू हो सकते हैं. सर्दियों के मौसम में इसकी पूरी संभावना है. विशेषज्ञ दिसंबर और जनवरी के महीनों को अहम मान रहे हैं. हालांकि प्रदेश की जयराम सरकार ने कोरोना महामारी के चलते एहतियात के तौर पर कदम उठाए हैं. अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है. हाल ही में कोरोना की जांच के लिए प्रदेश में हिम सुरक्षा अभियान चलाया गया है.

वहीं, सरकार ने कुछ सख्त कदम भी उठाए हैं. मास्क न पहनने पर जुर्माने को एक हजार रुपये कर दिया गया है. वहीं, अब सामाजिक समारोह में केवल 50 लोग ही शामिल सकते हैं. नियम तोड़ने पर जुर्माने के साथ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है. ऐसे में देखना होगा की प्रदेश सरकार लोगों को कोरोना महामारी को लेकर कितना जागरूक कर पाती है.

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